रायपुर : बिहार के शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहा है. इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि "उसके बारे में बहुत सारे लोग बोल रहे हैं देखिए कोई भी ग्रंथ है उसमें विनोबा भावे जी का जो वर्जन है उसको मैं कोट करूंगा. उन्होंने कहा है कोई भी ग्रंथ है और किसी ग्रंथ में कोई विषय दिया गया है. तो उसे बहुत गहन चिंतन करके उसके सूक्ष्म से सूक्ष्म तत्व को ग्रहण करना चाहिए. आज दिक्कत ये है कि हम ऊपरी ऊपरी बातें कहते हैं. रामायण में बहुत गुण तत्व दिया गया है. तो उन गुण तथ्यों को विवेचना कर हमें ग्रहण करना चाहिए. उस समय तत्कालीन जो परिस्थितियां थी उसके तहत रचना की गई. आज 600 साल हो गए रामायण रचना किए. उससे पहले कई भाषाओं में रचना हुई है. तो उसके जो मूल तत्व है उसे हमें लेना चाहिए. चाहे किसी भी धर्म ग्रंथ का हो उसमें जैसे लिखा है वैसे नहीं मानना चाहिए .बल्कि आज की परिस्थिति में उनकी विवेचना करके जो उनके मूल तत्व है उसे ग्रहण करना चाहिए. यह विनोवा भावे जी ने कहा है.''
ग्रंथों के मूल तत्व को ग्रहण करने की नसीहत : सीएम बघेल ने कहा कि '' आजकल यह सोशल मीडिया और इसके माध्यम से बिल्कुल सतही तौर पर सारी विवेचना की जाती है. इससे समाज का भला नहीं होता. इससे समाज में विद्वेष ही फैलता है. उसके जो मूल तत्व हैं. रामायण के मूल तत्व है कि राम का चरित्र क्या है. भरत का चरित्र क्या है. हनुमंत जी का चरित्र क्या है. लक्ष्मण जी का चरित्र क्या है. गुहा राज निषाद जी का चरित्र क्या है, जटायु का चरित्र क्या है. तो इन चरित्रों को उनके जो गुण तत्व है उनको हमें आत्मसात करना चाहिए. ना कि सतही बातों का. उससे किसका भला होगा चाहे किसी भी ग्रंथ की बात हो. जो 500 साल, 600 साल, 2000 साल पहले लिखी गई है. आज के समय में वह रिलेवेंट है क्या. लेकिन उस समय वही बहुत बड़ा था और आज उसमें जो सूक्ष्म तत्व है उसको लेना चाहिए, ग्रहण करना चाहिए. विवादों में नहीं पड़ना चाहिए यह सब गलत है.
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क्या था बिहार के शिक्षामंत्री का बयान :बता दें कि बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बयान दिया है कि 'रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है. मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया. फिर उसके बाद रामचरितमानस ने समाज में नफरत पैदा की. आज के समय गुरु गोलवलकर की विचार समाज में नफरत फैला रही है. मनुस्मृति को बाबा साहब अंबेडकर ने इसलिए जलाया क्योंकि वह दलितों और वंचितों के हक छीनने की बातें करती है.'