रायपुर/दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद से पारित तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों को मंजूरी दे दी है. जिसका स्वागत छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने किया है.आपको बता दें कि भारत में तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून औपनिवेशिक काल के तीन कानूनों भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.
CM विष्णुदेव साय ने भी कानून को सराहा : छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि ''भारत की महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य संहिता को मंजूरी प्रदान की गई है. इससे भारत में न्याय का एक नया अध्याय प्रारंभ होगा. मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय गृह मंत्री जी का हृदय से धन्यवाद करना चाहूंगा. उनकी दूरदर्शी सोच से आज हमें अंग्रेज शासनकाल से चले आ रहे कानूनों के स्थान पर सशक्त संहिताएं प्राप्त हुई हैं जिससे निश्चित ही भारत की न्याय व्यवस्था सुदृढ़ होगी.''
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भारत की महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य संहिता को मंजूरी प्रदान की गई है। इससे भारत में न्याय का एक नया अध्याय प्रारंभ होगा।
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मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर मान. प्रधानमंत्री जी एवं मान. गृह मंत्री जी का हृदय से…
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— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) December 26, 2023
मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर मान. प्रधानमंत्री जी एवं मान. गृह मंत्री जी का हृदय से…भारत की महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य संहिता को मंजूरी प्रदान की गई है। इससे भारत में न्याय का एक नया अध्याय प्रारंभ होगा।
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) December 26, 2023
मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर मान. प्रधानमंत्री जी एवं मान. गृह मंत्री जी का हृदय से…
गृहमंत्री ने पेश किया था विधेयक : इससे पहले संसद में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन कानूनों का उद्देश्य अपराधों और उनकी सजा को परिभाषित करके देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव लाना है. इनमें आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा दी गयी है, राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया गया है. राज्य के खिलाफ अपराध शीर्षक से एक नया खंड जोड़ा गया है.
कब पेश हुआ था विधेयक : ये विधेयक सबसे पहले अगस्त में संसद के मानसून सत्र में पेश किए गए थे. गृह मामलों पर स्थायी समिति के कई सिफारिशें किए जाने के बाद सरकार ने विधेयकों को वापस लेने का फैसला किया. इसके बाद पिछले सप्ताह संसद में विधेयकों का नया संस्करण पेश किया गया था.