रायपुर: पं दीनदयाल ऑडिटोरियम में आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय रामायण प्रतियोगिता के परिणाम को लेकर विवाद हो गया है. अन्य जिलों से आई मानस मंडलियों का कहना था कि प्रतियोगिता में विषय-वस्तु और व्याख्यान की श्रेणी में ज्यादा अंक दिया गया है. जबकि दंतेवाड़ा की टीम ने अपने प्रस्तुति में व्याख्यान ही नहीं किया है. हालांकि इस पूरे मामले पर संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने आपत्ति दर्ज करवाने वाली मानस मंडली से बातचीत की. जिसके बाद सभी को सार्वजनिक रूप से 33 टीमों के नम्बर बताया. इसके बाद भी कुछ टीमें नाराज होकर वापस लौटी गईं.
परिणाम से संतुष्ट नहीं कई मंडलियां: दुर्ग जिले से आई समर्पण ज्ञान गंगा मानस मंडली के अध्यक्ष ने कहा "राज्य स्तरीय रामायण प्रतियोगिता के परिणाम से हम संतुष्ट नहीं हैं. पहले स्थान पर जो मंडली आई है, उनमें व्याख्या नाम की कोई चीज नहीं थी. हम लोगों को कहा गया था कि छत्तीसगढ़ी में व्याख्या करनी है. पहले और दूसरे स्थान पर जो मंडली आई है, उन्होंने हिंदी में व्याख्या की है. दूसरे स्थान पर मंडली ने बिना झांकी की प्रस्तुति दी और उसे दूसरा स्थान दे दिया गया. जबकि बाकी अन्य मंडलियों ने मेहनत करके झांकियां बनाई थी.
"जानकार को निर्णायक मंडल में शामिल कर कार्यक्रम कराएं": समर्पण ज्ञान गंगा मानस मंडली के अध्यक्ष ने कहा "आयोजनकर्ताओं ने जिन निर्णायकों को बैठाया है, उन्हें खुद ही व्याख्या का ज्ञान नहीं है. हम चाहते हैं कि जो योग्य व्यक्ति हैं, उन्हें निर्णायक ज्यूरी में शामिल किया जाए. जो व्याख्या और संगीत को जानते हैं, उन्हें निर्णायक मंडल में शामिल किया जाये. रामायण प्रतियोगिता को लोककला का मंच मत बनाएं. अगर लोग डांस करने लग जाएंगे, तो रामायण और लोक कला मंच में कोई अंतर नहीं रह जाएगा. सरकार कार्यक्रम के जानकार का सहयोग लेकर उन्हें निर्णायक मंडल में शामिल कर कार्यक्रम कराए, नहीं तो कार्यक्रम ना करवाएं."
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मानस मंडली को अंक देने के आरोप: सारंगढ़ से आए मानस मंडली तेरस बाई प्रजापति ने कहा "प्रतियोगिता के परिणाम से हमें नाराजगी है. राज्य स्तरीय रामायण प्रतियोगिता में सरकार ने खुद नियम बनाए हैं. व्याख्यान के लिए 40, संगीत कला, गायन, झांकी प्रदर्शन के लिए 40 अंक, भाषा शैली के लिए 10 अंक और वेशभूषा के लिए 10 अंक निर्धारित किए गए थे. दंतेवाड़ा की मानस मंडली को प्रथम पुरस्कार दिया गया. लेकिन उन्होंने व्याख्या नहीं किया है और उसके बावजूद भी उन्हें उस श्रेणी में ज्यादा अंक दिया गया है."
क्या कहना है प्रथम आने वाली टीम का: दंतेवाड़ा से आए ज्ञानगंगा मानस परिवार के आनंद पांडेय ने कहना कि "हमने प्रतियोगिता की सभी नियमों का पालन किया. हमने नवाचार करते हुए अपने प्रस्तुति में व्याख्यान किया है, जिसके कारण हमें पहला स्थान मिला है. हमने क्रिएटिविटी करके अपनी प्रस्तुति तैयार की, जिसे सभी ने पसंद किया है और हमें पहला स्थान प्राप्त हुआ है."
क्या कहती है संस्कृति विभाग: संस्कृति विभाग द्वारा बचाया गया कि इस बार बहुत टफ कंपटीशन था. सारे ही दल की प्रस्तुतियां बहुत अच्छी थी. कंपटीशन इतना टॉप लेवल का था कि एक-एक अंक पर प्रतियोगिता हो रही थी. हर दल को यही लगता है कि उनकी प्रस्तुति सबसे अच्छी थी. लेकिन जो निर्णायक मंडल का फैसला है, उसे पारदर्शी ढंग से सभी के सामने रखा गया. इस प्रतियोगिता में आए 33 टीमों को जजों द्वारा दिए गए नम्बर हमने बताया है. सभी का असंतोष समाप्त हुआ है. विभाग को धन्यवाद करके कार्यक्रम के समापन के बाद सभी वापस जा रहे हैं."