रायपुर: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) को सभी देवता गण शयन में चले जाते हैं और इसे देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) कहा जाता है. इसके 4 माह बाद चातुर्मास शयन का मास रहता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को यानी 14 नवंबर और 15 नवंबर को देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी (Devotthan Prabodhini Ekadashi) का पावन पर्व मनाया जाएगा. यहां से श्री हरि विष्णु का जागरण हो जाता है.समस्त शुभ मांगलिक पवित्र कार्यों का होना शुरू हो जाता है. सनातन सभ्यता ऋषि और कृषि प्रधान रही हैं. इन चार महीनों में कृषक पूरी तरह से खेतों की जुताई आदि से निवृत्त हो जाते हैं और शुभ विवाह (Subh Vivah) मांगलिक कार्यों के लिए तैयार हो जाते हैं.
Devouthan Ekadashi 2021:जब खत्म होता है भगवान विष्णु का शयन काल फिर शुरू होता है शुभ कार्य
तुलसी विवाह (Tulsi vivah) का है ये दिन
देवोत्थान एकादशी के दिन से वैवाहिक मुहूर्त प्रारंभ हो जाते हैं. आज के शुभ दिन प्रातः काल उठकर योग आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. आज के दिन माता तुलसी का विवाह शालिग्राम भगवान से किया जाता है. गन्ने आदि से विवाह मंडप सजाया जाता है. बाजार में कुछ दिनों पूर्व ही गन्ने की बिक्री प्रारंभ हो जाती है. इस दिन दिवाली के पावन पर्व पर लगाई हुई धान की बालियों को निकालने का भी कार्य होता है. आज के दिन उपवास करने पर देवता बहुत प्रसन्न होते हैं. इस दिन किया गया व्रत कई एकादशी के फलों के बराबर माना जाता है. प्रातः काल में तुलसी को अर्घ्य देकर इस दिन की शुरुआत की जाती है. ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र को पढ़ना शुभ रहता है. इस शुभ दिन तुलसी चालीसा, विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, आदित्य हृदय स्त्रोत, श्री गायत्री मंत्र आदि का पाठ करना बहुत शुभ माना गया है.
इस दिन सर्वार्थसिद्धि रवि योग जैसे दो महत्वपूर्ण योग बन रहे
इस बार ये यह पवित्र पर्व इस साल 2 दिनों का पड़ रहा है. 14 तारीख रविवार और 15 तारीख सोमवार को भी एकादशी पर्व मनाया जाएगा. 14 नवंबर को स्मार्त वर्ग मनाएगा और 15 तारीख को वैष्णव मनाएंगे. आज के ही शुभ दिन से पंढरपुर यात्रा प्रारंभ होती है और चातुर्मास समाप्त हो जाता है. 14 नवंबर को पूर्वाभाद्र नक्षत्र हर्षण योग विश्व कुंभकरण और कुंभ राशि में यह पर्व मनाया जाएगा 15 नवंबर को उत्तराभाद्र नक्षत्र वज्र योग विश्व कुंभकरण का शुभ प्रभाव पड़ रहा है. इस दिन चंद्रमा मीन राशि में विराजमान रहेंगे. प्रबोधिनी एकादशी का पावन पर्व ऋतु परिवर्तन का एक महान पर्व है. इस दिन तुलसी पूजा करके पटाखे आतिशबाजी और घर को दिया और प्रकाश से रोशन किया जाता है. इसे छोटी दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है. आंख में उल्लास उमंग और शुभता का आगमन हो जाता है. इस दिन सर्वार्थसिद्धि रवि योग जैसे दो महत्वपूर्ण योग बन रहे हैं. यह अपने आप में बहुत ही शुभ है.
नवंबर माह में 4 विवाह के मुहूर्त
देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर महीने में विवाह के 4 विशेष मुहूर्त बन रहे हैं, जिसमें पहला मुहूर्त शनिवार 20 नवंबर रोहिणी नक्षत्र का बन रहा है. इसके बाद दूसरा मुहूर्त 21 नवंबर रविवार मृगशिरा नक्षत्र में बन रहा है. तीसरा मुहूर्त 28 नवंबर रविवार उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के शुभ प्रभाव में है. चौथा शुभ मुहूर्त 30 नवंबर मंगलवार हस्त नक्षत्र को स्थापित हो रहा है.
खरमास में नहीं होता कोई शुभ कार्य
वहीं, दिसंबर माह में भी विवाह के चार शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. 16 दिसंबर से खरमास प्रारंभ हो रहा है. यहां से 1 महीने तक विवाह कार्य बंद हो जाते हैं, मकर संक्रांति 14 जनवरी 2022 तक खरमास रहने से विवाह मुहूर्त बंद रहेंगे. दिसंबर मास में चार महत्वपूर्ण वैवाहिक मुहूर्त योग हैं. पहला 1 दिसंबर 2021 बुधवार स्वाति नक्षत्र में है. दूसरा मुहूर्त 7 दिसंबर मंगलवार उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में है. तीसरा मुहूर्त 11 दिसंबर 2021 शनिवार उत्तराभाद्र नक्षत्र में स्थापित है. चौथा शुभ मुहूर्त 13 दिसंबर 2021 सोमवार रेवती नक्षत्र में बन रहा है. इन तिथियों पर शुभ विवाह करना उचित माना गया.