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रायपुरः 'शहरी वोटर उदासीन, वोटिंग में नहीं निभाता अपनी जिम्मेदारी'

रायपुर लोकसभा की बात की जाए, तो यहां 64.6% मतदान हुए. वहीं बिलासपुर में 65.26% और दुर्ग में 62.07 प्रतिशत वोटिंग हुई.

पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी
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Published : Apr 24, 2019, 10:29 PM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान में प्रदेश की सात सीटों पर करीब 68. 41 फीसदी मतदान हुए. इस बार भी चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी इलाकों से ज्यादा वोटिंग देखने को मिली.

पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी

पिछले लोकसभा चुनाव में इन 7 सीटों में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जांजगीर चांपा, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा में 69.09 फीसदी वोटिंग हुई थी. इस बार रायपुर लोकसभा की बात की जाए, तो यहां 64.6% मतदान हुए. वहीं बिलासपुर में 65.26% और दुर्ग में 62.07 प्रतिशत वोटिंग हुई.

'उदासीन हो चुके हैं शहरी मतदाता'
चुनाव आयोग द्वारा चलाए गए मतदाता जागरुकता अभियान का असर गांवों में ज्यादा देखने को मिला है. इसे लेकर पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी का मानना है कि आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत अधिक होता है. उन्होंने कहा कि आजकल लोग घरों में बैठकर राजनीति की बातें, तो बहुत करते हैं, लेकिन मतदान के वक्त अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते.

"जागरूकता अभियान हुआ नाकाम'
त्रिवेदी ने कहा कि शहरी मतदाता उदासीन होता है. वो मतदान के दौरान लाइन में लगने से बचता है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और जिला प्रशासन की तरफ से 100 फीसदी वोटिंग को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया था, लेकिन इस बार भी शहरी वोटरों को मतदान केंद्रों तक पहुंचने में यह अभियान बुरी तरह से नाकाम साबित हुआ है.

रायपुरः छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान में प्रदेश की सात सीटों पर करीब 68. 41 फीसदी मतदान हुए. इस बार भी चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी इलाकों से ज्यादा वोटिंग देखने को मिली.

पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी

पिछले लोकसभा चुनाव में इन 7 सीटों में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जांजगीर चांपा, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा में 69.09 फीसदी वोटिंग हुई थी. इस बार रायपुर लोकसभा की बात की जाए, तो यहां 64.6% मतदान हुए. वहीं बिलासपुर में 65.26% और दुर्ग में 62.07 प्रतिशत वोटिंग हुई.

'उदासीन हो चुके हैं शहरी मतदाता'
चुनाव आयोग द्वारा चलाए गए मतदाता जागरुकता अभियान का असर गांवों में ज्यादा देखने को मिला है. इसे लेकर पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी का मानना है कि आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत अधिक होता है. उन्होंने कहा कि आजकल लोग घरों में बैठकर राजनीति की बातें, तो बहुत करते हैं, लेकिन मतदान के वक्त अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते.

"जागरूकता अभियान हुआ नाकाम'
त्रिवेदी ने कहा कि शहरी मतदाता उदासीन होता है. वो मतदान के दौरान लाइन में लगने से बचता है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और जिला प्रशासन की तरफ से 100 फीसदी वोटिंग को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया था, लेकिन इस बार भी शहरी वोटरों को मतदान केंद्रों तक पहुंचने में यह अभियान बुरी तरह से नाकाम साबित हुआ है.

Intro:लोकसभा चुनाव को लेकर तीसरे चरण का मतदान खत्म हो गया। प्रदेश के 7 सीटों पर हुए मतदान पर नजर डाली जाए तो यह औसत 68 पॉइंट 41 फीसदी मतदान हुआ है। यह आंकड़ा आगे बढ़ सकता है फिर भी इन सीटों पर पिछली बार की तुलना में काफी कम वोटिंग हुई है। खासकर शहरी इलाकों में वोटिंग बढ़ाने के चुनाव आयोग के तमाम उपाय धरे के धरे रह गए और एक बार फिर से छत्तीसगढ़ के शहरी इलाकों में वोटिंग काफी कम हुई है। इसे लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि शहरी
मतदाता काफी उदासीन हो चुका है, जबकि ग्रामीण इलाकों में मतदान को लेकर काफी उत्साह देखा गया है।Body:छत्तीसगढ़ में 3 चरणों में हुए गांव लोकसभा के चुनाव में एक बार फिर सैलरी वोटरों की बेरुखी देखने को मिली है । मंगलवार शाम तक मतदान प्रतिशत 68 पॉइंट 41 था जो और बढ़ सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव में इन 7 सीटों में रायपुर बिलासपुर दुर्ग जांजगीर चांपा कोरबा रायगढ़ सरगुजा में 69. 09 फ़ीसदी वोटिंग हुई थी. इसके पहले दो चरणों में बस्तर कांकेर महासमुंद राजनांदगांव सीटों में 73 फ़ीसदी से अधिक वोटिंग हुई थी। हैरानी वाली बात यह है कि मतदाता जागरूकता के लिए चुनाव आयोग की ओर से चलाए गए अभियान गांव के मुकाबले शहरों में ज्यादा चली गई। इसके बाद भी मतदान को लेकर शहरी वोटरों में गांव से कम रूचि दिखी। रायपुर लोकसभा में ही मतदान 64 पॉइंट 2 7% दर्ज हुआ, वहीं बिलासपुर में 65 पॉइंट 26 और दुर्ग में 62.07 प्रतिशत वोटिंग हुई. इसे लेकर वरिष्ठ आईएएस और पूर्व निर्वाचन आयुक्त डॉ सुशील त्रिवेदी का मानना है कि शहरी वोटर मतदान को लेकर काफी उदासीन हो चुका है। उन्हें मतदान के लिए लाइन में लगने से शर्म आ रही है। ऐसे तो लोग घर में बैठकर राजनीति की बातें तो बहुत करते हैं लेकिन जब लोकतंत्र के इस महापर्व में अपने मताधिकार का प्रयोग करना होता है तो खासकर शहरी वोटर मतदान के लिए नहीं निकलता। उन्होंने बताया कि 2014 में शहरी इलाकों में ग्रामीण इलाकों के मुकाबले आउटकम वोटिंग हुई थी, चुनाव आयोग ने 2014 में मतदान के आंकड़ों को सुधारने के आधार पर ही चुनाव में अधिक से अधिक सक्रियता लाने के लिए स्वीप एक्टिविटी का प्लान बनाया था। इसमें शहरी इलाकों में कम वोटिंग वाले बूथों पर भी फोकस करने का दावा किया गया था।

बाइट डॉक्टर सुशील त्रिवेदी, पूर्व निर्वाचन आयुक्तConclusion:
चुनाव आयोग और जिला प्रशासन की तरफ से 1 माह से राजधानी में 100 फ़ीसदी वोटिंग को लेकर जागरूकता अभियान तो चलाया गया लेकिन इस बार भी शहरी वोटरों को मतदान केंद्रों तक पहुंचने में यह अभियान बुरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। राजधानी के ही 4 विधानसभा क्षेत्रों रायपुर उत्तर, रायपुर पश्चिम, रायपुर दक्षिण और रायपुर ग्रामीण में बमुश्किल आधे वोटर ही बूथ पर पहुंचे हैं। तीनों सीटों पर इससे कहीं ज्यादा उठाते 2014 के चुनाव में बूथ तक पहुंचे थे। रायपुर सीट पर मतदान का आंकड़ा 60 फीसदी से पार इसलिए हुआ क्योंकि संसदिय क्षेत्र के 5 ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में अच्छा खासा मतदान बिना किसी जागरूकता के मुहिम के हो गया। प्रशासन ने चुनाव में 100 फीसदी मतदान का टारगेट किया, इतना तो होना संभव नहीं था लेकिन कोशिश की गई कि ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान केंद्र तक पहुंचे। इसके लिए प्रशासन ने करीब 1 माह तक जागरूकता अभियान चलाया सवा लाख से ज्यादा लोगों को मतदान करने की शपथ ऑनलाइन दिखाई गई । शहर का कोई कॉलेज गार्डन नहीं बचा जहां लोगों को वोट देने की कसमें नहीं खिलाई गई थी। हर दिन अफसरों ने बाइक रैली निकाली, पहली बार महिलाओं ने भी रैली निकाली जागरूकता के लिए रैंप पर कैटवॉक किया तो महिलाओं ने प्रतियोगिता में सबका वोट डालने का संदेश दिया। लेकिन सारे कार्यक्रम और कोशिशों पर मंगलवार के हुए मतदान ने पानी फेर दिया और शहरी सीटों पर मतदान काफी कम देखने को मिला

एक नजर रायपुर में विधानसभा वार मतदान पर

विधानसभा। लोकसभा 2014 इस बार विधानसभा 2018
रायपुर ग्रामीण 59. 54. 61.70. 61.11
रायपुर दक्षिण। 62.02. 54.42. 61.66
रायपुर उत्तर। 62.34. 59.12. 60.28
रायपुर पश्चिम। 58.53. 55.50. 60.45

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
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