रायपुर :भारतीय ऋषि परम्परा में महर्षि गौतम का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. ऋग्वेद में भी इनके बारे में उल्लेख मिलता है. गौतम जयंती के अवसर पर हम गौतम ऋषि और अहिल्या की कहानी आपको बताने जा रहे हैं. देवी अहिल्या बिना किसी कारण के ऋषि गौतम के श्राप की वजह से पत्थर बन गयीं थीं. जिन्हें भगवान श्रीराम ने श्राप मुक्त किया था.
साधु से विवाह कराने का फैसला : पुराणों के अनुसार अहिल्या ब्रह्मा की पुत्री थी. इसलिए वो काफी ज्ञानी और सुंदर थीं. अहिल्या के बड़ी होने पर ब्रह्माजी ने उनकी शादी किसी साधु से ही करने का फैसला किया. लेकिन शर्त यह रखी कि जो कोई पृथ्वी का चक्कर लगाकर सबसे पहले आएगा, उसी का विवाह अहिल्या से होगा.अति सुंदर अहिल्या को पाने के लिए सभी देवता और अन्य गणमान्य लोग शर्त पूरी करने के लिए निकल पड़ते हैं. लेकिन अहिल्या का ध्यान गौतम ऋषि की ओर जाता है. अहिल्या उनके चेहरे से इतनी प्रभावित होती हैं कि गौतम ऋषि से ही शादी करने की बात कहती है.
विवाह से इंद्र हुए नाराज : महर्षि गौतम और अहिल्या का आपस में विवाह होता है. लेकिन दूसरे देवता इस शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं होते हैं और ऐसा भी कहा जाता है कि देवराज इंद्र को भी अहिल्या काफी पसंद थी .इसीलिए जब उन्हें अहिल्या प्राप्त नहीं हुई तो इंद्र ने अपनी वासना को शांत करने के लिए एक षड्यंत्र रचा. जिसमें वह खुद ही फंस गए थे.इंद्र ने गौतम ऋषि का वेश धारण करके अहिल्या के साथ समागम किया.
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गौतम ऋषि ने दिया श्राप : अहिल्या के साथ समागम करने के बाद इंद्र आश्रम से निकले. इंद्र को अपने ही आश्रम से निकलते हुए गौतम ऋषि ने देख लिया, एक ही बार में उन्हें सारी बात समझ में आ गई. इसलिए उन्होंने बिना किसी से कारण जाने अहिल्या को पत्थर बनने का श्राप दे दिया. इसके बाद कोई गलती ना होने के बावजूद भी अहिल्या ने पति के श्राप को स्वीकार किया और जिंदगी भर पत्थर बनकर के रही .जब गौतम ऋषि का गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने अहिल्या को यह भी आशीर्वाद दिया कि जब भगवान श्रीराम उन्हें चरणों से छू लेंगे तो वह श्राप से मुक्त हो जाएंगी.इसके बाद भगवान श्रीराम, ऋषि विश्वामित्र के साथ जंगल में भटकते हुए गौतम ऋषि के आश्रम पहुंचे जहां उन्होंने अहिल्या को श्राप से मुक्त किया.