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नवा रायपुर में मृत किसान का शव रखकर प्रदर्शन, लखीमपुरखीरी की तरह मुआवजा देने की मांग

Nava Raipur Farmers strike for compensation: नवा रायपुर में किसान की मौत के बाद किसानों का प्रदर्शन आक्रामक होता जा रहा है. किसान शव रखकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

Demonstration of farmers in Nava Raipur
नवा रायपुर में मृत किसान का शव रखकर प्रदर्शन
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Published : Mar 12, 2022, 2:02 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में आंदोलन के दौरान किसान की मौत के बाद अब मुआवजे को लेकर किसान धरने पर बैठ गए हैं. किसान बरोदा में मृत किसान सियाराम पटेल के शव को रख कर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि मृत किसान को छत्तीसगढ़ सरकार उत्तर प्रदेश के लखीमपुरखीरी के किसानों को जिस तरह से मुआवजा दिया गया है. वैसा ही मुआवजा मृत किसान के परिजनों की दिया जाए. हजारों की तादाद में बैठे किसानों के आक्रोश को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.

नवा रायपुर में मुआवजे को लेकर किसानों का धरना

शुक्रवार को नवा रायपुर में मंत्रालय तक किसान मार्च का आयोजन किया गया था. किसान मंत्रालय पहुंच पाते इससे पहले पुलिस ने किसानों को बीच रास्ते में ही रोक दिया. इसी बीच बरोदा गांव के रहने वाले 66 साल के किसान सियाराम पटेल बेहोश होकर गिर पड़े जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. उसके बाद से हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. किसान नेता रुपन चंद्राकर ने बताया कि "वे एनआरडीए के सामने शव रखकर श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें अनुमति नहीं दी. इसके साथ ही सरकार ने महज 4 लाख रुपये ही मृतक किसान के परिजनों को मुआवजा राशि देने की बात कही है, लेकिन हम लखीमपुर खीरी की तरह मुआवजे की मांग कर रहे हैं'. किसानों के आक्रोश को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. रायपुर ग्रामीण एडिशनल एसपी कीर्तन राठौड़ ने बताया कि 'नया रायपुर में करीब 800 जवान तैनात किए गए हैं, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके.

बिलासपुर में फोन पर विवाद के बाद पत्नी ने लगाई फांसी, पति ने खुद को मारी गोली


नवा रायपुर में 800 पुलिस बल तैनात

पिछले 69 दिनों से 27 गांव के नवा रायपुर परियोजना प्रभावित किसानों का आंदोलन जारी है. उनकी मांग है कि जिन किसानों की जमीन ली गई है. उन किसानों को पुनर्वास का पैकेज दिया जाए. जिन किसानों ने मुआवजा ले लिया है. उनको वार्षिकी राशि 15000 एकड़ की दर से दी जाए. इसमें हर साल 750 रुपये की बढ़ोतरी होती जाए. आगे भी जिनकी जमीन लेनी है उसमें कानून का पालन हो और 27 गांव में नगरी क्षेत्र की अधिसूचना तत्काल रद्द की जाए. किसानों के इस प्रदर्शन को प्रदेश के कई किसान संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है. शासन ने किसानों की कई मांगों पर सहमति भी जताई. लेकिन किसान अब भी अपनी मुख्य मांग को लेकर अड़े हुए हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में आंदोलन के दौरान किसान की मौत के बाद अब मुआवजे को लेकर किसान धरने पर बैठ गए हैं. किसान बरोदा में मृत किसान सियाराम पटेल के शव को रख कर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि मृत किसान को छत्तीसगढ़ सरकार उत्तर प्रदेश के लखीमपुरखीरी के किसानों को जिस तरह से मुआवजा दिया गया है. वैसा ही मुआवजा मृत किसान के परिजनों की दिया जाए. हजारों की तादाद में बैठे किसानों के आक्रोश को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.

नवा रायपुर में मुआवजे को लेकर किसानों का धरना

शुक्रवार को नवा रायपुर में मंत्रालय तक किसान मार्च का आयोजन किया गया था. किसान मंत्रालय पहुंच पाते इससे पहले पुलिस ने किसानों को बीच रास्ते में ही रोक दिया. इसी बीच बरोदा गांव के रहने वाले 66 साल के किसान सियाराम पटेल बेहोश होकर गिर पड़े जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. उसके बाद से हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. किसान नेता रुपन चंद्राकर ने बताया कि "वे एनआरडीए के सामने शव रखकर श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें अनुमति नहीं दी. इसके साथ ही सरकार ने महज 4 लाख रुपये ही मृतक किसान के परिजनों को मुआवजा राशि देने की बात कही है, लेकिन हम लखीमपुर खीरी की तरह मुआवजे की मांग कर रहे हैं'. किसानों के आक्रोश को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. रायपुर ग्रामीण एडिशनल एसपी कीर्तन राठौड़ ने बताया कि 'नया रायपुर में करीब 800 जवान तैनात किए गए हैं, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके.

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नवा रायपुर में 800 पुलिस बल तैनात

पिछले 69 दिनों से 27 गांव के नवा रायपुर परियोजना प्रभावित किसानों का आंदोलन जारी है. उनकी मांग है कि जिन किसानों की जमीन ली गई है. उन किसानों को पुनर्वास का पैकेज दिया जाए. जिन किसानों ने मुआवजा ले लिया है. उनको वार्षिकी राशि 15000 एकड़ की दर से दी जाए. इसमें हर साल 750 रुपये की बढ़ोतरी होती जाए. आगे भी जिनकी जमीन लेनी है उसमें कानून का पालन हो और 27 गांव में नगरी क्षेत्र की अधिसूचना तत्काल रद्द की जाए. किसानों के इस प्रदर्शन को प्रदेश के कई किसान संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है. शासन ने किसानों की कई मांगों पर सहमति भी जताई. लेकिन किसान अब भी अपनी मुख्य मांग को लेकर अड़े हुए हैं.

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