रायपुर : छत्तीसगढ के सीएम भूपेश बघेल 'भेंट मुलाकत कार्यक्रम' के तहत एक और मास्टर स्ट्रोक खेलने जा रहे हैं. इसका असर आने वाले चुनाव में देखने को मिल सकता है. सीएम बघेल युवाओं से भेंट मुलाकत कार्यक्रम पहले ही शुरू कर चुके हैं. अब इसके आगे नए वोटर्स के लिए 'बात हे स्वाभिमान के हमर पहली मतदान के' कैंपेन लॉच कर रहे हैं. जहां एक तरफ विरोधी पार्टियां को इसकी काट फिलहाल समझ में नहीं आ रही है. वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि राज्य में पीएससी घोटाले के कलंक को धोने की कोशिश इस कार्यक्रम के जरिए हो रही है.
युवाओं के लिए कार्यक्रम क्यों: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने करीब एक साल पहले यानि मई 2022 में भेंट मुलाकात कार्यक्रम शुरू किया था. इसके तहत वे 90 विधानसभा के लोगों तक पहुंचे. लोगों से सीएम ने सीधे संवाद किया.इसका समापन भी सीएम ने अच्छे से किया. कार्यक्रम के दौरान सीएम जिनके घर गए, उनको सीएम हाउस में खाने पर बुलाया. सीधे संवाद का समापन का ये एक अध्याय था. अब इसी को सीएम ने आगे बढ़ाया है. पहले विधानसभा को कवर करना था. अब युवाओं खासकर पहली बार वोट देने जा रहे युवाओं तक कांग्रेस की पहुंच बनाना है. इस वजह से पुराने कलेवर में नई ऊर्जा के साथ भेंट मुलाकात युवाओं के साथ शुरू किया गया है. इसके अळावा पहली बार वोट डालने जा रहे है छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए एक और कैंपेन 26 जुलाई का शुरू होगा. इसका नाम रखा गया है,''बात हे स्वाभिमान के हमर पहली मतदान के''.कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि युवाओं तक पहुंचने के लिए दो तरह से स्ट्रेटजी अपनाई जा रही है. एक है- सीएम का युवाओं के साथ भेंट मुलाकात, दूसरी है-''बात हे स्वाभिमान के हमर पहली मतदान के'' कैंपेन. ये दोनों कैंपेन राज्यों के युवाओं को देखकर डिजाइन किए गए हैं.
युवाओं के लिए कांग्रेस के दो कैंपेन : पहला भेंट मुलाकात कार्यक्रम रायपुर से 23 जुलाई रविवार को शुरू किया गया. इसमें भारी संख्या में युवा आए. इसमें सीएम ने युवाओं से शिक्षा और रोजगार के संबंध में चर्चा की. वहीं कई वादे भी किए. अब ऐसे कार्यक्रम अन्य संभाग में भी होंगे. वहीं दूसरे कैंपेन ''बात हे स्वाभिमान के हमर पहली मतदान के'' की शुरूआत भी बुधवार को रायपुर में होने जा रही है. एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष नीरज पांडे बताते हैं,' इस कार्यक्रम के जरिए कांग्रेस प्रदेश के पांच लाख नए मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश करेगी.ये मतदाता पहली बार वोट डालेंगे. हम लोग कार्यक्रम में सरकार द्वारा युवाओं के लिए शुरू की गई योजनाओं के बारे में बताएंगे.' कांग्रेस कार्यक्रम को बड़ा बनााने की पूरी कोशिश कर रही है इसलिए इसमें कांग्रेस के युवा चेहरे कन्हैया कुमार भी शामिल हो सकते हैं. एनएसयूआई को ''बात हे स्वाभिमान के हमर पहली मतदान के'' कैंपेन की जिम्मेदारी दी गई है. इसके तहत एनएसयूआई प्रदेश के कॉलेजों और कोचिंग सेंटर में सरकारी योजनाओं की जानकारी भी देगी.
युवाओं पर इतना जोर क्यों ?: जब 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे. जब कांग्रेस ने युवाओं की ताकत को समझ लिया था. 2018 में कुल मतदाता करीब एक करोड़ 85 लाख 45 हजार 819 थे. वहीं 2023 के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में पुरुष मतदाताओं की संख्या 97 लाख 27 हजार 594 है. महिला वोटरों की संख्या 97 लाख 26 हजार 415 है. 18 से 19 साल के मतदाताओं की संख्या 3 लाख 9 हजार है. छत्तीसगढ़ में 20 से 29 साल के मतदाताओं की संख्या 42 लाख 46 हजार 538 है. छत्तीसगढ़ में पहली बार वोट करने वाले वोटरों की संख्या 5 लाख से अधिक है. इस युवा ताकत को कांग्रेस ने अच्छे से समझ लिया है. हालांकि बीजेपी भी अपने स्तर पर इस वर्ग तक पहुंचने की रणीति बना रही है. पर फिलहाल बीजेपी का ध्यान कांग्रेस की इस रणनीति की बुराई निकालने में है इसलिए उसके मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने बयान दिया है
"छत्तीसगढ़ में युवा आत्महत्याएं कर रहे हैं. एनएसयूआई के कार्यकर्ता इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं.राज्य में बेरोजगारी है. संविदा कर्मचारी धरने पर बैठे हुए हैं. कांग्रेस से युवा वर्ग खासा नाराज भी है."- अमित चिमनानी, मीडिया प्रभारी, बीजेपी
क्या है विरोधी पार्टियों की काउंटर स्ट्रेटजी ?: भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत कांग्रेस के द्वारा युवाओं को लेकर चलाए जा रहे है इस युवा भेंट मुलाकात कार्यक्रम को एक प्रोपेगेंडा बता रहे हैं. रवि भगत का कहना है कि व्यापमं और पीएससी घोटाले से ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस के द्वारा इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है. जिस तरह से भेंट मुलाकात के दौरान चुनिंदा लोगों के द्वारा मुख्यमंत्री से सवाल पूछे जाते थे, उसी तरह युवा भेंट मुलाकात के दौरान चुनिंदा युवाओं से सवाल पूछे जाएंगे और उसका जवाब दिया जाएगा. सीएम के द्वारा युवाओं के लिए किए जा रही घोषणा को लेकर रवि भगत ने कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा घोषणाएं कुछ भी कर दी जा रही है लेकिन क्या उसे पूरा कर पाएंगे, दो-तीन महीने में क्या यह घोषणाएं पूरी हो सकती हैं? इन बातों को लेकर बीजेपी भी युवाओं के बीच में जाएगी.
बीजेपी भी युवा वोटरों को साधने की जुगत में जुटी : भाजपा की ओर से युवाओं के लिए चलाए जा रहे अभियान को लेकर बीजेपी नेता रवि भगत ने कहा कि युवाओं के बीच नव मतदाता सम्मेलन कराया जा रहा है. साथ ही फर्स्ट टाइम वोटरों को निमंत्रण पत्र भी दिया जा रहा है. चुनावी घोषणा पत्र को लेकर युवाओं से संवाद किया जा रहा है. उनकी मंशा पूछी जा रही है और उसे घोषणापत्र में शामिल किया जाएगा.
"कांग्रेस सरकार यूथ को लेकर सिर्फ घोषणाएं करती रही है. उनकी कई घोषणाएं पूरी नहीं हुई है. यदि बेरोजगारी भत्ते की बात की जाए तो हमारे क्षेत्र के कई बेरोजगारों को भत्ता नहीं मिला है. यह सारी योजनाएं कागजों पर हैं. इसे लेकर भी हम जनता के बीच में जाएंगे".- रवि भगत, बीजेपी नेता
"युवाओं के लिए कांग्रेस सरकार ने किया काम": यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध हरितवाल का कहना है कि, जो काम राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में अब तक युवाओं के लिए नहीं किए गए. उस काम को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साढ़े 4 सालों में कर दिखाया है. उन्होंने न सिर्फ शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी को लेकर काम किया. बल्कि हर क्षेत्र में उन्होंने काम किया है. युवाओं के लिए भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा कई काम किए गए हैं.
"छत्तीसगढ़ सरकार ने भर्तियां निकाली है. बेरोजगारी भत्ता दे रही है. युवा मितान योजना चलाई जा रही है. ऐसी कई योजनाएं हैं, जिसका लाभ छत्तीसगढ़ के युवाओं को मिल रहा है. अब युवा संवाद के जरिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल युवाओं के बीच फीडबैक लेने पहुंच रहे हैं कि उनकी योजनाओं में और क्या किया जा सकता है. युवाओं के लिए और क्या बेहतर दिया जा सकता है. इसके लिए वे सीधे युवाओं से संवाद कर रहे हैं. इसे चुनाव के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए".- सुबोध हरितवाल, प्रवक्ता, कांग्रेस
"बीजेपी के आरोप बेबुनियाद, बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं": वहीं भाजपा के प्रोपोगेंडा के आरोप पर सुबोध ने कहा कि भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है. उन्होंने अब तक कुछ भी नहीं किया है. जिस कारण से इस तरह की बातें कर रहे हैं. पीएससी में उनके समय घोटाले होते थे. हमारी सरकार में नहीं हुआ है. हमने तो चैलेंज किया है कि यदि इसके कोई सबूत हो तो दें, हम कार्रवाई करेंगे लेकिन उन्होंने अब तक इसका कोई भी सबूत नहीं दिया है. अधिकारियों और नेताओं के बेटों का सिलेक्शन होना घोटाले का कोई मापदंड नहीं है. भाजपा द्वारा बुलाए जा रहे मतदाता सम्मेलन और फर्स्ट टाइम वोटर अभियान पर कांग्रेस ने हमला बोला है.
"कांग्रेस पार्टी लोगों के बीच जा रही है, उनसे मिल रहे हैं तभी तो अब भाजपा इसे शुरू करने की तैयारी कर रही है. बीजेपी बेरोजगारी को मुद्दा बता रही है. जबकि इनकी केंद्रीय एजेंसी बता रही कि, प्रदेश में बेरोजगारी नहीं है. धर्मांतरण को लेकर मुख्यमंत्री कह चुके हैं सबूत दें, हम कार्रवाई करेंगे. पीएससी घोटाला इनके समय होता था. हमारे समय नहीं हुआ है. 2018 चुनाव में तो युवाओं सहित सभी ने कांग्रेस को वोट दिया था. क्योंकि पिछली सरकार ने उनके लिए कुछ नहीं किया था."- सुबोध हरितवाल, नेता, कांग्रेस
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक: राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि, कांग्रेस ने युवाओं को लेकर साल 2013 में ही काम करना शुरू कर दिया था और साल 2018 विधानसभा चुनाव के पहले अलग-अलग स्थानों पर युवाओं का प्रशिक्षण हुआ था. इसके बाद कुछ टैलेंटेड युवाओं का चयन किया गया और उनकी पिछले विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका रही है.
"जिन युवाओं की तकनीकी समझ काफी बेहतर थी, अब यही तकनीक इस विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस अपना रही है और सत्ता पर काबिज होने के लिए रणनीति बना रही है. इसके साथ ही युवाओं को शिक्षा और रोजगार को लेकर भी बघेल सरकार ने काम किया. आत्मानंद स्कूल खोले, बेरोजगारी भत्ता दे रही है तो कुछ हद तक युवाओं को इसके जरिए भी साधने में भूपेश सरकार कामयाब रही है."- अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार
युवा फैक्टर को लेकर बीजेपी अभी कहां है: वहीं युवाओं को साधने के लिए विपक्ष की रणनीति को लेकर अनिरुद्ध दुबे ने कहा कि, भाजपा अभी काफी पीछे चल रही है. विधानसभा चुनाव 2018 के बाद वापस चुनावी ट्रैक में आने में भाजपा को बहुत समय लग रहा है.
"युवा वोटरों को साधने की रणनीति पर बीजेपी की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए लग रहा है कि भाजपा को इसके लिए और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है. हाल की बात की जाए तो बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर भाजपा ने प्रदेशस्तरीय आंदोलन किया था, जिसके बाद बेरोजगारी भत्ते को उसकी काट के रूप में कांग्रेस ने इस्तेमाल किया."- अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार
छत्तीसगढ़ में मिशन 2023 की लड़ाई की अहमियत कांग्रेस, बीजेपी और सभी राजनीतिक दल समझते हैं. इस बार सत्ता में आने के लिए सभी दल युवाओं को साधने की फिराक में है. राजनीतिक पार्टियां यह जानती है कि अगर वो युवा वोटर्स को साध लिए तो आने वाली सरकार उनकी होगी. क्योंकि हर दौर में यंग जेनरेशन ने सत्ता के समीकरण को प्रभावित किया है.