रायपुर : शास्त्री चौक स्थित राज्य महिला आयोग कार्यालय (State Women's Commission Office) में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई. इस सुनवाई में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण अनीता रावटे, शशिकांता राठौर और अर्चना उपाध्याय मुख्य रूप से मौजूद रहीं. महिला आयोग के समक्ष महिला उत्पीड़न से संबंधित 20 मामले सुनवाई के लिए आए. इस दौरान 8 मामले नस्तीबद्ध किये गये. अन्य प्रकरणों को आगामी सुनवाई (hearing) के लिए रख लिया गया.
एक मामले में आवेदिका ने बताया कि पति ने पहली पत्नी से तलाक (Divorce) लेकर उससे शादी की. बिना तलाक लिये ही अब तीसरी शादी कर ली है. इस बात को पति ने भी आयोग में स्वीकार किया. यह भी स्वाकर किया कि उसने यह गलती की है और तीसरी शादी किये करीब 3 साल बीत चुके हैं. आवेदिका ने यह भी बताया कि ससुराल में जेठ-जेठानी और ससुर उसे घर से निकालने की धमकी दे रहे हैं. अनावेदक पति अपनी सम्पत्ति का आधा हिस्सा देने से भी मुकर रहा है. इस मामले में ससुराल वालों की मौजूदगी में सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए अगली तिथि दी गई.
इधर, एक अन्य मामले में आवेदिका ने ससुराल वालों के खिलाफ पति का मानसिक संतुलन बिगड़ने के कारण इलाज न कराने को लेकर शिकायत की थी. ससुराल वाले आवेदिका के पति के इलाज के सभी दस्तावेज लेकर आयोग के समक्ष उपस्थित रहे. आवेदिका और ससुराल वालों को आयोग ने समझाया कि जब तक आवेदिका के पति का इलाज चलेगा, तब तक आवेदिका को जानकारी देते रहना होगा. इस प्रकार इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया.
वहीं एक अन्य मामले में पत्नी ने पंचायत सचिव पति के खिलाफ आयोग में शिकायत की थी. पीड़िता ने बताया था कि पति उसे सामाजिक तलाक देकर भरण-पोषण नहीं दे रहा है. आयोग ने दोनों पक्षों को समझाया तब जाकर दोनों सहमत हुए. लेकिन कहा गया कि दोनों के बीच प्रकरण न्यायालय में लंबित होने के कारण जांच उचित नहीं होगी. इस मामले में पति ने शासकीय सेवा में होते हुए भी तलाक का उल्लेख किया है. एकमुश्त 21 हजार रुपये की देने का आवेदन भी आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है, जो खुद में त्रुटिपूर्ण है. आयोग ने यह पाया कि अनावेदक पति शासकीय सेवा में है और पत्नी को भरण-पोषण देने से बचना चाह रहा है. आयोग ने मामले को नस्तीबद्ध कर दिया.