रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर बेमौसम बारिश की वजह से फसलों पर बुरा असर पड़ा है. खरीदी केंद्रों में रखा धान या तो बारिश से भीग रहा है या फिर उसे रखने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं. अब इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ में सियासत भी गर्मा गई है. भाजपा के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल (Former cabinet minister Brijmohan Agarwal) ने सीधे तौर पर भूपेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि भाजपा के शासनकाल में धान खरीदी और उसके रखरखाव के लिए प्रॉपर सिस्टम बना था. सोसाइटी में धान खरीदने के बाद फौरन उसका उठाव राइस मिलर्स के यहां हो जाता था. आज भी छत्तीसगढ़ में गोडाउन है. छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के बाद उसे प्राइवेट, एफसीआई और मंडियों के गोडाउन में रखा जा सकता है, लेकिन भूपेश सरकार ने धान खरीदी और उठाव के लिए बेहतर सिस्टम ही नहीं बनाया है.
सीएम घूमते रहेंगे तो प्रदेश में कौन लेगा निर्णय?
बीजेपी नेता बृजमोहन अग्रवाल (BJP Leader Brijmohan Agarwal) ने प्रदेश सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यहां सिंगल प्वाइंट निर्णय लिया जाता है. यदि सिंगल प्वाइंट घूमता रहा तो निर्णय कहां से होगा. मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश घूम रहे हैं तो यहां निर्णय कौन लेगा. वह वन मैन आर्मी है. वह नहीं है तो कुछ नहीं है. इसलिए लोगों को राहत नहीं पहुंच रही है. पिछली बार जिनका बारिश में धान भीगा था, उनको आज तक मुआवजा नहीं मिला है. अब भी जो धान भीगा है. इसकी बहुत तेजी से जांच कराकर प्रभावितों को राहत पहुंचाना चाहिए. इसलिए सरकार को अपने खजाने से अतिरिक्त राहत पहुंचानी चाहिए.
'अमानत में खयानत' है सोसाइटी में रखे धान का भीगना
बीजेपी नेता ने कहा कि पिछले साल 13-14 सौ करोड़ का धान भीगकर सड़ गया था. उसके पहले 500 करोड़ का धान सड़ गया था. सरकार ने किसी पर कार्रवाई नहीं की. सरकार इसके माध्यम से बला को टालना चाहती है. धान खरीदी कम करना चाहती है और धान को सड़ा कर और उसको घाटे में डालना चाहती है. एक तरफ सरकार के पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं है, कर्ज लेकर वेतन बांट रही है और दूसरी तरफ किसानों की कड़ी मेहनत की उपज को बरसात में भीगाकर जनता का पैसा बर्बाद कर रही है. यह अमानत में खयानत का मामला है. यह एक तरह से धन की बर्बादी है. इसके लिए मुख्यमंत्री और अधिकारी दोषी हैं. धान रखने के लिए अतिरिक्त गोदाम की जरूरत ही नहीं है. छत्तीसगढ़ में 245 मंडियां है. इन मंडियों में 20 से 30 लाख टन धान संग्रहण किया जा सकता है.
पिछले 2 साल का पैसा नहीं मिला
पूर्व मंत्री ने कहा कि इनके पास मिलिंग और प्रॉपर ट्रांसपोर्टेशन (Milling and Proper Transportation) की व्यवस्था होती तो धान सड़ता ही नहीं. पिछले 2 सालों का पैसा मिलर्स को सरकार ने नहीं दिया है. इस वजह से इस साल भी मिलर्स को विश्वास नहीं है कि आने वाले समय में भी उन्हें पैसा मिलेगा. इसलिए भी धान नहीं उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 1200 मिल हैं और उनकी लगभग 20 लाख मीट्रिक टन धान संग्रहण की क्षमता है. सरकार के पास कोई योजना ही नहीं है.
15 साल में भाजपा ने सिर्फ दो हजार मीट्रिक टन क्षमता के बनाये गोडाउन
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेशाध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (Sushil Anand Shukla) ने बृजमोहन अग्रवाल के सवालों पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के गोदामों में सिर्फ 5000 मीट्रिक टन अनाज भंडारण की क्षमता है. 15 साल में भाजपा ने सिर्फ दो हजार मीट्रिक टन क्षमता के गोडाउन बनाया है. 3000 मीट्रिक टन क्षमता के गोडाउन भाजपा सरकार के पूर्व कांग्रेस सरकार के समय बना था. मंडियों की भी अपनी क्षमता है. उसमें किसानों और व्यापारियों के अनाजों का भंडारण होता है. इसमें पहले से ही भंडारण किया हुआ है. वहां धान रखना संभव नहीं है. अब तक 50 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. हर दिन तीन लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा रहा है. हमारे पास मंडी सहित तमाम जगहों के गोडाउन मिलाकर सिर्फ 5000 मीट्रिक टन की क्षमता है.
घड़ियाली आंसू बहाना बंद करे 'भाजपा'
सुशील आनंद शुक्ला (Sushil Anand Shukla) ने बृजमोहन अग्रवाल पर अवसरवादी राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश की वजह से प्राकृतिक आपदा है. इस पर किसका जोर नहीं चल सकता है. मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को नुकसान के आंकलन के लिए निर्देशित किया है. उसके बाद किसानों के नुकसान की भरपाई की जाएगी. भाजपा इसमें घड़ियाली आंसू बहाने की जगह आत्म अवलोकन करे. उन्होंने पिछले 15 साल में क्या किया? कभी यह क्यों नहीं सोचा कि धान के भंडारण के लिए गोडाउन बनाया जाए. धान खरीदी के लिए कोई नीति बनाई जाए. आज बीजेपी जनता को दिखाने के लिए घड़ियाली आंसू बहा रही है.
छत्तीसगढ़ में हर साल होता है धान खराब
छत्तीसगढ़ में हर साल हजारों टन धान बारिश में खराब (wastage of paddy in Chhattisgarh) हो जाता है. सूखत की वजह से भी हजारों टन धान की किल्लत दर्ज की जाती है. साल 2019-20 में 40656.70 हजार टन धान का शार्टेज हुआ था. महासमुंद में सबसे ज्यादा 10 हजार टन, बलौदा बाजार में 9 हजार 200 टन, मुंगेली 6 हजार 200 टन, राजनांदगांव में 3 हजार टन और गरियाबंद में 4 हजार 900 टन से ज्यादा धान का शॉर्टेज दर्ज किया गया था. इस रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ के 21 जिलों में धान का शॉर्टेज दिखाया गया है.