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Joshimath: 1976 में हुई थी जोशीमठ के खतरे की भविष्यवाणी - Math Temple of Joshimath

जोशीमठ में भगवान नृसिंह मंदिर में दर्शन करने वाले इस भविष्यवाणी से परिचित ही हैं कि भविष्य में बदरीनाथ धाम विलुप्त हो जाएगा. Badrinath Dham जोशीमठ से 25 किलोमीटर दूर भविष्य बदरी में भगवान बदरीविशाल के दर्शन होंगे. अब Joshimath जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव और जमीन के नीचे से निकलने वाले पानी के नालों को भविष्यवाणी से इसे जोड़ कर देखा जा रहा है.

Joshimath cracks
जोशीमठ के खतरे की भविष्यवाणी
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Published : Jan 7, 2023, 10:27 AM IST

Updated : Jan 7, 2023, 10:52 AM IST

रायपुर/हैदराबाद: आादि गुरु शंकराचार्य की तपोभूमि भी भूधंसाव की जद में है. joshimath sinking नगर धीरे-धीरे अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अस्तित्व को खो रहा है. यही हाल रहा तो जोशीमठ के मठ मंदिर भी किस्से कहानियों का हिस्सा बनकर रह जाएंगे. Math Temple of Joshimath इसके लिए एक तरफ धार्मिक भविष्यवाणी है तो वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक कारण गिनाए जा रहे हैं. Joshimath पर आए इस खतरे को लेकर साल 1976 में भी भविष्यवाणी की गई थी. तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता वाली समिति ने एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें जोशीमठ पर खतरे का जिक्र किया गया था।

Joshimath cracks
सड़क पर पड़ी दरार

जोशीमठ पर क्यों बढ़ता जा रहा है खतरा: हिमालय की तलहटी में बसे जोशीमठ ने पिछले कुछ दशकों में अंधाधुंध निर्माण और जनसंख्या का विस्फोट दिखा है. सेंट्रल हिमालय पर मौजूद जोशीमठ का मेन सेंट्रल थ्रस्ट क्षेत्र में होना इसकी सबसे बड़ी वजह माना जा रही है. उत्तराखंड के ज्यादातर गांव 1900 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर बसे हुए हैं. यह गांव इंडियन और तिब्बतन प्लेट के बीच मौजूद उन क्षेत्रों में भी हैं, जो मेन सेंट्रल थ्रस्ट (बेहद कमजोर क्षेत्र) में मौजूद हैं. छोटे-छोटे भूकंप (Earthquake), पानी से भू कटाव को भी इस खतरे की बड़ी वजह माना जा रहा है. इसमें अलकनंदा और धौलीगंगा नदियां जोशीमठ शहर के नीचे की मिट्टी का कटान कर रही हैं.

Joshimath cracks
जोशीमठ ने 1976 में की थी भविष्यवाणी

उत्तराखंड के जोशीमठ में मकान पर गिरा मंदिर, दरारें लगातार हो रही चौड़ी

डेंजर जोन में बने भवनों को खाली करने के निर्देश: भूधंसाव को लेकर स्थानीय निवासियों ने चिंता जताई है. लोगों का कहना है कि घरों की दीवारों में दरारें आ गई हैं और क्षेत्र के 500 से अधिक घर इसकी जह में हैं. मख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अति संवेदनशील (डेंजर जोन) क्षेत्रों में बने भवनों को तत्काल खाली कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने प्रभावितों को भरोसा दिलाया है कि सरकार उनके साथ खड़ी है और चरणबद्ध ढंग से संवेदनशील जगहों से सबको शिफ्ट किया जाएगा.

जोशीमठ भू धंसाव: केंद्र सरकार ने बनाई 6 सदस्यीय अध्ययन समिति, सीएम धामी आज करेंगे दौरा

तीर्थयात्रियों के लिए विश्राम स्थल है पहाड़ी पर बसा यह शहर: जोशीमठ उत्तराखंड में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर बसा एक पहाड़ी शहर है. बद्रीनाथ, औली, फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब जाने वाले लोग यहां ठहरकर रात्रि विश्राम करते हैं.

रायपुर/हैदराबाद: आादि गुरु शंकराचार्य की तपोभूमि भी भूधंसाव की जद में है. joshimath sinking नगर धीरे-धीरे अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अस्तित्व को खो रहा है. यही हाल रहा तो जोशीमठ के मठ मंदिर भी किस्से कहानियों का हिस्सा बनकर रह जाएंगे. Math Temple of Joshimath इसके लिए एक तरफ धार्मिक भविष्यवाणी है तो वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक कारण गिनाए जा रहे हैं. Joshimath पर आए इस खतरे को लेकर साल 1976 में भी भविष्यवाणी की गई थी. तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता वाली समिति ने एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें जोशीमठ पर खतरे का जिक्र किया गया था।

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सड़क पर पड़ी दरार

जोशीमठ पर क्यों बढ़ता जा रहा है खतरा: हिमालय की तलहटी में बसे जोशीमठ ने पिछले कुछ दशकों में अंधाधुंध निर्माण और जनसंख्या का विस्फोट दिखा है. सेंट्रल हिमालय पर मौजूद जोशीमठ का मेन सेंट्रल थ्रस्ट क्षेत्र में होना इसकी सबसे बड़ी वजह माना जा रही है. उत्तराखंड के ज्यादातर गांव 1900 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर बसे हुए हैं. यह गांव इंडियन और तिब्बतन प्लेट के बीच मौजूद उन क्षेत्रों में भी हैं, जो मेन सेंट्रल थ्रस्ट (बेहद कमजोर क्षेत्र) में मौजूद हैं. छोटे-छोटे भूकंप (Earthquake), पानी से भू कटाव को भी इस खतरे की बड़ी वजह माना जा रहा है. इसमें अलकनंदा और धौलीगंगा नदियां जोशीमठ शहर के नीचे की मिट्टी का कटान कर रही हैं.

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जोशीमठ ने 1976 में की थी भविष्यवाणी

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डेंजर जोन में बने भवनों को खाली करने के निर्देश: भूधंसाव को लेकर स्थानीय निवासियों ने चिंता जताई है. लोगों का कहना है कि घरों की दीवारों में दरारें आ गई हैं और क्षेत्र के 500 से अधिक घर इसकी जह में हैं. मख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अति संवेदनशील (डेंजर जोन) क्षेत्रों में बने भवनों को तत्काल खाली कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने प्रभावितों को भरोसा दिलाया है कि सरकार उनके साथ खड़ी है और चरणबद्ध ढंग से संवेदनशील जगहों से सबको शिफ्ट किया जाएगा.

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तीर्थयात्रियों के लिए विश्राम स्थल है पहाड़ी पर बसा यह शहर: जोशीमठ उत्तराखंड में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर बसा एक पहाड़ी शहर है. बद्रीनाथ, औली, फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब जाने वाले लोग यहां ठहरकर रात्रि विश्राम करते हैं.

Last Updated : Jan 7, 2023, 10:52 AM IST
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