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दशमी श्राद्धः जानिए क्या होता है पंचबली भोग, क्यों ब्राह्मण भोजन से पहले ये है जरूरी

जिस व्यक्ति की मृत्यु शुक्ल या कृष्ण पक्ष (Shukla or Krishna Paksha) की दशमी तिथि (Dashmi tithi) को हुई है, उनका श्राद्ध (Sradh) पितृपक्ष (Pitri paksh) की दशमी तिथि (Dashmi tithi) को मनाया जाता है. इस दिन पंचबली भोज (Panchbali bhog) के साथ ब्राह्मणों (Brahmin) को आदर के साथ भोजन कराना चाहिए. इसके साथ ही दान-दक्षिणा (Daan dakshina) और कपड़ा देकर ब्राह्मण को विदा करने से पितरों को तृप्ति (Pitron ki tripti) मिलती है और पितर आशिर्वाद देते हैं.

dashami shradh on friday
शुक्रवार को दशमी श्राद्ध
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Published : Sep 30, 2021, 12:09 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 6:14 AM IST

रायपुरः हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का बहुत महत्व होता है. कहते हैं कि इन दिनों में पितर (Pitar) यमलोक (Yamlok) से धरती पर अपने प्रियजनों से मिलने आते हैं. ऐसे में पितरों की आत्मा को शांति और तृप्ति के लिए तर्पण और श्राद्ध (Tarpan aur sradh) आदि किया जाता है. ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके और तृप्त (Tript) होकर वापस लौट सकें. कहते हैं कि अगर सम्मान पूर्वक और विधि पूर्वक पितरों का श्राद्ध (Pitron ka Sharadh) किया जाए तो पितर अपने परिवारवालों को आशीर्वाद देकर जाते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

शुक्रवार को दशमी श्राद्ध

पितृ पक्ष के शुक्ल या कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को जिनकी मृत्यु हुई है, उनका श्राद्ध दशमी श्राद्ध (Dashmi sradh) के दिन किया जाता है. इस बार शुक्रवार 1 अक्टूबर को दशमी का श्राद्ध है.हालांकि दशमी तिथि 30 सितम्बर 10:08 बजे रात से 1 अक्टूबर 11:03 मिनट तक रहेगा.

वरदान साबित होगा पितृपक्ष में समस्त जीव जंतुओं को भोजन देना

शुक्रवार को दशमी श्राद्ध

हिंदू ग्रंथों के अनुसार दशमी तिथि के श्राद्ध के दिन सुबह स्नान के बाद भोजन की तैयारी करें. भोजन को पांच भागों में विभाजित करके ब्राह्मण भोज कराएं. श्राद्ध के दिन ब्राह्मण भोज से पहले पंचबली भोग लगाना जरूरी होता है. वरना श्राद्ध को पूरा नहीं माना जाता. पंचबली भोग में गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देव आते हैं. इन्हें भोग लगाने के बाद ही ब्राह्मण भोग लगाया जाता है. उन्हें दान-दक्षिणा देने के बाद सम्मान के साथ विदा किया जाता है. उसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें. एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि ब्राह्मणों के पैर हमेशा उन्हें बैठाकर आदर के साथ धोएं वरना पितर नाराज हो जाते हैं. श्राद्धकर्ता के पास धन, वस्त्र एवं अन्न का अभाव हो तो उसे गौ को शाक (साग) खिलाएं. ऐसा करके भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति की जाने की मान्यता है. कहा जाता है कि इस प्रकार का श्राद्ध-कर्म एक लाख गुना फल प्रदान करता है.

पितरों से करें प्रार्थना

शास्त्रों के अनुसार यदि आपके पास धन नहीं है तो भी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. एक खुले स्थान पर खड़े होकर दोनों हाथ ऊपर उठाएं और पितरों से कहें, “हे मेरे सभी पितृगण! मेरे पास श्राद्ध के निमित्त न धन है, न धान्य है, आपके लिए मात्र श्रद्धा है, अतः मैं आपको श्रद्धा-वचनों से तृप्त करना चाहता हूं. आप सब कृपया तृप्त हो जाएं.” अगर आप ऐसा कहते हैं तो भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति हो जाती है.

रायपुरः हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का बहुत महत्व होता है. कहते हैं कि इन दिनों में पितर (Pitar) यमलोक (Yamlok) से धरती पर अपने प्रियजनों से मिलने आते हैं. ऐसे में पितरों की आत्मा को शांति और तृप्ति के लिए तर्पण और श्राद्ध (Tarpan aur sradh) आदि किया जाता है. ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके और तृप्त (Tript) होकर वापस लौट सकें. कहते हैं कि अगर सम्मान पूर्वक और विधि पूर्वक पितरों का श्राद्ध (Pitron ka Sharadh) किया जाए तो पितर अपने परिवारवालों को आशीर्वाद देकर जाते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

शुक्रवार को दशमी श्राद्ध

पितृ पक्ष के शुक्ल या कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को जिनकी मृत्यु हुई है, उनका श्राद्ध दशमी श्राद्ध (Dashmi sradh) के दिन किया जाता है. इस बार शुक्रवार 1 अक्टूबर को दशमी का श्राद्ध है.हालांकि दशमी तिथि 30 सितम्बर 10:08 बजे रात से 1 अक्टूबर 11:03 मिनट तक रहेगा.

वरदान साबित होगा पितृपक्ष में समस्त जीव जंतुओं को भोजन देना

शुक्रवार को दशमी श्राद्ध

हिंदू ग्रंथों के अनुसार दशमी तिथि के श्राद्ध के दिन सुबह स्नान के बाद भोजन की तैयारी करें. भोजन को पांच भागों में विभाजित करके ब्राह्मण भोज कराएं. श्राद्ध के दिन ब्राह्मण भोज से पहले पंचबली भोग लगाना जरूरी होता है. वरना श्राद्ध को पूरा नहीं माना जाता. पंचबली भोग में गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देव आते हैं. इन्हें भोग लगाने के बाद ही ब्राह्मण भोग लगाया जाता है. उन्हें दान-दक्षिणा देने के बाद सम्मान के साथ विदा किया जाता है. उसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें. एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि ब्राह्मणों के पैर हमेशा उन्हें बैठाकर आदर के साथ धोएं वरना पितर नाराज हो जाते हैं. श्राद्धकर्ता के पास धन, वस्त्र एवं अन्न का अभाव हो तो उसे गौ को शाक (साग) खिलाएं. ऐसा करके भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति की जाने की मान्यता है. कहा जाता है कि इस प्रकार का श्राद्ध-कर्म एक लाख गुना फल प्रदान करता है.

पितरों से करें प्रार्थना

शास्त्रों के अनुसार यदि आपके पास धन नहीं है तो भी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. एक खुले स्थान पर खड़े होकर दोनों हाथ ऊपर उठाएं और पितरों से कहें, “हे मेरे सभी पितृगण! मेरे पास श्राद्ध के निमित्त न धन है, न धान्य है, आपके लिए मात्र श्रद्धा है, अतः मैं आपको श्रद्धा-वचनों से तृप्त करना चाहता हूं. आप सब कृपया तृप्त हो जाएं.” अगर आप ऐसा कहते हैं तो भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति हो जाती है.

Last Updated : Oct 1, 2021, 6:14 AM IST
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