रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा में इस बार अनोखी तस्वीर देखने को मिलेगी.ऐसा पहली बार होगा जब विधानसभा में कांग्रेस बिना किसी ब्राह्मण विधायक के विपक्ष की भूमिका निभाएगी.इस बार कांग्रेस ने जितने भी ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था,उनमें से कोई भी चुनाव जीतकर नहीं आया है.इसके उलट साल 2018 में विधानसभा में कई ब्राह्मण विधायक थे. जिनमें सत्यनारायण शर्मा, रविंद्र चौबे, शैलेष पाण्डेय,अमितेश शुक्ल,विकास उपाध्याय विधानसभा की सीढ़ी चढ़ने में कामयाब रहे थे.आपको बता दें कि प्रदेश में 4 फीसदी ब्राह्मण वोट बैंक है.
8 ब्राह्मणों को कांग्रेस ने दिया था टिकट : 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 8 ब्राह्मण समाज के प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था. जिसमें रायपुर ग्रामीण से सत्यनारायण शर्मा की जगह उनके बेटे पंकज शर्मा, रायपुर पश्चिम से विकास उपाध्याय, रायपुर दक्षिण से महंत रामसुंदर दास, गरियाबंद जिले के राजिम से अमितेश शुक्ल, दुर्ग शहर से अरुण वोरा, बेमेतरा के साजा से रविंद्र चौबे, बिलासपुर से शैलेष पांडेय और बलौदाबाजार-भाटापारा के बलौदाबाजार सीट से शैलेष नितिन त्रिवेदी चुनावी मैदान में थे. लेकिन कोई भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका.
बीजेपी ने 7 ब्राह्मणों को मैदान में उतारा : इसके विपरीत बीजेपी ने 7 ब्राह्मण प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में टिकट दिया था. जिसमें से धरसींवा से अनुज शर्मा, बेलतरा से सुशांत शुक्ला, रायपुर उत्तर से पुरंदर मिश्रा, कवर्धा से विजय शर्मा और पंडरिया से भावना वोहरा ने जीत दर्ज की हैं.जबकि भाटापारा से शिवरतन शर्मा और भिलाई नगर से प्रेम प्रकाश पाण्डेय की चुनाव में हार हुई है.
छत्तीसगढ़ में 51 सीटें सामान्य : छत्तीसगढ़ में राजनीतिक समीकरण की बात करें तो यहां की 90 सीट में से 39 रिजर्व हैं.जिसमें से 29 एसटी और 10 एससी के लिए हैं.जबकि 51 विधानसभा सीट सामान्य श्रेणी में आती हैं.वहीं प्रदेश में आधे से ज्यादा सीटों पर सबसे बड़ा वोट बैंक ओबीसी का है.आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 47 फीसदी वोटर्स ओबीसी हैं. इस बार दोनों दलों को मिलाकर 35 विधायक ओबीसी वर्ग से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.