रायपुर : छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दलों का जमीन से शुरू हुआ (Expansion of air facilities in Chhattisgarh) विवाद अब आसमान तक पहुंच गया है. जिस हवाई यात्रा को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं, उसमें अब जमीन देने और न देने का विवाद गहराता जा रहा है. इस मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों आमने-सामने (Chhattisgarh government on target of BJP over airport issue) हैं. एक तरफ राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के एयरपोर्ट के विकास के लिए केंद्र की भाजपा सरकार पर सहयोग न करने का आरोप लगा रही है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार एयरपोर्ट के विकास के लिए पर्याप्त जमीन मुहैया न कराए जाने की बात कह रही है. इन दोनों के विवाद के कारण अब प्रदेश में हवाई सुविधा का विस्तार हवा में ही लटक गया है.
बजट की कोई कमी नहीं : सुनील सोनी
इस मामले को लेकर सांसद सुनील सोनी ने कहा कि बजट की कोई कमी नहीं है. कुछ अड़चन है, जिसे राज्य सरकार दूर कर सकती है. वहां पर किसानों के मुआवजा का मामला है. अगर राज्य सरकार इसका निराकरण करती है तो मैं राज्य सरकार को विश्वास दिलाना चाहता हूं हम आगे बढ़कर रायपुर एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की पहल करेंगे.
कब शुरू हुआ हवाई विवाद
एयरपोर्ट का मामला लंबे समय से ठंडे बस्ते में था. कुछ दिनों पहले केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का छत्तीसगढ़ प्रवास हुआ. उन्होंने राज्य सरकार पर हवाई अड्डा के विकास के लिए जमीन मुहैया न कराए जाने और सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया. इसके लिए ज्योतिरादित्य ने राज्य सरकार को पत्र लिखते हुए जमीन की मांग की है, उसके बाद से ही यह विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. एक के बाद एक आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गए हैं. इतना ही नहीं राज्य सरकार केंद्र सरकार को और केंद्र सरकार राज्य सरकार को पत्र लिख रही है. वहीं भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीतिक दल एक-दूसरे पर हमला करने से भी नहीं चूक रहे हैं.
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रमन सिंह ने सीएम बघेल को लिखा पत्र
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने हवाई अड्डे के लिए राज्य सरकार की तरफ से जमीन और राशि देने की मांग की है. रमन ने रायपुर में रनवे के विस्तार के लिए पर्याप्त जमीन नहीं दिये जाने की बात कही है. उन्होंने लिखा है कि रनवे विस्तार के लिए 464.36 एकड़ जमीन की जरूरत है. लेकिन राज्य सरकार ने 440.21 एकड़ जमीन दी है, बाकी 24.16 एकड़ जमीन अब तक नहीं दी गई है. यही वजह है कि रनवे तो साल 2018 में ही बनकर तैयार हो गया है, लेकिन उसका उपयोग नहीं हो रहा है.
इसी तरह रायगढ़ एयरपोर्ट के लिए भी 569 एकड़ जमीन एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को नहीं दी गई है. बिलासपुर में भी 351.15 एकड़ जमीन एयरपोर्ट अथॉरिटी को हस्तांतरित नहीं की गई है. अंबिकापुर एयरपोर्ट को अपग्रेड करने का काम अभी तक नहीं हुआ है. राज्यांश की राशि 2.53 करोड़ भी नहीं दी गई है.
केंद्र सरकार नहीं कर रही सहयोग : सीएम बघेल
वहीं रमन सिंह पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य में हवाई सीमाओं के विस्तार में केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही है. भाजपा के शासनकाल में एक भी हवाई अड्डा शुरू नहीं हो पाया था. जगदलपुर हवाई अड्डा को प्रधानमंत्री के हाथों शुरू जरूर कराया था, लेकिन वह भी बंद पड़ा था. हमारे शासनकाल में जगदलपुर और बिलासपुर एयरपोर्ट से हवाई सेवा शुरू की गई है. अंबिकापुर को भी विकसित कर रहे हैं.
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जमीन के संबंध में खुद मिला हूं, लेकिन केंद्र सरकार हमें सहयोग नहीं कर रही है. उन्होंने सिंधिया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे जब कांग्रेस में थे तब महाराज कहलाते थे, अब उन्हें इससे संकोच हो रहा है. कहते हैं कि मुझे महाराज मत कहो, क्योंकि एक महाराज ने दूसरे महाराज को निपटा दिया है. उन्होंने कहा कि सिंधिया यहां आए थे तो कुछ देकर नहीं गए, बल्कि रेकी करके गए हैं कि यहां और क्या बेचा जा सकता है.
छत्तीसगढ़ सरकार की हठधर्मिता के कारण जनता विमान सेवा से वंचित : बृजमोहन
इसके पहले भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी एयरपोर्ट के मामले को लेकर राज्य सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार की हठधर्मिता और आर्थिक बदहाली के चलते छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर और जगदलपुर जैसे शहर की जनता विमान सेवा से वंचित है. जबकि रायपुर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से वंचित हो रहा है. यहां विमानतल एवं विमान सेवाओं का विस्तार नहीं हो पा रहा है.
बहरहाल छत्तीसगढ़ के छोटे शहरों में हवाई सेवाओं के विस्तार की योजना राजनीति की भेंट चढ़ती नजर आ रही है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच हुए पत्राचार और भाजपा नेताओं के आरोप के आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि विमान सेवाओं के विस्तार को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच शायद सामंजस्य की कमी है, नहीं तो योजना अटकती नहीं. अब देखने वाली बात है कि इन दोनों सरकारों में कब सामंजस्य स्थापित होता है और कब तक प्रदेशवासियों को बेहतर हवाई सुविधा मिल पाती है.