रायपुर: राज्यसभा चुनाव 2022 का रण ( Rajya Sabha elections 2022) भीषण हो चला है. खासकर राजस्थान और हरियाणा में. राजस्थान और हरियाणा राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर (Congress fears cross voting in Rajya Sabha elections) सता रहा है. इससे निपटने के लिए कांग्रेस लगातार नई नई रणनीति बना रही है. अब कांग्रेस की तरफ से सीएम भूपेश बघेल को हरियाणा राज्यसभा चुनाव का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है.
सीएम बघेल और राजीव शुक्ला बनाए गए हरियाणा के पर्यवेक्षक: हरियाणा राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ( CM Bhupesh Baghel got responsibility of Haryana) आलाकमान ने सीएम भूपेश बघेल को हरियाणा में कांग्रेस का पर्यवेक्षक (Bhupesh Baghel becomes observer of Congress in Haryana) बनाया है. सीएम बघेल के साथ राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला भी हरियाणा कांग्रेस के पर्यवेक्षक बनाए गए हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने रविवार को यह आदेश जारी किया है.
टीएस सिंहदेव को दी गई राजस्थान की जिम्मेदारी: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को राजस्थान राज्यसभा चुनाव की जिम्मेदारी (TS Singhdev got Rajasthan responsibility) कांग्रेस ने सौंपी है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को राजस्थान राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.
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10 जून को है राज्यसभा चुनाव, हरियाणा में कांग्रेस को सता रहा डर : 10 जून को राज्यसभा का चुनाव है. हरियाणा में कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है. यहां बीजेपी ने कृष्णपाल पंवार को उम्मीदवार बनाया है. जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया है. कार्तिकेय शर्मा को जननायक जनता पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन है. बीजेपी ने पूर्व मंत्री कृष्ण लाल पंवार को मैदान में उतारा है जिन्हें राज्यसभा पहुंचने के लिए 31 वोटों की जरूरत है. बीजेपी के 40 विधायक हैं, जिनमें से 31 वोट के सहारे कृष्ण पंवार का जीतना तय है. सीएम मनोहर लाल की मानें तो बाकी बचे 9 विधायक अपना वोट कार्तिकेय शर्मा (BJP will give support to Kartikeya Sharma) को देंगे. कांग्रेस की तरफ से यहां अजय माकन उम्मीदवार हैं.
राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान के रण में भी पेंच फंसा: कुछ ऐसी ही स्थिति राजस्थान राज्यसभा चुनाव को लेकर है. यहां चार सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस ने यहां मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सिंह सुरजेवाला को उम्मीदवार बनाया है. जबकि बीजेपी ने घनश्याम तिवाड़ी को टिकट दिया है. यहां से बीजेपी के समर्थन से मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा भी मैदान में बने हुए हैं. जिससे चुनाव रोचक हो गया है. 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में किसी प्रत्याशी को जीत के लिए कम से कम 41 वोट मिलने जरूरी है. 108 विधायकों वाली कांग्रेस दो सीटों पर आराम से चुनाव जीतने का दावा कर रही है. जबकि 71 सीटों वाली बीजेपी यहां एक सीट पर आराम से जीत दर्ज करने का दावा कर रही है. जो भी घमासान है वह राज्यसभा की चौथी सीट को लेकर राजस्थान में छिड़ा है. यही वजह है कि यहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों निर्दलीय और अन्य वोटों की जुगाड़ में है. कांग्रेस को यहां भी क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है.
सीएम भूपेश और टीएस सिंहदेव को दी गई बराबर की जिम्मेदारी: कांग्रेस हाईकमान के द्वारा लिया गया निर्णय, जहां एक और यह दर्शाता है कि पार्टी छत्तीसगढ़ को ज्यादा तवज्जो दे रही है. तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को भी जवाबदारी सौंपकर यह संकेत देने की कोशिश कर रही है कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पार्टी की नजर में लगभग एक समान हैं.
बघेल सिंहदेव को पर्यवेक्षक बनाए जाने का कांग्रेस ने किया स्वागत: भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को पर्यवेक्षक बनाए जाने पर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक की जवाबदारी दी है और यह छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य का विषय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हरियाणा के राज्यसभा चुनाव के लिए पर्यवेक्षक की जवाबदारी दी गई. उनके साथ हाल ही में छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य चुने गए उनको भी जवाबदारी दी गई है. वहीं टीएस सिंहदेव को राजस्थान की जवाबदारी दी गई. यह कांग्रेस आलाकमान का छत्तीसगढ़ के नेताओं के प्रति बढ़ते हुए भरोसे का प्रतीक है. छत्तीसगढ़ कांग्रेसजन बहुत ज्यादा प्रसन्न हैं हमें पूरा भरोसा है कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी राज्यसभा चुनाव जरूर जीतेगी"
"बघेल सिर्फ इंतजामअली बनकर रह गए": वहीं भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि" जितने भी अब तक चुनाव हुए चाहे वह उत्तर प्रदेश की बात की जाए या असम की सभी जगह छत्तीसगढ़ का पैसा पानी की तरह बहाया गया है . अब राज्यसभा चुनाव में भी जिस प्रकार से हरियाणा और राजस्थान में छत्तीसगढ़ के नेताओं को जो पर्यवेक्षक बनाया गया है. यह इस बात का सूचक है कि कांग्रेस पार्टी अब यहां के नेताओं को एक इंतजामअली के तौर पर देखती है. जो दुर्भाग्यजनक है.
"दोनों नेताओं का कद बढ़ा": वहीं वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि "हाईकमान के द्वारा छत्तीसगढ़ के इन दोनों नेताओं को इतनी बड़ी जवाबदारी सौंपा जाना साबित करता है कि अब कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के नेताओं का कद बढ़ा है. छत्तीसगढ़ के नेताओं का दबदबा अब दिल्ली कांग्रेस पर भी बन रहा है. इससे न सिर्फ छत्तीसगढ़ के इन दोनों नेताओं का कद बढ़ा है बल्कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए भी यह लाभदायक है इसका फायदा आने वाले समय में पार्टी को मिलेगा"