रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्यपाल अनुसुइया उइके ने हलषष्ठी (कमरछठ) के अवसर पर प्रदेशवासियों विशेषकर माताओं को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी है. सीएम ने कहा हलषष्ठी का त्यौहार छत्तीसगढ़ में कमरछठ के रूप में जाना जाता है, इस दिन माताएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर प्रार्थना करती हैं. गांवों और शहरों में कई जगहों पर बनाई गई सगरी में माताएं इकट्ठा होकर पूजा करती हैं. बघेल ने कहा कि कोविड संक्रमण से बचाव और सुरक्षा वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है. उन्होंने पूजा के दौरान भी सोशल और फिजिकल डिस्टेंस, मास्क लगाने और हाथ धोने जैसे नियमों का पालन करने की अपील की है.
-
अपन संतान के दीर्घायु अउ स्वस्थ रहे के कामना संग व्रत रहैया जम्मो महतारी-बहिनी मन ल कमरछठ के बधाई अउ शुभकामना। pic.twitter.com/kdReJvy2Hy
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 9, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">अपन संतान के दीर्घायु अउ स्वस्थ रहे के कामना संग व्रत रहैया जम्मो महतारी-बहिनी मन ल कमरछठ के बधाई अउ शुभकामना। pic.twitter.com/kdReJvy2Hy
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 9, 2020अपन संतान के दीर्घायु अउ स्वस्थ रहे के कामना संग व्रत रहैया जम्मो महतारी-बहिनी मन ल कमरछठ के बधाई अउ शुभकामना। pic.twitter.com/kdReJvy2Hy
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 9, 2020
राज्यपाल ने दी बधाई
राज्यपाल उइके ने कहा है कि माताएं इस अवसर पर अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं. राज्यपाल ने ईश्वर से प्रार्थना की है वो माताओं की कामना को पूरी करें.
पढ़ें- कमरछठ आज, संतानों की लंबी आयु के लिए महिलाएं रखती हैं व्रत
माताएं पसहर चावल खा करती हैं व्रत
इस पर्व को छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में कमरछठ के नाम से जाना जाता है. इस बार नौ अगस्त को हलषष्ठी पर्व मनाया जा रहा है. हलषष्ठी माता की पूजा करके परिवार की खुशहाली और संतान की लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव वाले दिन हलषष्ठी मनाए जाने के कारण बलदाऊ के शस्त्र हल को महत्व देने के लिए बिना हल चलाए उगने वाले पसहर चावल का पूजा में इस्तेमाल किया जाता है. पूजा के दौरान महिलाएं पसहर चावल को पकाकर भोग लगाती हैं और इसी चावल से व्रत तोड़ती हैं.
इस तरह होती है पूजा
इस दिन महिलाएं भूमि को गाय के गोबर से लीपने के बाद एक छोटा सा गड्ढा खोदकर उसे तालाब का आकार देती हैं. तालाब में मुरबेरी, ताग और पलाटा की शाखा बांधकर इससे बनाई गई हरछठ को जमीन में गाड़कर इसकी पूजा करती हैं. पूजा में चना, जौ, गेहूं, धान, अरहर, मक्का और मूंग चढ़ाने के बाद सूखी धूल, हरी कुजरिया, होली की राख, होली पर भुने हुए चने और जौ की बाली चढ़ाई जाती है.