रायपुर: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में कोरोना का इलाज करवा रहे एक मरीज ने वहां की अव्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. सरकार ने कोविड-19 के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखकर मेकाहारा में भी कोरोना का इलाज शुरू किया है. इसके लिए अस्पताल के कई विभागों को दूसरी जगह भी शिफ्ट करना पड़ा है. लेकिन यहां भर्ती मरीज का आरोप है कि अस्पताल में उनका ख्याल नहीं रखा जा रहा है. मरीज का कहना है कि उनकी सिर्फ थर्मल स्क्रीनिंग कराई गई है.
ETV भारत से बातचीत के दौरान कोरोना पेशेंट ने मेकाहारा अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. यहां भर्ती मरीज का आरोप है कि उनकी जांच के लिए न तो कोई डॉक्टर आता न ही कोई नर्स उनका हाल जानने आती है. इस मरीज का कहना है कि वो 8 मई की रात से एडमिट होने के बाद से अब तक सिर्फ एक बार मेडिकल स्टाफ उसके पास पहुंचा है और दूर से उसकी थर्मल स्क्रीनिंग की गई है. पेशेंट का कहना है कि उसने उसके बाद से किसी भी डॉक्टर या नर्स का चेहरा नहीं देखा है.
अंदाज से खा रहे दवाइयां: मरीज
यहां भर्ती मरीज के मुताबिक दिन भर में एक बार उनके पास एक बार उनके पास आया आती है और उन्हें 6 टेबलेट देकर चली जाती है. टेबलेट्स को कब खाना है, कितनी बार खाना है, इसकी जानकारी उनके पास नहीं होती. ऐसे में यहां भर्ती मरीज खुद ही अंदाजा लगाकर दवाइयों को सेवन कर रहे हैं.
एक कमरे में तीन मरीज: मरीज
मेकाहारा के कोविड कार्ड में एक कमरे में तीन मरीजों रखा गया है. ये तीनों मरीज एक ही बाथरूम का इस्तेमाल करते हैं. बातचीत में हमें इस मरीज ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक बाथरूम इस्तेमाल के बाद हाथ धोने के लिए यहां लिक्विड शोप भी नहीं रखा गया है. कई बार गुजारिश बाद सफाई कर्मी ने एक साबुन की बट्टी जरूर रख दी है.
भोजन परोसने के नाम पर कोरोना को न्योता: मरीज
मरीज का कहना है कि इस वार्ड के गलियारे में टेबल पर भोजन सामग्रियां रख दी जाती हैं. इसके बाद अलग-अलग कमरे में भर्ती में मरीज एक साथ अपने कमरों से निकलते हैं और अपनी इच्छा अनुसार भोजन थाली पर रख लेते हैं. इस प्रकिया के दौरान भी मरीज सहज ही एक दूसरे के संपर्क में आते हैं. इससे भी कोरोना के फैलने की आशंका बढ़ जाती है.
मरीज का ये भी दावा है कि इन्हें चाय या कॉफी जैसे रिफ्रेशिंग ड्रिंक भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. जबकि वे खुद को अपने परिवार से खुद को बेहद अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. इसके अलावा न ही किसी तरीके से इनकी मेडिकल जांच की जा रहा है और न ही मेडिकल रिकॉर्ड बनाया जा रहा है.