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सावन सोमवारः यहां शिवलिंग पर एक लाख चावल चढ़ाने से मिलता है एक लाख बार पूजा करने का फल

लक्ष्मणेश्वर मंदिर में शिवलिंग पर एक लाख चावल के दाने चढ़ाने से एक लाख शिवलिंग की पूजा करना माना जाता है. यहां सावन के आखिरी सोमवार को सुबह से भक्तों की भीड़ लगी रही.

शिवालयों में जलाभिषेक करने कांवरियों की लंबी कतार
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Published : Aug 12, 2019, 9:48 PM IST

Updated : Aug 12, 2019, 9:59 PM IST

जांजगीर-चांपा/अभनपुर: सावन के आखिरी सोमवार को जिले के शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहा. शिवालयों में जलाभिषेक करने के लिए कांवरियों की लंबी कतार नजर आई.

आखिरी सावन सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़

जांजगीर-चांपा के एक लाख छिद्रों वाले शिवलिंग के दर्शन के लिए सुबह से भी भक्तों की भीड़ लगी रही. कहते हैं, इस शिवलिंग की स्थापना भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने कराया था.

devotees give water bath to shivling
शिवालयों में जलाभिषेक करने कांवरियों की लंबी कतार

मान्यता है कि इस शिवालय में एक लाख चावल के दाने चढ़ाने से एक लाख शिवलिंग की एक साथ पूजा करना माना जाता है. इस शिवालय के निर्माण का उद्देश्य क्षय रोगों से जूझ रहे रोगियों को रोगमुक्त करना था. यहां कि खासियत है कि निःसंतान दंपत्तियों की मनोकामनां जरूर पूरी होती है.

यहां उत्पन्न हुए थे चम्पेश्वर महादेव
अभनपुर के चंपारण में प्रसिद्ध चम्पेश्वर मंदिर में भी आज आखिरी सावन सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. महादेव की इस मंदिर की विशेषता है कि चम्पेश्वर महादेव स्वयंम्भू हैं, जो खुद से उत्पन्न हुए है. साथ ही शिवजी त्रिमूर्ति है जिसमें पार्वती, शंकर और गणेश एक साथ विराजमान हैं.

वल्लभाचार्य का है जन्म स्थल
ऐसी मान्यता है कि वल्लभ सम्प्रदाय के प्रचारक वल्लभाचार्य का जन्म यहीं हुआ था. उनके पिता लक्ष्मण भठ्ठ और माता जब यहां शिव के दर्शन के लिए आए थे, तभी उनका जन्म हुआ. इसके बाद वह वल्लभ सम्प्रदाय के प्रचारक बन गए. कहा जाता है कि वल्लभाचार्य मंदिर के दर्शन के पहले श्रद्धालुओं को शिवजी का दर्शन करना होता है.

जांजगीर-चांपा/अभनपुर: सावन के आखिरी सोमवार को जिले के शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहा. शिवालयों में जलाभिषेक करने के लिए कांवरियों की लंबी कतार नजर आई.

आखिरी सावन सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़

जांजगीर-चांपा के एक लाख छिद्रों वाले शिवलिंग के दर्शन के लिए सुबह से भी भक्तों की भीड़ लगी रही. कहते हैं, इस शिवलिंग की स्थापना भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने कराया था.

devotees give water bath to shivling
शिवालयों में जलाभिषेक करने कांवरियों की लंबी कतार

मान्यता है कि इस शिवालय में एक लाख चावल के दाने चढ़ाने से एक लाख शिवलिंग की एक साथ पूजा करना माना जाता है. इस शिवालय के निर्माण का उद्देश्य क्षय रोगों से जूझ रहे रोगियों को रोगमुक्त करना था. यहां कि खासियत है कि निःसंतान दंपत्तियों की मनोकामनां जरूर पूरी होती है.

यहां उत्पन्न हुए थे चम्पेश्वर महादेव
अभनपुर के चंपारण में प्रसिद्ध चम्पेश्वर मंदिर में भी आज आखिरी सावन सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. महादेव की इस मंदिर की विशेषता है कि चम्पेश्वर महादेव स्वयंम्भू हैं, जो खुद से उत्पन्न हुए है. साथ ही शिवजी त्रिमूर्ति है जिसमें पार्वती, शंकर और गणेश एक साथ विराजमान हैं.

वल्लभाचार्य का है जन्म स्थल
ऐसी मान्यता है कि वल्लभ सम्प्रदाय के प्रचारक वल्लभाचार्य का जन्म यहीं हुआ था. उनके पिता लक्ष्मण भठ्ठ और माता जब यहां शिव के दर्शन के लिए आए थे, तभी उनका जन्म हुआ. इसके बाद वह वल्लभ सम्प्रदाय के प्रचारक बन गए. कहा जाता है कि वल्लभाचार्य मंदिर के दर्शन के पहले श्रद्धालुओं को शिवजी का दर्शन करना होता है.

Intro:ऐंकर- जांजगीर-चांपा जिले मे सावन के आखिरी सोमवार के अवसर पर शिवालयो मे जलाभिषेक करने भक्त उमड़ पड़े जिले के शिवलयों मे आधीरात से ही शिव भक्तों की लंबी कतार नजर आई। खासकर छत्तीसगढ़ के काशी के रूप मे विख्यात खरौद नगर मे एक लाख छिद्रों वाले  अनोखा शिवलिंग  मे जलाभिषेक करने दूर दूर से भक्त पहुॅचे। मान्यता है कि इस शिवलिंग की पूजा से लाख शिवलिंगों के पूजा का पूण्य लाभ मिलता है। इस लक्षमणेश्वर मंदिर से जुड़ी किमवदंती के अनुसार भगवान राम ने खर और दूषण के वध के बाद भाई लक्षमण के कहने पर इस मंदिर की स्थापना की थी। यहॉ के शिवलिंग मे सवा लाख दाने चावल चढ़ाया जाता है जिसकी पीछे मान्यता है कि इससे निःसंतान दपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है सारे मनोरथ पूरे होते हैं वही इस शिवलिग के दर्शन मात्र से ही क्षय रोग पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। 

Body:बाईट-1 नागेन्द्र मिश्रा मुख्य पुजारी

बाईट-2 पुष्पेन्द्र कुमार पुजारी

बाईट-3 अर्चना राठौर श्रद्धालूConclusion:
Last Updated : Aug 12, 2019, 9:59 PM IST
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