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छत्तीसगढ़ में सोशल साइट्स और एप के जरिए हो रही साइबर ठगी, एक्सपर्ट से जानिए बचना कैसे है ?

छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के बीच साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. पिछले 8 महीने में ऑनलाइन ठगी के मामले भी ज्यादा देखे गए हैं. साइबर ठग भोले-भाले लोगों को बहला फुसलाकर लाखों करोड़ों रूपये की चूना लगा देते हैं. अब साइबर अटैक से बचने के लिए पढ़िए पूरी खबर और जानिए डिजिटल चोरों से कैसे बच सकते हैं.

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छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा
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Published : Nov 19, 2020, 4:31 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 5:35 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के दौरान साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. लॉकडाउन के 8 महीनों के दौरान प्रदेश में ऑनलाइन ठगी के केस बढ़े हैं. छत्तीसगढ़ के पुलिस थानों में टेक्निकल स्टाफ की कमी की वजह से साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायतों का निराकरण जल्दी नहीं हो पा रहा है. सिर्फ राजधानी की बात करें तो यहां हर महीने 250 से ज्यादा साइबर क्राइम से जुड़े केस आते हैं.

छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा

साइबर ठग आईपीएस और मंत्री के अकाउंट को बना रहे निशाना

छत्तीसगढ़ में एक अलग ट्रेंड देखने को मिल रहा है. यहां नेताओं और अफसरों के नाम पर अपराधी लोगों को चूना लगाते हैं. यहां किसी नेता, मंत्री या अधिकारी के नाम से फर्जी सोशल अकाउंट बनाकर अपराधी रुपए ऐंठ रहे हैं. पिछले महीने ही छत्तीसगढ़ नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर पैसे मांगने का मामला सामने आया था.

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डिजिटल और अद्रश्य चोरों से जानिए कैसे बचें

छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे साइबर क्राइम के मामले, इन कारणों से मिल रहा बढ़ावा

इसी तरह आईपीएस अजय अग्रवाल के अकाउंट हैक होने का मामला भी कुछ समय पहले सामने आया था. अधिकारी अजय अग्रवाल ने खुद अपने अकाउंट के हैक होने की जानकारी दी थी. उनकी पोस्ट के बाद बाकी कई अधिकारियों ने भी फेसबुक अकाउंट हैक होने और पैसे की डिमांड की बात बताई थी.

एक्सपर्ट की बात रायपुर में दर्ज हुए पिछले कुछ मामलों से एकदम सही साबित होती है.

पहला मामला-

फेसबुक पर फर्जी आईडी बनाकर महिला से ठगी का मामला रायपुर के खमतराई थाना क्षेत्र में आया था. फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए चैट कर आरोपियों ने धीरे-धीरे महिला को विश्वास में लेकर उसका मोबाइल नंबर ले लिया. आरोपियों ने अपने आपको डॉक्टर बता कर पीड़िता का इलाज करने, गिफ्ट और पैसा भेजने के नाम पर ठगी की वारदात को अंजाम दिया था.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम का बढ़ा ग्राफ, अब व्हाट्सएप और फेसबुक से हो रही ब्लैकमेलिंग

आरोपियों ने 5 बार में पीड़िता के अकाउंट से 7,53,000 रुपए साफ कर दिया. आरोपियों ने अलग-अलग खातों के जरिए इस वारदात को अंजाम दिया था. जिसके बाद महिला ने रायपुर एसएसपी अजय यादव को इसकी शिकायत की थी. खमतराई पुलिस थाने में केस दर्ज हुआ थआ और रायपुर से पुलिस टीम 8 नवंबर को दिल्ली भेजी गई. रायपुर पुलिस और साइबर टाइम टीम रविवार को देर रात नाइजीरियन को रिमांड पर लेकर दिल्ली से रायपुर लेकर आई. पुलिस अफसर बताते हैं कि अपराधी ठगी के लिए अलग-अलग फोन नंबर और खाता नंबर इस्तेमाल करते हैं.

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ऑनलाइन ठगी से जानिए कैसे बचें

दूसरा मामला-

राजधानी रायपुर के जय स्तंभ चौक पर स्थित मंजू ममता रेस्टोरेंट के नाम से सोशल साइट्स फर्जी विज्ञापन देकर ऑनलाइन ठगी का मामला 26 अगस्त को सामने आया था. जिसमें 11 सितंबर को 2 अंतर राज्य शातिर ठगों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है. बता दें कि इन चोरों ने सोशल साइट पर फर्जी विज्ञापन देकर एक व्यक्ति से 11,000 की ऑनलाइन ठगी की थी. जिसके बाद प्रार्थी फारूक अहमद द्वारा मौदहापारा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.

जानें, क्या है साइबर अपराधियों की पहली पसंद 'ई-मेल फॉरवर्डर'

रायपुर एसएसपी अजय यादव ने साइबर एवं थाना मौदहापारा की विशेष टीम का गठन कर टीम को रवाना किया गया. टीम द्वारा ऑनलाइन रकम ट्रांसफर की जानकारी प्राप्त हुई कि रकम ट्रांसफर करने के लिए ई वॉलेट का इस्तेमाल किया गया है. टीम को अज्ञात आरोपियों के बिहार झारखंड के देवघर जिले में होने की जानकारी प्राप्त हुई जिसके आधार पर टीम को बिहार और झारखंड रवाना किया गया. टीम द्वारा 7 दिन तक लगातार कैंप कर आरोपी प्रमोद मंडल के घर में रेड की कार्रवाई कर गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त हुई. अभिषेक महेश्वरी झारखंड के जामताड़ा को इसका केंद्र बताते हैं.

इस तरह से आप हो सकते हैं ऑनलाइन ठगी का शिकार

  • एटीएम फ्रॉड: साइबर ठग एटीएम पिन जनरेट करने के नाम से या फिर कस्टमर केयर के नाम से लोगों को फोन करते हैं और कहते हैं कि आपका एटीएम कार्ड जल्दी ही बंद होने वाला है और आप अपना एटीएम नंबर बताइए, जिससे हम आपके एटीएम कार्ड को रीएक्टिवेट कर दें. इससे लोग घबरा जाते हैं और अपना कार्ड नंबर साइबर ठगों को दे देते हैं, जिससे वे आसानी से बैंक में जमा पैसे निकाल लेते हैं.
  • बैंकिंग फ्रॉड: साइबर ठग बैंक मैनेजर बनकर लोगों को फोन करते हैं और अकाउंट क्लोज होने का डर बताकर रिएक्टिवेट कराने को कहते हैं. इसके लिए ठग अकाउंट नंबर मांगते हैं और सारा जमा पैसा निकालकर खाता खाली कर देते हैं.
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    सोशल साइट्स और एप के जरिए हो रही साइबर ठ
  • लिंक फ्रॉड: कई बार लोगों के मोबाइल में मैसेज के माध्यम से एक लिंक आता है जिसमें कहा जाता है कि आपके नंबर ने प्राइस मनी जीता है और इस लिंक पर क्लिक कर आप उस प्राइज मनी को अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं. जिसके बाद लोग लालच में लिंक पर क्लिक करते हैं और लोगों के अकाउंट की डिटेल साइबर ठग के पास पहुंच जाती है. इस तरह अकाउंट खाली हो जाता है.
  • विज्ञापन फ्रॉड: कई बार साइबर ठगों द्वारा फर्जी विज्ञापन सोशल मीडिया में फैला दिया जाता है. लोग लुभावने विज्ञापन देखकर विज्ञापन में दिए गए नंबर पर फोन लगाते हैं और अपना निजी डाटा उनके साथ शेयर कर देते हैं जिससे उनके अकाउंट में रखा सारा पैसा ठग निकाल लेते हैं.
  • फ्रॉड कॉल: साइबर ठग द्वारा कई बार रैंडम लोगों को फोन किया जाता है और स्कीम बताई जाती है और लोगों की दिलचस्पी देखते हुए स्कीम में मिलने वाला अमाउंट भी ज्यादा बताया जाता है, जिससे लोग लालच में आकर अपने फोन या अकाउंट का निजी डाटा ठगों के साथ शेयर कर देते हैं जिससे साइब ठग उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेते है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के दौरान साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. लॉकडाउन के 8 महीनों के दौरान प्रदेश में ऑनलाइन ठगी के केस बढ़े हैं. छत्तीसगढ़ के पुलिस थानों में टेक्निकल स्टाफ की कमी की वजह से साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायतों का निराकरण जल्दी नहीं हो पा रहा है. सिर्फ राजधानी की बात करें तो यहां हर महीने 250 से ज्यादा साइबर क्राइम से जुड़े केस आते हैं.

छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा

साइबर ठग आईपीएस और मंत्री के अकाउंट को बना रहे निशाना

छत्तीसगढ़ में एक अलग ट्रेंड देखने को मिल रहा है. यहां नेताओं और अफसरों के नाम पर अपराधी लोगों को चूना लगाते हैं. यहां किसी नेता, मंत्री या अधिकारी के नाम से फर्जी सोशल अकाउंट बनाकर अपराधी रुपए ऐंठ रहे हैं. पिछले महीने ही छत्तीसगढ़ नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर पैसे मांगने का मामला सामने आया था.

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डिजिटल और अद्रश्य चोरों से जानिए कैसे बचें

छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे साइबर क्राइम के मामले, इन कारणों से मिल रहा बढ़ावा

इसी तरह आईपीएस अजय अग्रवाल के अकाउंट हैक होने का मामला भी कुछ समय पहले सामने आया था. अधिकारी अजय अग्रवाल ने खुद अपने अकाउंट के हैक होने की जानकारी दी थी. उनकी पोस्ट के बाद बाकी कई अधिकारियों ने भी फेसबुक अकाउंट हैक होने और पैसे की डिमांड की बात बताई थी.

एक्सपर्ट की बात रायपुर में दर्ज हुए पिछले कुछ मामलों से एकदम सही साबित होती है.

पहला मामला-

फेसबुक पर फर्जी आईडी बनाकर महिला से ठगी का मामला रायपुर के खमतराई थाना क्षेत्र में आया था. फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए चैट कर आरोपियों ने धीरे-धीरे महिला को विश्वास में लेकर उसका मोबाइल नंबर ले लिया. आरोपियों ने अपने आपको डॉक्टर बता कर पीड़िता का इलाज करने, गिफ्ट और पैसा भेजने के नाम पर ठगी की वारदात को अंजाम दिया था.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ में साइबर क्राइम का बढ़ा ग्राफ, अब व्हाट्सएप और फेसबुक से हो रही ब्लैकमेलिंग

आरोपियों ने 5 बार में पीड़िता के अकाउंट से 7,53,000 रुपए साफ कर दिया. आरोपियों ने अलग-अलग खातों के जरिए इस वारदात को अंजाम दिया था. जिसके बाद महिला ने रायपुर एसएसपी अजय यादव को इसकी शिकायत की थी. खमतराई पुलिस थाने में केस दर्ज हुआ थआ और रायपुर से पुलिस टीम 8 नवंबर को दिल्ली भेजी गई. रायपुर पुलिस और साइबर टाइम टीम रविवार को देर रात नाइजीरियन को रिमांड पर लेकर दिल्ली से रायपुर लेकर आई. पुलिस अफसर बताते हैं कि अपराधी ठगी के लिए अलग-अलग फोन नंबर और खाता नंबर इस्तेमाल करते हैं.

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ऑनलाइन ठगी से जानिए कैसे बचें

दूसरा मामला-

राजधानी रायपुर के जय स्तंभ चौक पर स्थित मंजू ममता रेस्टोरेंट के नाम से सोशल साइट्स फर्जी विज्ञापन देकर ऑनलाइन ठगी का मामला 26 अगस्त को सामने आया था. जिसमें 11 सितंबर को 2 अंतर राज्य शातिर ठगों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है. बता दें कि इन चोरों ने सोशल साइट पर फर्जी विज्ञापन देकर एक व्यक्ति से 11,000 की ऑनलाइन ठगी की थी. जिसके बाद प्रार्थी फारूक अहमद द्वारा मौदहापारा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.

जानें, क्या है साइबर अपराधियों की पहली पसंद 'ई-मेल फॉरवर्डर'

रायपुर एसएसपी अजय यादव ने साइबर एवं थाना मौदहापारा की विशेष टीम का गठन कर टीम को रवाना किया गया. टीम द्वारा ऑनलाइन रकम ट्रांसफर की जानकारी प्राप्त हुई कि रकम ट्रांसफर करने के लिए ई वॉलेट का इस्तेमाल किया गया है. टीम को अज्ञात आरोपियों के बिहार झारखंड के देवघर जिले में होने की जानकारी प्राप्त हुई जिसके आधार पर टीम को बिहार और झारखंड रवाना किया गया. टीम द्वारा 7 दिन तक लगातार कैंप कर आरोपी प्रमोद मंडल के घर में रेड की कार्रवाई कर गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त हुई. अभिषेक महेश्वरी झारखंड के जामताड़ा को इसका केंद्र बताते हैं.

इस तरह से आप हो सकते हैं ऑनलाइन ठगी का शिकार

  • एटीएम फ्रॉड: साइबर ठग एटीएम पिन जनरेट करने के नाम से या फिर कस्टमर केयर के नाम से लोगों को फोन करते हैं और कहते हैं कि आपका एटीएम कार्ड जल्दी ही बंद होने वाला है और आप अपना एटीएम नंबर बताइए, जिससे हम आपके एटीएम कार्ड को रीएक्टिवेट कर दें. इससे लोग घबरा जाते हैं और अपना कार्ड नंबर साइबर ठगों को दे देते हैं, जिससे वे आसानी से बैंक में जमा पैसे निकाल लेते हैं.
  • बैंकिंग फ्रॉड: साइबर ठग बैंक मैनेजर बनकर लोगों को फोन करते हैं और अकाउंट क्लोज होने का डर बताकर रिएक्टिवेट कराने को कहते हैं. इसके लिए ठग अकाउंट नंबर मांगते हैं और सारा जमा पैसा निकालकर खाता खाली कर देते हैं.
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    सोशल साइट्स और एप के जरिए हो रही साइबर ठ
  • लिंक फ्रॉड: कई बार लोगों के मोबाइल में मैसेज के माध्यम से एक लिंक आता है जिसमें कहा जाता है कि आपके नंबर ने प्राइस मनी जीता है और इस लिंक पर क्लिक कर आप उस प्राइज मनी को अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं. जिसके बाद लोग लालच में लिंक पर क्लिक करते हैं और लोगों के अकाउंट की डिटेल साइबर ठग के पास पहुंच जाती है. इस तरह अकाउंट खाली हो जाता है.
  • विज्ञापन फ्रॉड: कई बार साइबर ठगों द्वारा फर्जी विज्ञापन सोशल मीडिया में फैला दिया जाता है. लोग लुभावने विज्ञापन देखकर विज्ञापन में दिए गए नंबर पर फोन लगाते हैं और अपना निजी डाटा उनके साथ शेयर कर देते हैं जिससे उनके अकाउंट में रखा सारा पैसा ठग निकाल लेते हैं.
  • फ्रॉड कॉल: साइबर ठग द्वारा कई बार रैंडम लोगों को फोन किया जाता है और स्कीम बताई जाती है और लोगों की दिलचस्पी देखते हुए स्कीम में मिलने वाला अमाउंट भी ज्यादा बताया जाता है, जिससे लोग लालच में आकर अपने फोन या अकाउंट का निजी डाटा ठगों के साथ शेयर कर देते हैं जिससे साइब ठग उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेते है.
Last Updated : Nov 19, 2020, 5:35 PM IST
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