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13 नवंबर को मनाया जाएगा धनतेरस का पर्व, बरसेगी मां लक्ष्मी और धन्वंतरी की कृपा

13 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. इसके लिए बाजारों में भी रौनक दिखने लगी है. आचार्यों के मुताबिक धनतेरस के शाम के समय पूजा करना उपयुक्त माना गया है.

Dhanteras will be celebrated on 13 November
धनतेरस का पर्व
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Published : Nov 9, 2020, 7:05 PM IST

Updated : Nov 9, 2020, 8:31 PM IST

रायपुर: 13 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन पूजा के लिए शाम का समय उपयुक्त माना गया है. धनतेरस के दिन लक्ष्मी, गणेश, धन्वंतरी और कुबेर की पूजा की जाती है. धनतेरस हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. खरीदारी करने के लिए धनतेरस को बेहद शुभ दिन माना जाता है. इस दिन लोग सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन, गाड़ी आदि चीजें खरीदते हैं.

धनतेरस का पर्व

धन्वंतरी को माना गया भगवान विष्णु का रूप

13 नवंबर यानी आगामी शुक्रवार को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. पंडितों के मुताबिक धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम साढ़े 5 बजे से 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. भगवान धन्वंतरि की पूजा इस समय में की जा सकती है. भगवान धन्वंतरी को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. जो हाथ में अमृत कलश धारण किए होते हैं. इन्हें पीतल धातु पसंद है. इसलिए धनतेरस में पीतल या अन्य किसी धातु जैसे सोने और चांदी के सामान खरीदे जाते हैं. आरोग्य के देवता धन्वंतरी और धन के देवता कुबेर की पूजा धनतेरस के दिन की जाती है.

त्योहारी सीजन में बाजारों में बढ़ी भीड़, वारदातों पर लगाम लगाने के लिए राजधानी पुलिस भी तैयार

नहीं होती धन की कमी

मान्यता के मुताबिक कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अपने हाथो में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. यह भी मान्यता है कि चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए भगवान धन्वंतरी ने अवतार लिया था. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन करने से धन की कमी नहीं होती और लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा भी इसी दिन घर में लानी चाहिए. धनतेरस के दिन संध्या काल (शाम के समय) में दीपक जलाने की भी परंपरा है. इसे यम दीपक कहते हैं. जो यमराज के लिए जलाया जाता है. मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है.

रायपुर: 13 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन पूजा के लिए शाम का समय उपयुक्त माना गया है. धनतेरस के दिन लक्ष्मी, गणेश, धन्वंतरी और कुबेर की पूजा की जाती है. धनतेरस हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. खरीदारी करने के लिए धनतेरस को बेहद शुभ दिन माना जाता है. इस दिन लोग सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन, गाड़ी आदि चीजें खरीदते हैं.

धनतेरस का पर्व

धन्वंतरी को माना गया भगवान विष्णु का रूप

13 नवंबर यानी आगामी शुक्रवार को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. पंडितों के मुताबिक धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम साढ़े 5 बजे से 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. भगवान धन्वंतरि की पूजा इस समय में की जा सकती है. भगवान धन्वंतरी को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. जो हाथ में अमृत कलश धारण किए होते हैं. इन्हें पीतल धातु पसंद है. इसलिए धनतेरस में पीतल या अन्य किसी धातु जैसे सोने और चांदी के सामान खरीदे जाते हैं. आरोग्य के देवता धन्वंतरी और धन के देवता कुबेर की पूजा धनतेरस के दिन की जाती है.

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नहीं होती धन की कमी

मान्यता के मुताबिक कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अपने हाथो में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. यह भी मान्यता है कि चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए भगवान धन्वंतरी ने अवतार लिया था. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन करने से धन की कमी नहीं होती और लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा भी इसी दिन घर में लानी चाहिए. धनतेरस के दिन संध्या काल (शाम के समय) में दीपक जलाने की भी परंपरा है. इसे यम दीपक कहते हैं. जो यमराज के लिए जलाया जाता है. मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है.

Last Updated : Nov 9, 2020, 8:31 PM IST
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