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शहीद विद्याचरण शुक्ल को सीएम भूपेश बघेल ने किया नमन

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने एक कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद विद्याचरण शुक्ल की जयंती पर उन्हें याद (CM Bhupesh Baghel pays tribute to martyr Vidyacharan Shukla) किया.

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शहीद विद्याचरण शुक्ल को सीएम भूपेश बघेल ने किया नमन
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Published : Aug 2, 2022, 1:16 PM IST

रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री शहीद विद्याचरण शुक्ल की 2 अगस्त को जयंती पर उन्हें नमन किया (CM Bhupesh Baghel pays tribute to martyr Vidyacharan Shukla) है. बघेल ने विद्याचरण शुक्ल को याद करते हुए कहा कि '' कुशल राजनेता और प्रशासक के रूप में विद्याचरण जी जाने जाते हैं. उन्होंने केन्द्रीय मंत्री के रूप में कई सालों तक छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया. भारत सरकार के मंत्री के रूप में उन्होंनेे संचार, गृह, रक्षा, वित्त, योजना, विदेश, संसदीय कार्य मंत्रालयों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली. केन्द्रीय मंत्री के रूप में विद्याचरण जी ने देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के विकास की राहें भी प्रशस्त की. झीरम घाटी नक्सली (jhiram valley naxal attack) हमले में विद्याचरण जी की शहादत छत्तीसगढ़ कभी भुला नहीं पाएगा. छत्तीसगढ़ के लिए उनके योगदान को हमेशा याद किया (raipur news ) जाएगा.

कौन थे विद्याचरण शुक्ल :विद्याचरण शुक्ल भारतीय राजनीति के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक है उनके पिता पंडित रविशंकर शुक्ल वकील, स्वतंत्रता सेनानी, अनुभवी कांग्रेसी नेता और अविभाजित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे.विद्याचरण शुक्ल ने 1957 में पहली बार महासमुंद से लोकसभा चुनाव जीते और सबसे युवा सांसद बने. विद्याचरण शुक्ल ने 1951 में नागपुर के मोरिस कॉलेज से बी.ए. शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद में उन्होंने एक कंपनी भी शुरू की. जो सफारी और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के एक्सपीडिशन आयोजित करती है. इसके अलावा उन्होंने मैगजीन और डोलमाइट के खनन का भी काम शुरू किया.

कैसा था विद्याचरण शुक्ल का करियर : 1957 में पहली बार महासमुंद में से लोकसभा चुनाव जीते और सबसे युवा सांसद बने.यह उनके खुद में ही रिकॉर्ड था कि वे नौ बार लोकसभा के सांसद रहे.

  • 1957 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने विद्या चरण शुक्ल को महासमुंद सीट से चुनावी अखाड़े में उतारा.एक बड़े बहुमत के साथ जीत दर्ज कर उन्होंने भारतीय संसद में अपनी जगह बनाई.
  • 1962 में महासमुंद से दोबारा सांसद बने. वह उस वक्त के युवा सांसदों में से एक थे.
  • 1962 में महासमुंद से और 1971 मे रायपुर से सांसद बने.
  • 1966 में पहली बार इंदिरा गांधी कैबिनेट में शामिल हुए. विद्या चरण शुक्ला चंद्रशेखर सरकार में भी विदेश मंत्री रहे.
  • 1977 में उन्होने लोकसभा का चुनाव रायपुर से लड़ा पर आपातकाल से उपजे आक्रोश के कारण वे हार गए. नौ लोकसभा चुनावों में जीतकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी में अपनी जबरदस्त धाक जमाई.
  • 1966 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी, तो उन्होंने विद्या चरण शुक्ल को कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया. राजनीतिक सफर के दौरान उन्हें कई बेहद महत्त्वपूर्ण मंत्रालय मिले जैसे दूरसंचार, गृह, रक्षा, वित्त, योजना, सूचना एवं प्रसारण, विदेश, संसदीय, जल संसाधन.
  • 1975 से 1977 के दौरान विद्याचरण शुक्ल ने ही ऑल इंडिया रेडियो पर किशोर कुमार के गाने पर रोक लगा दी थी. तब वह सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे. दरअसल किशोर कुमार ने कांग्रेस के लिए गाने से इनकार कर दिया था. इससे नाराज होकर उन्होंने ये सख्त कदम उठाया था.

कैसे हुई मृत्यु : 26 मई, 2013 को कांग्रेस की ‘परिवर्तन यात्रा’ पर (Naxal attack on Congress Parivartan Yatra) नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था. जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा सहित 27 लोग शहीद हो गए ,वहीं विद्याचरण शुक्ल समेत 31 अन्य लोग जख्मी हो गए थे. शुक्ल को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. जहां उनका दु:खद निधन हो गया. इस हमले को झीरम घाटी हमले के रुप में याद किया जाता है. सबकी मौत पर तीन दिन का राजकीय शोक रखा गया था.

रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री शहीद विद्याचरण शुक्ल की 2 अगस्त को जयंती पर उन्हें नमन किया (CM Bhupesh Baghel pays tribute to martyr Vidyacharan Shukla) है. बघेल ने विद्याचरण शुक्ल को याद करते हुए कहा कि '' कुशल राजनेता और प्रशासक के रूप में विद्याचरण जी जाने जाते हैं. उन्होंने केन्द्रीय मंत्री के रूप में कई सालों तक छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया. भारत सरकार के मंत्री के रूप में उन्होंनेे संचार, गृह, रक्षा, वित्त, योजना, विदेश, संसदीय कार्य मंत्रालयों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली. केन्द्रीय मंत्री के रूप में विद्याचरण जी ने देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के विकास की राहें भी प्रशस्त की. झीरम घाटी नक्सली (jhiram valley naxal attack) हमले में विद्याचरण जी की शहादत छत्तीसगढ़ कभी भुला नहीं पाएगा. छत्तीसगढ़ के लिए उनके योगदान को हमेशा याद किया (raipur news ) जाएगा.

कौन थे विद्याचरण शुक्ल :विद्याचरण शुक्ल भारतीय राजनीति के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक है उनके पिता पंडित रविशंकर शुक्ल वकील, स्वतंत्रता सेनानी, अनुभवी कांग्रेसी नेता और अविभाजित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे.विद्याचरण शुक्ल ने 1957 में पहली बार महासमुंद से लोकसभा चुनाव जीते और सबसे युवा सांसद बने. विद्याचरण शुक्ल ने 1951 में नागपुर के मोरिस कॉलेज से बी.ए. शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद में उन्होंने एक कंपनी भी शुरू की. जो सफारी और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के एक्सपीडिशन आयोजित करती है. इसके अलावा उन्होंने मैगजीन और डोलमाइट के खनन का भी काम शुरू किया.

कैसा था विद्याचरण शुक्ल का करियर : 1957 में पहली बार महासमुंद में से लोकसभा चुनाव जीते और सबसे युवा सांसद बने.यह उनके खुद में ही रिकॉर्ड था कि वे नौ बार लोकसभा के सांसद रहे.

  • 1957 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने विद्या चरण शुक्ल को महासमुंद सीट से चुनावी अखाड़े में उतारा.एक बड़े बहुमत के साथ जीत दर्ज कर उन्होंने भारतीय संसद में अपनी जगह बनाई.
  • 1962 में महासमुंद से दोबारा सांसद बने. वह उस वक्त के युवा सांसदों में से एक थे.
  • 1962 में महासमुंद से और 1971 मे रायपुर से सांसद बने.
  • 1966 में पहली बार इंदिरा गांधी कैबिनेट में शामिल हुए. विद्या चरण शुक्ला चंद्रशेखर सरकार में भी विदेश मंत्री रहे.
  • 1977 में उन्होने लोकसभा का चुनाव रायपुर से लड़ा पर आपातकाल से उपजे आक्रोश के कारण वे हार गए. नौ लोकसभा चुनावों में जीतकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी में अपनी जबरदस्त धाक जमाई.
  • 1966 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी, तो उन्होंने विद्या चरण शुक्ल को कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया. राजनीतिक सफर के दौरान उन्हें कई बेहद महत्त्वपूर्ण मंत्रालय मिले जैसे दूरसंचार, गृह, रक्षा, वित्त, योजना, सूचना एवं प्रसारण, विदेश, संसदीय, जल संसाधन.
  • 1975 से 1977 के दौरान विद्याचरण शुक्ल ने ही ऑल इंडिया रेडियो पर किशोर कुमार के गाने पर रोक लगा दी थी. तब वह सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे. दरअसल किशोर कुमार ने कांग्रेस के लिए गाने से इनकार कर दिया था. इससे नाराज होकर उन्होंने ये सख्त कदम उठाया था.

कैसे हुई मृत्यु : 26 मई, 2013 को कांग्रेस की ‘परिवर्तन यात्रा’ पर (Naxal attack on Congress Parivartan Yatra) नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था. जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा सहित 27 लोग शहीद हो गए ,वहीं विद्याचरण शुक्ल समेत 31 अन्य लोग जख्मी हो गए थे. शुक्ल को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. जहां उनका दु:खद निधन हो गया. इस हमले को झीरम घाटी हमले के रुप में याद किया जाता है. सबकी मौत पर तीन दिन का राजकीय शोक रखा गया था.

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