रायपुर : आखिरकार बीते छह दिनों से छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी विधायकों (Congress MLA From Chhattisgarh) का चल रहा दिल्ली "प्रवास" सोमवार को खत्म हो गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) के "इन" करते विधायक दिल्ली से "आउट" हो गए. आलाकमान से बिना किसी बातचीत के ही विधायकों को खाली हाथ छत्तीसगढ़ के लिए आना पड़ा. इस पर मिर्जा गालिब की मशहूर शायरी (Famous Poetry of Mirza Ghalib) के ये बोल काफी सटीक बैठ रहे हैं...बड़े बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले. लेकिन क्या वे वास्तव में खाली हाथ ही लौटे हैं या फिर इसमें भी कोई राज है, यह तो कुछ ही दिनों में पता चल जाएगा. रात करीब 9 बजे के आस पार बृहस्पति सिंह विधायकों के साथ रायपुर पहुंचे.
दिल्ली में छह दिनों से चल रहा था सियासी ड्रामा
सबसे पहले बीते बुधवार को ही बलरामपुर विधायक बृहस्पति सिंह (Balrampur MLA Brihaspati Singh) की अगुवाई में छत्तीसगढ़ के 15 कांग्रेसी विधायकों की टोली दिल्ली के रवाना हुई थी. फिर धीरे-धीरे कर और भी विधायक दिल्ली पहुंचने लगे. और तभी से इस कयास को बल मिलने लगा कि अब दिल्ली में छत्तीसगढ़ की सरकार का गठन हो सकता है. इस बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष के अलग-अलग नेताओं के बयानों ने भी छत्तीसगढ़ में सीएम की कुर्सी के बदलाव को लेकर कई बार हवा दी. कभी पलड़ा भूपेश का भारी होता दिखा तो कभी टीएस सिंहदेव उनपर हावी होते रहे, लेकिन अब सारे कयासों पर विराम लग गया है.
बृहस्पति ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप
बृहस्पति सिंह ने रायपुर एयरपोर्ट पहुंचने पर मीडिया से बात की. इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर बघेल सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया. विधायक बृहस्पति सिंह ने बताया कि रविवार रात को उनकी बात छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से हुई. उन्होंने कहा कि हम सब लोग छत्तीसगढ़ आ रहे हैं. वहीं पर बैठकर आप लोगों से बात और मुलाकात होगी. उसके बाद हम सब विधायकों ने दिल्ली से लौटने का फैसला किया.
विधायकों के लौटने के बाद अब आगे क्या होगी "कका-बाबा" की रणनीति
अब जबकि कांग्रेसी विधायक दिल्ली से छत्तीसगढ़ के लिए कूच कर चुके हैं तो इस बात की संभावना बढ़ चुकी है कि इतने दिनों से जो राजनीतिक बदलाव की बयार चल रही थी, उसे एक बार फिर से छत्तीसगढ़ में हवा मिलेगी. ऐसा इसलिए कि इस बदलावी बयार में कई ऐसे भी विधायक थे जिनका "कका" और "बाबा" दोनों के साथ बराबर का उठना-बैठना होता था. लेकिन इस दिल्ली प्रवास ने सबके चेहरे पर से नकाब उतार दिया है. जो विधायक दिल्ली गए वे भूपेश के करीबी हैं, ऐसा भूपेश मानेंगे. लेकिन जो नहीं गए उनसे निश्चित रूप से कका थोड़े नाराज तो रहेंगे. वहीं जो विधायक दिल्ली गए थे, उनसे सिंहदेव की नाराजगी भी लाजिमी है.