ETV Bharat / state

छत्तीसगढ़ में कृष्ण भ्रमण पथ निर्माण की मांग तेज, क्या शुरू होगा निर्माण !

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के बाद अब कृष्ण भ्रमण पथ निर्माण की मांग की जा रही है. सीएम बघेल के बयान के बाद ये चर्चा तेज हो गई है कि राम ही नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण का भी छत्तीसगढ़ से नाता (Demand for construction of Krishna tour path in Chhattisgarh ) था. इसलिए छत्तीसगढ़ में कृष्ण भ्रमण पथ निर्माण में तेजी आनी चाहिए.

Krishna excursion path construction
कृष्ण भ्रमण पथ का निर्माण
author img

By

Published : Aug 6, 2022, 8:21 PM IST

Updated : Aug 6, 2022, 11:52 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में अब तक राम गमन पथ और कौशल्या मंदिर के निर्माण की चर्चा थी. लेकिन इन दिनों भगवान श्री कृष्ण के छत्तीसगढ़ प्रवास को लेकर चर्चा तेज हो गई है. इस चर्चा को तब और बल मिल गया, जब भगवान श्री कृष्ण आरंग आए थे. यह बात कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस (एआईपीसी) नेशनल कॉन्क्लेव में कही. यह आयोजन रायपुर के दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में किया गया था. कार्यक्रम के बाद जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि आप लोग इसे पढ़िए तो पता चलेगा.

कृष्ण को लेकर भी जुड़ी है मान्यताएं: जहां तक लोकमान्यताओं का सवाल है. राम ही नहीं कृष्ण को लेकर भी मान्यताएं छत्तीसगढ़ से जुड़ी है. राम ही नहीं कृष्ण भी यहां आए है. महामाया मंदिर के पुरोहित मनोज शुक्ला कहते हैं कि एक मान्यता के मुताबिक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 35 किलोमीटर दूर स्थित आरंग और बिलासपुर के रतनपुर में दोनों स्थानों पर मोरध्वज की नगरी होने और श्रीकृष्ण-अर्जुन प्रवास की बात की जाती है. कहते हैं कि आरंग का नाम लकड़ी चीरने वाले आरे पर ही रखा गया है. इसकी उत्पत्ति राजा मोरध्वज के अपने बेटे ताम्रध्वज को आरे से काटने वाली घटना से ही है.

कृष्ण भ्रमण पथ का निर्माण

कृष्ण और अर्जुन से जुड़ी कथा: इस विषय में पंडित मनोज शुक्ला कहते हैं कि, "बिलासपुर से 25 किलोमीटर दूर स्थित रतनपुर में एक तालाब का नाम कृष्णार्जुनी है. कृष्ण और अर्जुन को मिलाकर नाम रखा गया है. ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण जब अर्जुन को राजा मोरध्वज की दानवीरता और ईश्वर भक्ति दिखाने साधु वेश में लाए तो उन्होंने इसी तालाब के किनारे डेरा डाला. एक कथा यह भी प्रचलित है कि युधिवीर के अनुमेघ यज्ञ का घोड़ा इसी तालाब के किनारे मोरध्वज के बेटे ताम्रध्वज ने पकड़ लिया और घोड़े के पीछे चल रहे अर्जुन से उसका युद्ध हुआ.

आरंग और रतनपुर में कराना चाहिए उत्खनन: इस विषय में पुरातत्वविद रमेंद्रनाथ मिश्र कहते हैं, "आरंग छत्तीसगढ़ का का सबसे पुराना शहर है. यहां लगभग ढाई हजार साल पुराने सिक्के भी मिले थे. यहां रामायण और महाभारत दोनों युग की चर्चा है. ऐसे में इसकी पुष्टि के लिए छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग को आरंग और रतनपुर में उत्खनन कराना चाहिए, जिससे इससे संबंधित जानकारी सामने आ सके. इन बातों की पुष्टि हम तभी कर पाएंगे, जब उधर उत्खनन का काम हो और उससे जुड़े अवशेष मिले."

उत्खनन से मिलेगी जानकारियां: इस विषय में रमेंद्रनाथ मिश्र कहते हैं कि "जिस तरह राम गमन पथ का भी उत्खनन के माध्यम से ही बात सामने लाई गई थी, इसके भी कोई पहले प्रमाण नहीं थे. कौशल्या मंदिर को लेकर भी बात सामने आई है और इसका पता तभी चलेगा, जब इन जगहों पर उत्खनन किया जाए. इसलिए इन जगहों का उत्खनन कर इन बातों की भी खोज की जानी चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को इसकी जानकारी दी जा सके. यदि पुरातत्व विभाग द्वारा इधर उत्खनन किया जाता है तो बहुत सारी जानकारी सामने आ सकती है."

यह भी पढ़ें: भगवान कृष्ण आए थे आरंग: सीएम भूपेश बघेल

सरकार से की अपील: आगे रमेंद्रनाथ मिश्र कहते हैं कि "राजा मोरध्वज की कथा में यहां श्रीकृष्ण प्रवास है, लेकिन इसे प्रमाणित करने को ऐतिहासिक तथ्य नहीं है. यदि इससे जुड़े तथ्य का पता करना है तो आरंग सहित रतनपुर में उन जगहों पर खुदाई करवानी होगी. पुरातत्व विभाग द्वारा यदि इन जगहों पर उत्खनन किया जाए तो आरंग में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन से जुड़े कई तथ्य भी मिल सकते हैं, जिससे इन पंक्तियों की मान्यताओं पर प्रकाश डाला जा सकता है. सरकार से मांग है कि इन जगहों पर उत्खनन कराएं जिससे भगवान श्री कृष्ण से जुड़े तक मिल सके."

वैष्णव संप्रदाय भी इस सच को करता है स्वीकार: बता दें कि श्रीकृष्ण की कथाओं और लीलाओं को दिखाती प्रतिमाओं के पैनल बड़ी तादाद में छत्तीसगढ़ में मिलते हैं. वैष्णव संप्रदाय भी यह मानता है कि श्रीकृष्ण यहां आए थे. दंत कथाओं के जरिए ही हम इस बात की तसल्ली कर सकते हैं कि श्रीकृष्ण के कदमों ने हमारे छत्तीसगढ़ को भी पावन किया है. लोकमान्यताओं का कोई प्रमाण नहीं होता लेकिन मान्यताएं तो मान्यताएं हैं. उन मान्यताओं के आधार पर यदि खोजबीन की जाए, खुदाई की जाए तो इन घटनाओं के प्रमाण भी मिल सकते हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में अब तक राम गमन पथ और कौशल्या मंदिर के निर्माण की चर्चा थी. लेकिन इन दिनों भगवान श्री कृष्ण के छत्तीसगढ़ प्रवास को लेकर चर्चा तेज हो गई है. इस चर्चा को तब और बल मिल गया, जब भगवान श्री कृष्ण आरंग आए थे. यह बात कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस (एआईपीसी) नेशनल कॉन्क्लेव में कही. यह आयोजन रायपुर के दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में किया गया था. कार्यक्रम के बाद जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि आप लोग इसे पढ़िए तो पता चलेगा.

कृष्ण को लेकर भी जुड़ी है मान्यताएं: जहां तक लोकमान्यताओं का सवाल है. राम ही नहीं कृष्ण को लेकर भी मान्यताएं छत्तीसगढ़ से जुड़ी है. राम ही नहीं कृष्ण भी यहां आए है. महामाया मंदिर के पुरोहित मनोज शुक्ला कहते हैं कि एक मान्यता के मुताबिक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 35 किलोमीटर दूर स्थित आरंग और बिलासपुर के रतनपुर में दोनों स्थानों पर मोरध्वज की नगरी होने और श्रीकृष्ण-अर्जुन प्रवास की बात की जाती है. कहते हैं कि आरंग का नाम लकड़ी चीरने वाले आरे पर ही रखा गया है. इसकी उत्पत्ति राजा मोरध्वज के अपने बेटे ताम्रध्वज को आरे से काटने वाली घटना से ही है.

कृष्ण भ्रमण पथ का निर्माण

कृष्ण और अर्जुन से जुड़ी कथा: इस विषय में पंडित मनोज शुक्ला कहते हैं कि, "बिलासपुर से 25 किलोमीटर दूर स्थित रतनपुर में एक तालाब का नाम कृष्णार्जुनी है. कृष्ण और अर्जुन को मिलाकर नाम रखा गया है. ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण जब अर्जुन को राजा मोरध्वज की दानवीरता और ईश्वर भक्ति दिखाने साधु वेश में लाए तो उन्होंने इसी तालाब के किनारे डेरा डाला. एक कथा यह भी प्रचलित है कि युधिवीर के अनुमेघ यज्ञ का घोड़ा इसी तालाब के किनारे मोरध्वज के बेटे ताम्रध्वज ने पकड़ लिया और घोड़े के पीछे चल रहे अर्जुन से उसका युद्ध हुआ.

आरंग और रतनपुर में कराना चाहिए उत्खनन: इस विषय में पुरातत्वविद रमेंद्रनाथ मिश्र कहते हैं, "आरंग छत्तीसगढ़ का का सबसे पुराना शहर है. यहां लगभग ढाई हजार साल पुराने सिक्के भी मिले थे. यहां रामायण और महाभारत दोनों युग की चर्चा है. ऐसे में इसकी पुष्टि के लिए छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग को आरंग और रतनपुर में उत्खनन कराना चाहिए, जिससे इससे संबंधित जानकारी सामने आ सके. इन बातों की पुष्टि हम तभी कर पाएंगे, जब उधर उत्खनन का काम हो और उससे जुड़े अवशेष मिले."

उत्खनन से मिलेगी जानकारियां: इस विषय में रमेंद्रनाथ मिश्र कहते हैं कि "जिस तरह राम गमन पथ का भी उत्खनन के माध्यम से ही बात सामने लाई गई थी, इसके भी कोई पहले प्रमाण नहीं थे. कौशल्या मंदिर को लेकर भी बात सामने आई है और इसका पता तभी चलेगा, जब इन जगहों पर उत्खनन किया जाए. इसलिए इन जगहों का उत्खनन कर इन बातों की भी खोज की जानी चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को इसकी जानकारी दी जा सके. यदि पुरातत्व विभाग द्वारा इधर उत्खनन किया जाता है तो बहुत सारी जानकारी सामने आ सकती है."

यह भी पढ़ें: भगवान कृष्ण आए थे आरंग: सीएम भूपेश बघेल

सरकार से की अपील: आगे रमेंद्रनाथ मिश्र कहते हैं कि "राजा मोरध्वज की कथा में यहां श्रीकृष्ण प्रवास है, लेकिन इसे प्रमाणित करने को ऐतिहासिक तथ्य नहीं है. यदि इससे जुड़े तथ्य का पता करना है तो आरंग सहित रतनपुर में उन जगहों पर खुदाई करवानी होगी. पुरातत्व विभाग द्वारा यदि इन जगहों पर उत्खनन किया जाए तो आरंग में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन से जुड़े कई तथ्य भी मिल सकते हैं, जिससे इन पंक्तियों की मान्यताओं पर प्रकाश डाला जा सकता है. सरकार से मांग है कि इन जगहों पर उत्खनन कराएं जिससे भगवान श्री कृष्ण से जुड़े तक मिल सके."

वैष्णव संप्रदाय भी इस सच को करता है स्वीकार: बता दें कि श्रीकृष्ण की कथाओं और लीलाओं को दिखाती प्रतिमाओं के पैनल बड़ी तादाद में छत्तीसगढ़ में मिलते हैं. वैष्णव संप्रदाय भी यह मानता है कि श्रीकृष्ण यहां आए थे. दंत कथाओं के जरिए ही हम इस बात की तसल्ली कर सकते हैं कि श्रीकृष्ण के कदमों ने हमारे छत्तीसगढ़ को भी पावन किया है. लोकमान्यताओं का कोई प्रमाण नहीं होता लेकिन मान्यताएं तो मान्यताएं हैं. उन मान्यताओं के आधार पर यदि खोजबीन की जाए, खुदाई की जाए तो इन घटनाओं के प्रमाण भी मिल सकते हैं.

Last Updated : Aug 6, 2022, 11:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.