रायपुर: झीरम हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी(NIA) की कार्यप्रणाली पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवालिया निशान खड़ा किए हैं. सीएम भूपेश ने कहा है कि एनआईए में न आरोपियों का बयान दर्ज हुआ न किसी तरह की कारवाई हुई. सीएम ने कहा कि एनआईए ने अपनी जांच में छत्तीसगढ़ के थाने में दर्ज नक्सली गणपति का नाम क्यों हटा दिया. बड़े नक्सली नेताओं के नाम क्यों नहीं हैं. सीएम भूपेश ने कहा कि एनआईए इस षड़यंत्र की दिशा में जांच क्यों नहीं कर रही है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में साल 2013 में दरभा की झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था. जिसमें प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेता हमले में मारे गए थे. इस हमले में कांग्रेस के बड़े नेताओं समेत 27 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले की जांच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 27 मई 2013 को एनआईए (National Investigation Agency) को सौंप दी थी. एनआईए ने अपनी जांच में 88 नक्सलियों के कैडर को संलिप्त पाया था. इसके बाद 24 सितंबर 2014 को मामले में चार्जशीट दाखिल की गई थी.
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भूपेश सरकार ने गठित की थी SIT
हालांकि बाद में छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने सत्ता संभालते ही इस मामले की जांच के लिए एसआईटी (Special investigation team) का गठन किया था. अब एसआईटी को NIA से दस्तावेज का इंतजार है.
बस्तर पुलिस और NIA आमने-सामने
इस मामले को लेकर राज्य सरकार समेत बस्तर पुलिस और NIA कई बार आमने-सामने आए हैं. NIA ने बस्तर पुलिस की जांच पर सवाल उठाए थे. याचिका दायर की गई थी, जिस पर पुलिस ने जवाब भी भेजा था. पुलिस ने अपने जवाब में अलग जांच के बिंदु भी प्रस्तुत किए थे. जो NIA जांच से मेल नहीं खाते. इसी के आधार पर पुलिस अपनी जांच अलग से जारी रखने की बात कह रही थी. बस्तर पुलिस किसी भी स्थिति में अपनी FIR और जांच NIA को नहीं सौंपना चाहती है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जो कानून सम्मत होगा वो किया जाएगा. झीरम घाटी हमले की जांच को लेकर गरमाई सियासत दो जांच एजेंसियों के बीच उलझ गई है.