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SPECIAL: कोरोना से वापस लौट रही भारतीय संस्कृति, अब भगवान से भी भक्त बना रहे सोशल डिस्टेंसिंग - temples of raipur

अनलॉक में मंदिर तो खुले हैं, लेकिन नए नियमों के साथ मंदिरों में पूजा-अर्चना हो रही है. अब भक्त भगवान की मूर्ति को छू नहीं सकते और ना ही मंदिर में बिना हाथ-पैर धोए प्रवेश कर सकते हैं. संत और पुजारी इस पहल को काफी अच्छा बता रहे हैं.

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कोरोना ने बदले मंदिर के नियम
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Published : Jul 20, 2020, 2:15 PM IST

रायपुर: लॉकडाउन के कारण बंद हुए मंदिर अनलॉक में एक नए रंग-रूप के साथ खुले हैं. अब मंदिर में भक्त बिना मास्क के एंट्री नहीं कर सकते. वहीं पहले की तरह भक्तों की कतारें भी मंदिर में नहीं लग रही हैं. इन सबके अलावा और भी कई चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है. जैसे अब भक्त बिना हाथ-पैर धोए मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते. इन सब नियमों को जानकार एक अच्छी पहल बता रहे हैं.


मंदिर में भगवान की प्रतिमा को छूने की मनाही

मंदिर पहुंच रहे भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ रहा है. भीड़ एकत्रित ना हो इसके लिए 4 से 6 लोगों को ही एक समय में मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि अब भक्त सिर्फ भगवान के दर्शन कर सकते हैं, पहले की तरह भगवान की प्रतिमा को छूने की अनुमति नहीं है.

कोरोना से वापस लौट रही भारतीय संस्कृति

पढ़ें: SPECIAL: विकराल बाढ़ में भी नहीं डूबता नाथल दाई का मंदिर, चरण छूकर वापस नीचे चला जाता है पानी


माज के लिए अच्छा संदेश

संत महासभा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी राजेश्वरानंद का कहना है कि भारतीय धर्म और संस्कृति में घर के अंदर घुसने और मंदिर में प्रवेश करने से पहले हाथ-पैर धोने की परंपरा रही है, जो लुप्त हो गई थी. लेकिन अब ये परंपरा फिर से जीवित हो गई है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मंदिर में भक्तों के पहुंचने की संख्या पहले से काफी कम हो गई है. जो भक्त मंदिर पहुंच भी रहे हैं, वह सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूजा कर रहे हैं.

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कोरोना से वापस लौट रही भारतीय संस्कृति

भारतीय धर्म और संस्कृति फिर से हुई जीवित

वहीं दूसरे पुजारियों का कहना है कि यह जितने भी बदलाव कोविड-19 को देखकर मंदिरों में किए गए हैं, वह बेहद जरूरी थे और आगे के लिए बेहद अच्छे हैं. इसी बदलाव के साथ आगे भी मंदिरों में पूजा की जाएगी और यह बेहद जरूरी है. पहले की परंपरा रही है कि शुद्ध होने के बाद ही भगवान की पूजा की जाती थी, लेकिन लोगों ने इस परंपरा को भुला दिया था. उन्होंने बताया कि लोगों के मन में भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है.

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भगवान और भक्तों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग

पढ़ें: SPECIAL: बैलगाड़ी से बिलासपुर पहुंचे थे अष्टमुखी शिव, 100 लोगों ने मिलकर उठाई थी प्रतिमा

बाजार के प्रसाद को मंदिर में चढ़ाने की मनाही

कोरोना काल में पहले के मुकाबले अब मंदिरों में भगवान की पूजा के दौरान काफी बदलाव आए हैं. पहले भक्त पूजा के बाद भी मंदिर प्रांगण में मन की शांति के लिए बैठे रहते थे, लेकिन अब मंदिर के पुजारी ही उन्हें ज्यादा देर मंदिर में बैठने नहीं दे रहे हैं. भक्तों को जल्द से जल्द दर्शन कर वापस लौटाया जा रहा है. वहीं पहले जहां बाजारों से लाया प्रसाद मंदिर में चढ़ाया जाता था, लेकिन अब भक्तों को घर में बना प्रसाद ही मंदिर लाने का आग्रह किया जा रहा है, ताकि भक्तों को बांटा जाने वाला प्रसाद संक्रमण मुक्त हो और कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.

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कोरोना वायरस ने बदले मंदिर के नियम

पढ़ें: राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दी हरेली तिहार की बधाई

बता दें कि सरकार की गाइललाइन्स के अनुसार मंदिरों में मास्क पहनकर आना, सोशल डिस्टेंसिंग और ज्यादा भीड़ जमा ना करने के निर्देश जारी किए गए हैं. जिसका मंदिरों में पालन किया जा रहा है. वहीं मंदिर प्रांगण को दिन में दो बार सैनिटाइज किया जा रहा है, ताकि कोरोना का खतरा कम से कम रहे. मंदिर के अंदर आने से पहले भक्तों को सैनिटाइज किया जा रहा है. भगवान को दूर से ही फल और फूल अर्पित किए जा रहे हैं. इस दौरान पुजारियों को भी मास्क पहन कर पूजा करना अनिवार्य किया गया है.

रायपुर: लॉकडाउन के कारण बंद हुए मंदिर अनलॉक में एक नए रंग-रूप के साथ खुले हैं. अब मंदिर में भक्त बिना मास्क के एंट्री नहीं कर सकते. वहीं पहले की तरह भक्तों की कतारें भी मंदिर में नहीं लग रही हैं. इन सबके अलावा और भी कई चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है. जैसे अब भक्त बिना हाथ-पैर धोए मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते. इन सब नियमों को जानकार एक अच्छी पहल बता रहे हैं.


मंदिर में भगवान की प्रतिमा को छूने की मनाही

मंदिर पहुंच रहे भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ रहा है. भीड़ एकत्रित ना हो इसके लिए 4 से 6 लोगों को ही एक समय में मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि अब भक्त सिर्फ भगवान के दर्शन कर सकते हैं, पहले की तरह भगवान की प्रतिमा को छूने की अनुमति नहीं है.

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संत महासभा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी राजेश्वरानंद का कहना है कि भारतीय धर्म और संस्कृति में घर के अंदर घुसने और मंदिर में प्रवेश करने से पहले हाथ-पैर धोने की परंपरा रही है, जो लुप्त हो गई थी. लेकिन अब ये परंपरा फिर से जीवित हो गई है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मंदिर में भक्तों के पहुंचने की संख्या पहले से काफी कम हो गई है. जो भक्त मंदिर पहुंच भी रहे हैं, वह सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूजा कर रहे हैं.

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भारतीय धर्म और संस्कृति फिर से हुई जीवित

वहीं दूसरे पुजारियों का कहना है कि यह जितने भी बदलाव कोविड-19 को देखकर मंदिरों में किए गए हैं, वह बेहद जरूरी थे और आगे के लिए बेहद अच्छे हैं. इसी बदलाव के साथ आगे भी मंदिरों में पूजा की जाएगी और यह बेहद जरूरी है. पहले की परंपरा रही है कि शुद्ध होने के बाद ही भगवान की पूजा की जाती थी, लेकिन लोगों ने इस परंपरा को भुला दिया था. उन्होंने बताया कि लोगों के मन में भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है.

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कोरोना काल में पहले के मुकाबले अब मंदिरों में भगवान की पूजा के दौरान काफी बदलाव आए हैं. पहले भक्त पूजा के बाद भी मंदिर प्रांगण में मन की शांति के लिए बैठे रहते थे, लेकिन अब मंदिर के पुजारी ही उन्हें ज्यादा देर मंदिर में बैठने नहीं दे रहे हैं. भक्तों को जल्द से जल्द दर्शन कर वापस लौटाया जा रहा है. वहीं पहले जहां बाजारों से लाया प्रसाद मंदिर में चढ़ाया जाता था, लेकिन अब भक्तों को घर में बना प्रसाद ही मंदिर लाने का आग्रह किया जा रहा है, ताकि भक्तों को बांटा जाने वाला प्रसाद संक्रमण मुक्त हो और कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.

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बता दें कि सरकार की गाइललाइन्स के अनुसार मंदिरों में मास्क पहनकर आना, सोशल डिस्टेंसिंग और ज्यादा भीड़ जमा ना करने के निर्देश जारी किए गए हैं. जिसका मंदिरों में पालन किया जा रहा है. वहीं मंदिर प्रांगण को दिन में दो बार सैनिटाइज किया जा रहा है, ताकि कोरोना का खतरा कम से कम रहे. मंदिर के अंदर आने से पहले भक्तों को सैनिटाइज किया जा रहा है. भगवान को दूर से ही फल और फूल अर्पित किए जा रहे हैं. इस दौरान पुजारियों को भी मास्क पहन कर पूजा करना अनिवार्य किया गया है.

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