रायपुर : कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से ठप पड़ा सराफा बाजार गुलजार होता दिख रहा है. लॉकडाउन के बीच सरकार ने सोने, जेवरात के दुकानों को 19 मई से सशर्त खोलने की अनुमति दी थी. जिसके बाद गहनों के दुकानों में ग्राहक लौटने शुरू हो गए हैं. 19 मई से अब तक सोने के भाव में प्रति 10 ग्राम 7 हजार रुपये का उछाल आया है. जिससे बिजनेस को लेकर सराफा कारोबारियों और ज्वैलरी के दुकानों में काम करने वाले कारीगरों की उम्मीदें बंधी हैं.
ऐसे बढ़ी सोने की कीमतें-
- अप्रैल में प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत थी 40,800 रुपये
- मई में प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत 49,000 रुपये पहुंची
- जून के शुरुआती दिनों में प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत 48 हजार रुपये हुई.
लॉकडाउन के बीच हर तरह के छोटे-बड़े कारोबार प्रभावित हुए है जिसमें एक कारोबार सोने चांदी का भी है. सराफा कारोबारियों को भी पूरे प्रदेश में 2 महीने के भीतर लगभग 500 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है.
जून में बेहतर कारोबार की उम्मीद
मार्च-अप्रैल और मई में लॉकडाउन के कारण सराफा बाजार पूरी तरह से बंद था. जिसमें अब जान आती दिख रही है. कारोबारियों को इस महीने अच्छे कारोबार की उम्मीद है. सोने में कारीगरी का काम, रिफाइनरी और हाल मार्किंग का काम भी राजधानी सहित पूरे प्रदेश में 2 महीने से बंद था. इससे जुड़े लोग भी पूरी तरह से बेरोजगार हो गए थे. लेकिन बाजार की हालत संभलने से इनकी रोजी रोटी पर छाया संकट दूर होने की उम्मीद है.
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ज्यादातर कारीगर बंगाल से
प्रदेश में सोने के जेवरात बनाने वाले अधिकांश कारीगर पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं. लॉकडाउन में ज्यादातर कारीगर अपने घर चले गए थे अभी 20% कारीगरी सोने के जेवरात की कारीगरी का काम कर रहे हैं.सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हरख मालू कहते हैं कि सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है. लॉकडाउन के बाद अब लोगों की रूचि इस ओर फिर लौट रही है.
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बेहतर कारोबार की उम्मीद
प्रदेश में सराफा दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 12,000 हैं. दो महीनों से बंद पड़े कारोबार से परिवारों को आर्थिक तंगी से जुझना पड़ रहा था, अब फिर से लोग सराफा बाजार पहुंच रहे है. जून में कुछ शादियां बची हुई है, जिसमें बेहतर कारोबार की उम्मीद है. एसे में इसी तरह अगर सोने की कीमतें बढ़ती रही तो सोने पर सुहागा वाली कहावत सच साबित हो सकती है