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राजभवन-सरकार में टकराव! : राज्यपाल के फाइल लौटाने पर बोले सीएम, 'सत्र बुलाने से नहीं रोक सकतीं राज्यपाल'

पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी राजभवन और सरकार के बीच टकराव बढ़ता नजर आ रहा है. करीब 3 महीने पहले कुलपति की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल के अधिकार में कटौती से शुरू हुआ विवाद पहले राजभवन के सचिव की पदस्थापना तक पहुंचा और अब विशेष सत्र को लेकर एक बार फिर टकराव की स्थिति है.

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राजभवन और सरकार के बीच टकराव
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Published : Oct 20, 2020, 5:05 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 7:52 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति बन गई है. छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए भेजी गई फाइल को राजभवन ने लौटा दिया है. संसद में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर राजभवन ने राज्य सरकार से क्योरी की है. राजभवन ने विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर राज्य सरकार से जानकारी मांगी हैं. दरअसल एक दिन पहले ही सरकार ने 27-28 तारीख को विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाए जाने की मंशा के साथ राज्यपाल की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा था. ऐसे में राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराव तेज हो गया है.

राजभवन और सरकार के बीच टकराव

'राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए'

विधानसभा सत्र को लेकर राजभवन से टकराव के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि कोई भी बिल विधानसभा से पास होने के बाद राजभवन जाता है. सबसे पहली बात है कि जो पूर्ण बहुमत की सरकार है उसे सत्र बुलाने से राज्यपाल नहीं रोक सकतीं हैं. इसके बाद भी अगर कोई जवाब तलब होता है तो सरकार की ओर से जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राजभवन को राजनीतिक अखाड़ा का केंद्र नहीं बनाना चाहिए. राज्यपाल ने कुछ जानकारी मांगी है, वह उन्हें दे दी जाएगी.

पढ़ें: बड़ा फैसला: छत्तीसगढ़ में धान और गन्ने से बनाया जाएगा एथेनॉल, 54 रुपए लीटर में खरीदेगी केंद्र सरकार

राजभवन ने विशेष सत्र बुलाने से संबंधित फाइल लौटाई

संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने विशेष सत्र बुलाए जाने की जानकारी भी साझा की थी. सरकार ने कहा था कि राजभवन से अधिसूचना जल्द जारी हो सकती है, लेकिन राजभवन ने फाइल लौटाकर पूछा है कि, 58 दिन पहले ही जब सत्र आहूत किया गया था, तो ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई है कि विशेष सत्र बुलाए जाने की जरूरत पड़ रही है? विशेष सत्र बुलाए जाने से संबंधित फाइल सरकार को लौटाने के बाद राजभवन और सरकार के बीच टकराव और तेज हो गए हैं.

SPECIAL: ब्रिटिशकालीन इमारतों का अद्भुत नमूना 'महाकौशल कला वीथिका', संरक्षण की दरकार

कृषि कानून के विरोध में थी नया बिल लाने की तैयारी

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था कि दिवाली के पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है. इसके लिए सभी विभागों ने तैयारी शुरू कर दी है. इस सत्र में केंद्र सरकार के पारित नए कृषि कानूनों को रोकने के लिए राज्य सरकार का अपना कानून बनाया जा सकता है. केंद्र सरकार के बनाए नए कृषि कानूनों के खिलाफ छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार लगातार विरोध कर रही है.

पंजाब में केंद्र के विरोध में तीन बिल पेश

केंद्र द्वारा स्वीकृत कृषि कानून के पुरजोर विरोध के बाद पंजाब सरकार का विधान सभा का दो दिवसीय विशेष सत्र शुरू हो चुका है. आज सत्र के दूसरे दिन इसके विरोध में बिल पेश किया गया है. अमरिंदर सिंह ने सदन में कृषि कानून के विरोध में अपनी बात रखी. वहीं नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन का समर्थन किया है.इससे पहले सदन के पहले दिन सोमवार को कारवाई सिर्फ 35 मिनट के लिए ही चली थी. पंजाब सरकार ने सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लाया जाने वाला विधेयक एक दिन टाल दिया. इस पर सदन में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया.

पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र में भी राजभवन से टकराव

राज्य पुलिस अधिकारी को कानून-व्यवस्था को लेकर राज्यपाल धनखड़ ने पश्चिम बंगाल CM को पत्र लिखा था. जिस पर ममता बनर्जी उन पर जमकर बरसी थीं. उन्होंने धनखड़ को संविधान के दायरे में रहकर काम करने की नसीहत तक दे डाली थी। सीएम ने कहा था कि अनुच्छेद 163 के अनुसार, राज्यपाल को अपने मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करना अनिवार्य है. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को प्रदेश के मंदिरों को अनलॉक किए जाने को लेकर पत्र लिखा था. राज्यपाल ने ठाकरे को पत्र में पूछा कि क्या वह अब सेक्युलर हो गए हैं. इस पर शिवसेना की ओर से भी प्रतिक्रिया दी गई.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति बन गई है. छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए भेजी गई फाइल को राजभवन ने लौटा दिया है. संसद में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर राजभवन ने राज्य सरकार से क्योरी की है. राजभवन ने विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर राज्य सरकार से जानकारी मांगी हैं. दरअसल एक दिन पहले ही सरकार ने 27-28 तारीख को विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाए जाने की मंशा के साथ राज्यपाल की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा था. ऐसे में राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराव तेज हो गया है.

राजभवन और सरकार के बीच टकराव

'राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए'

विधानसभा सत्र को लेकर राजभवन से टकराव के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि कोई भी बिल विधानसभा से पास होने के बाद राजभवन जाता है. सबसे पहली बात है कि जो पूर्ण बहुमत की सरकार है उसे सत्र बुलाने से राज्यपाल नहीं रोक सकतीं हैं. इसके बाद भी अगर कोई जवाब तलब होता है तो सरकार की ओर से जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राजभवन को राजनीतिक अखाड़ा का केंद्र नहीं बनाना चाहिए. राज्यपाल ने कुछ जानकारी मांगी है, वह उन्हें दे दी जाएगी.

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राजभवन ने विशेष सत्र बुलाने से संबंधित फाइल लौटाई

संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने विशेष सत्र बुलाए जाने की जानकारी भी साझा की थी. सरकार ने कहा था कि राजभवन से अधिसूचना जल्द जारी हो सकती है, लेकिन राजभवन ने फाइल लौटाकर पूछा है कि, 58 दिन पहले ही जब सत्र आहूत किया गया था, तो ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई है कि विशेष सत्र बुलाए जाने की जरूरत पड़ रही है? विशेष सत्र बुलाए जाने से संबंधित फाइल सरकार को लौटाने के बाद राजभवन और सरकार के बीच टकराव और तेज हो गए हैं.

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कृषि कानून के विरोध में थी नया बिल लाने की तैयारी

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था कि दिवाली के पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है. इसके लिए सभी विभागों ने तैयारी शुरू कर दी है. इस सत्र में केंद्र सरकार के पारित नए कृषि कानूनों को रोकने के लिए राज्य सरकार का अपना कानून बनाया जा सकता है. केंद्र सरकार के बनाए नए कृषि कानूनों के खिलाफ छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार लगातार विरोध कर रही है.

पंजाब में केंद्र के विरोध में तीन बिल पेश

केंद्र द्वारा स्वीकृत कृषि कानून के पुरजोर विरोध के बाद पंजाब सरकार का विधान सभा का दो दिवसीय विशेष सत्र शुरू हो चुका है. आज सत्र के दूसरे दिन इसके विरोध में बिल पेश किया गया है. अमरिंदर सिंह ने सदन में कृषि कानून के विरोध में अपनी बात रखी. वहीं नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन का समर्थन किया है.इससे पहले सदन के पहले दिन सोमवार को कारवाई सिर्फ 35 मिनट के लिए ही चली थी. पंजाब सरकार ने सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लाया जाने वाला विधेयक एक दिन टाल दिया. इस पर सदन में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया.

पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र में भी राजभवन से टकराव

राज्य पुलिस अधिकारी को कानून-व्यवस्था को लेकर राज्यपाल धनखड़ ने पश्चिम बंगाल CM को पत्र लिखा था. जिस पर ममता बनर्जी उन पर जमकर बरसी थीं. उन्होंने धनखड़ को संविधान के दायरे में रहकर काम करने की नसीहत तक दे डाली थी। सीएम ने कहा था कि अनुच्छेद 163 के अनुसार, राज्यपाल को अपने मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करना अनिवार्य है. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को प्रदेश के मंदिरों को अनलॉक किए जाने को लेकर पत्र लिखा था. राज्यपाल ने ठाकरे को पत्र में पूछा कि क्या वह अब सेक्युलर हो गए हैं. इस पर शिवसेना की ओर से भी प्रतिक्रिया दी गई.

Last Updated : Oct 20, 2020, 7:52 PM IST
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