रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक से बढ़कर एक नवाचार देखने को मिल रहा है. कोई गोबर की चप्पल बना रहा है तो कोई गोबर से टाइल्स. आज हम आपको एक ऐसे नवाचार के बारे में बताने जा रहे हैं, जो वेस्ट को बेस्ट बना रहे (Surendra Bairagi making cups and glasses from coconut) हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं राजधानी रायपुर में रहने वाले बैरागी दंपति की. वे मंदिरों में चढ़ाए गए नारियल या प्रसाद के लिए इस्तेमाल किये गए नारियल के मोटे परत से कप, ग्लास, चम्मच और बॉल बना रहे हैं. ईटीवी भारत ने नवाचार करने वाले सुरेंद्र बैरागी और उसकी पत्नी से खास बात (Craftsman Surendra Bairagi) की. आइए जानते हैं वे कैसे इसे तैयार कर (conversation with Surendra Bairagi ) रहे हैं.
स्वसहायता समूह की महिलाओं को देंगे ट्रेनिंग: सुरेंद्र कहते हैं कि "देश में प्लास्टिक पूरी तरह से बैन होने वाला है. ऐसे में हम इसे विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. इसका व्यापार भी किया जा सकता है. इसके लिए स्वसहायता समूह की महिलाओं को ट्रेनिंग देंगे. जिससे वे रोजगार के साधन के तौर पर उपयोग कर सकते हैं. शहर में गढ़कलेवा का संचालन होता है, जहां छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन मिलते है. वहां कुछ सैम्पल के तौर पर गढ़कलेवा के संचालकों को दूंगा, ताकि छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का आनंद लेने वाले इस नवाचार के बारे में जानें और वे भी इसका उपयोग शुरू करें.''
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इस तरह बना रहे नारियल से कप और चम्मच: मंदिरों में इस्तेमाल किये गए वेस्टेज नारियल को सबसे पहले इकट्ठा किया. इसके बाद उसे बारीकी से कप के आकार में काटा. उसके कुछ टुकड़ों को भी ब्लेड से काटा गया. फिर फेविकोल से टुकड़ों को चिपकाया गया. सुरेंद्र बताते हैं कि "नारियल की मोटी परत को काटने के बाद घिसकर चिकना किया है. उसके बाद जो टुकड़े बचते हैं, उसको घिसने से निकले हुए बुरादा से जोड़कर हैंडल का शेप दिया गया. इस तरह से कप और ग्लास तैयार किया गया. वहीं चम्मच को भी टुकड़े से ही बनाया गया है. इसके लिए बांस का इस्तेमाल किया है. एक कटोरी भी बनाया है, जिसका उपयोग आइसक्रीम या अन्य चीजों के लिए होता है. उसे भी विकल्प के तौर पर ईजाद किया है.''
पत्नी भी देती हैं सुरेंद्र बैरागी का साथ: सुरेंद्र के इस काम में उसकी पत्नी आशा बैरागी भी साथ देती हैं. सुरेंद्र के नारियल की मोटी परत को कप, ग्लास या अन्य चीजों का शेप देने के बाद वे उसे घिसने का काम करती हैं. उनका कहना है कि "इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगता. घिसाई अच्छे से होने पर यह पूरी तरह से चिकना हो जाता है. जिससे दिखने में भी यह बहुत अच्छा लगता है".
नो पॉलीथिन के ब्रांड एंबेसडर हैं सुरेंद्र बैरागी: आपको बता दें कि सुरेंद्र बैरागी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से प्रभावित हुए थे. इसके बाद उन्होंने पॉलिथीन के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी. इसमें उसकी पत्नी ने भी साथ दिया. पत्नी थैला सिलती थीं और सुरेंद्र उस थैले को शहर के चौक-चौराहों समेत बाजारों में जाकर नि:शुल्क बांटते थे. जिसकी वजह से रायपुर नगर निगम ने सुरेंद्र बैरागी को नो पॉलीथिन का ब्रांड एम्बेसडर बनाया.