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आजादी का अमृत महोत्सव रायपुर में आजादी की याद दिला रहे चौक चौराहे

आजादी की लड़ाई के बाद देश में कई ऐसी जगहें हैं जिन्हें स्वतंत्रता के प्रतीक के रुप में सहेजा गया है. राजधानी रायपुर में भी ऐसे कई चौक चौराहे हैं जो आजादी की याद दिलाते हैं.

azaadi ka amrit mahotsav
आजादी की याद ताजा करते हैं चौक चौराहे
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Published : Aug 9, 2022, 1:58 PM IST

Updated : Aug 14, 2022, 12:56 AM IST

रायपुर: आजादी के 75वीं वर्षगांठ को पूरे देश में अमृत महोत्सव (azaadi ka amrit mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. हर घर तिरंगा अभियान (har ghar tiranga abhiyaan ) के तहत देश भर में 20 करोड़ से ज्यादा घरों में तिरंगा लगाने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं छत्तीसगढ़ में 50 लाख घरों में तिरंगा लगाने का लक्ष्य है. भारत को आजादी दिलाने के लिए सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान न्यौछावर की है. आज उनकी याद में शहर के कई चौक चौराहों पर उनकी प्रतिमा लगाई गई है और चौक को उनका नाम दिया गया है. आजादी के अमृत महोत्सव में आज ईटीवी भारत अपने दर्शकों को रायपुर के ऐसे चौक चौराहों के बारे में बताने जा रहा है जहां से गुजरते वक्त देशभक्ति की भावना जागती है.

देशभक्ति की भावना जगाने वाले चौक चौराहे : राजधानी रायपुर में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे चौक चौराहे हैं जहां से गुजरते वक्त सिर्फ 15 अगस्त को ही नहीं बल्कि हमेशा देशभक्ति की भावनाएं जगती है.

रायपुर में आजादी की याद दिला रहे चौक चौराहे
• शंकर नगर स्थित भारत माता चौक : रायपुर का सबसे पॉश इलाका शंकर नगर. जहां छत्तीसगढ़ के तमाम कैबिनेट मंत्रियों का बंगला है , यहां पर स्थित है भारत माता चौक. भारत माता चौक से गुजरते वक्त हर कोई एक बार सिर झुका के भारत माता को जरूर नमन करता है.

• भगत सिंह चौक : सीएम हाउस के नजदीक भगत सिंह चौक रायपुर के सबसे पुराने चौक में से एक है. यह चौक आजादी के उस स्वतंत्रता सेनानी की याद दिलाता है जिसने भारत को आजाद कराने में मात्र 23 साल की उम्र में अपनी जान न्यौछावर कर दिया.

• रानी दुर्गावती की प्रतिमा : रानी दुर्गावती गोंडवाना समाज के महाराजा संग्राम शाह की कुलवधू महोबा कलिंजर के महाराजा कीर्तिसिंह की पुत्री थी. इतिहासकारों ने रानी दुर्गावती के शासनकाल में शांति , सुशासन , प्रशासन और नियंत्रण की व्यवस्था के संबंध में प्रशंसा की है. 24 जून 1564 को अपनी मातृभूमि एवं अपने आन बान शान की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति देकर रानी दुर्गावती वीरगति को प्राप्त हुई.

• अंबेडकर चौक : रायपुर के सबसे पुराने चौक में से एक घड़ी चौक के समीप बनी डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को 6 दिसंबर 1956 में लगाई गई थी. भारत के संविधान में प्रमुख योगदान करने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को बाबा साहब के नाम से भी जाना जाता है. दलितों के उत्थान एवं समस्त देशवासियों के कल्याण के लिए उन्होंने अपना सर्वस्त्र न्योछावर किया.

• जयस्तंभ चौक : जयस्तंभ चौक अपने आप में दशकों पुराना इतिहास सहेज कर रखा है. 10 दिसंबर 1857 को शहीद वीर नारायण सिंह को यहीं पर फांसी दी गई थी. रायपुर का जय स्तंभ चौक पिछले एक सदी से भी ज्यादा लंबे समय से आजादी की लड़ाई का प्रतीक रहा है.

• रायपुर का घड़ी चौक : रायपुर का घड़ी चौक राजधानी रायपुर का हृदय स्थल कहलाता है. कहा जाता है कि अंग्रेजों के जमाने में रायपुर के घड़ी चौक के पास कई स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी.

• गुढ़ियारी स्थित भारत माता चौक : भारत माता का नाम सुनते ही दिल में एक देशभक्ति की भावना अपने आप जाग जाती है। रायपुर के गुढ़ियारी स्थित भारत माता चौक पर भारत माता की एक ऐसी अद्भुत प्रतिमा लगी है जिसको आसपास से गुजरते हुए लोग जरूर नमन करते हैं.

• अशोका चौक : गुढ़ियारी स्थित अशोका चौक में मौजूद है अशोक स्तंभ. अशोक स्तंभ का निर्माण सम्राट अशोक ने किया था. सम्राट अशोक ने देश के कई भागों में कई रूपों और स्तंभों का निर्माण कराया. इसमें से एक स्तंभ सारनाथ में स्थित है. जिसे भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है.

आजादी की याद दिलाते हैं चौक चौराहे : स्थानीय निवासी पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया " रायपुर के ऐसे आधा दर्जन से ज्यादा चौक चौराहे हैं. जहां से गुजरते वक्त हर व्यक्ति को देशभक्ति की भावना जाती है. आम दिनों में तो नहीं लेकिन जब भी कोई फंक्शन या कोई कार्यक्रम होता है. तो हम जरूर उन चौक चौराहों पर जाकर उन स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं. जिन्होंने हमारे देश को आजादी दिलाने में बलिदान दिया है.



चौराहों को देखकर होता है प्राउड फील : स्थानीय निवासी गोवर्धन नायक ने बताया " रायपुर अब धीरे-धीरे स्मार्ट होता जा रहा है.पिछले कुछ सालों में रायपुर के चौक चौराहे साफ नजर आ रहे हैं. बाहर से आने वाले पर्यटक भी अब रायपुर की तारीफ करते हैं. वहीं रायपुर के कुछ चौक चौराहे ऐसे हैं जहां पर स्वतंत्रता सेनानियों वहीं भारत के महाराजा और रानियों के प्रतिमाएं लगाई गई हैं. उस जगह से गुजरते वक्त एक प्राउड फील होता है.

रायपुर: आजादी के 75वीं वर्षगांठ को पूरे देश में अमृत महोत्सव (azaadi ka amrit mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. हर घर तिरंगा अभियान (har ghar tiranga abhiyaan ) के तहत देश भर में 20 करोड़ से ज्यादा घरों में तिरंगा लगाने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं छत्तीसगढ़ में 50 लाख घरों में तिरंगा लगाने का लक्ष्य है. भारत को आजादी दिलाने के लिए सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान न्यौछावर की है. आज उनकी याद में शहर के कई चौक चौराहों पर उनकी प्रतिमा लगाई गई है और चौक को उनका नाम दिया गया है. आजादी के अमृत महोत्सव में आज ईटीवी भारत अपने दर्शकों को रायपुर के ऐसे चौक चौराहों के बारे में बताने जा रहा है जहां से गुजरते वक्त देशभक्ति की भावना जागती है.

देशभक्ति की भावना जगाने वाले चौक चौराहे : राजधानी रायपुर में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे चौक चौराहे हैं जहां से गुजरते वक्त सिर्फ 15 अगस्त को ही नहीं बल्कि हमेशा देशभक्ति की भावनाएं जगती है.

रायपुर में आजादी की याद दिला रहे चौक चौराहे
• शंकर नगर स्थित भारत माता चौक : रायपुर का सबसे पॉश इलाका शंकर नगर. जहां छत्तीसगढ़ के तमाम कैबिनेट मंत्रियों का बंगला है , यहां पर स्थित है भारत माता चौक. भारत माता चौक से गुजरते वक्त हर कोई एक बार सिर झुका के भारत माता को जरूर नमन करता है.

• भगत सिंह चौक : सीएम हाउस के नजदीक भगत सिंह चौक रायपुर के सबसे पुराने चौक में से एक है. यह चौक आजादी के उस स्वतंत्रता सेनानी की याद दिलाता है जिसने भारत को आजाद कराने में मात्र 23 साल की उम्र में अपनी जान न्यौछावर कर दिया.

• रानी दुर्गावती की प्रतिमा : रानी दुर्गावती गोंडवाना समाज के महाराजा संग्राम शाह की कुलवधू महोबा कलिंजर के महाराजा कीर्तिसिंह की पुत्री थी. इतिहासकारों ने रानी दुर्गावती के शासनकाल में शांति , सुशासन , प्रशासन और नियंत्रण की व्यवस्था के संबंध में प्रशंसा की है. 24 जून 1564 को अपनी मातृभूमि एवं अपने आन बान शान की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति देकर रानी दुर्गावती वीरगति को प्राप्त हुई.

• अंबेडकर चौक : रायपुर के सबसे पुराने चौक में से एक घड़ी चौक के समीप बनी डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को 6 दिसंबर 1956 में लगाई गई थी. भारत के संविधान में प्रमुख योगदान करने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को बाबा साहब के नाम से भी जाना जाता है. दलितों के उत्थान एवं समस्त देशवासियों के कल्याण के लिए उन्होंने अपना सर्वस्त्र न्योछावर किया.

• जयस्तंभ चौक : जयस्तंभ चौक अपने आप में दशकों पुराना इतिहास सहेज कर रखा है. 10 दिसंबर 1857 को शहीद वीर नारायण सिंह को यहीं पर फांसी दी गई थी. रायपुर का जय स्तंभ चौक पिछले एक सदी से भी ज्यादा लंबे समय से आजादी की लड़ाई का प्रतीक रहा है.

• रायपुर का घड़ी चौक : रायपुर का घड़ी चौक राजधानी रायपुर का हृदय स्थल कहलाता है. कहा जाता है कि अंग्रेजों के जमाने में रायपुर के घड़ी चौक के पास कई स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी.

• गुढ़ियारी स्थित भारत माता चौक : भारत माता का नाम सुनते ही दिल में एक देशभक्ति की भावना अपने आप जाग जाती है। रायपुर के गुढ़ियारी स्थित भारत माता चौक पर भारत माता की एक ऐसी अद्भुत प्रतिमा लगी है जिसको आसपास से गुजरते हुए लोग जरूर नमन करते हैं.

• अशोका चौक : गुढ़ियारी स्थित अशोका चौक में मौजूद है अशोक स्तंभ. अशोक स्तंभ का निर्माण सम्राट अशोक ने किया था. सम्राट अशोक ने देश के कई भागों में कई रूपों और स्तंभों का निर्माण कराया. इसमें से एक स्तंभ सारनाथ में स्थित है. जिसे भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है.

आजादी की याद दिलाते हैं चौक चौराहे : स्थानीय निवासी पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया " रायपुर के ऐसे आधा दर्जन से ज्यादा चौक चौराहे हैं. जहां से गुजरते वक्त हर व्यक्ति को देशभक्ति की भावना जाती है. आम दिनों में तो नहीं लेकिन जब भी कोई फंक्शन या कोई कार्यक्रम होता है. तो हम जरूर उन चौक चौराहों पर जाकर उन स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं. जिन्होंने हमारे देश को आजादी दिलाने में बलिदान दिया है.



चौराहों को देखकर होता है प्राउड फील : स्थानीय निवासी गोवर्धन नायक ने बताया " रायपुर अब धीरे-धीरे स्मार्ट होता जा रहा है.पिछले कुछ सालों में रायपुर के चौक चौराहे साफ नजर आ रहे हैं. बाहर से आने वाले पर्यटक भी अब रायपुर की तारीफ करते हैं. वहीं रायपुर के कुछ चौक चौराहे ऐसे हैं जहां पर स्वतंत्रता सेनानियों वहीं भारत के महाराजा और रानियों के प्रतिमाएं लगाई गई हैं. उस जगह से गुजरते वक्त एक प्राउड फील होता है.

Last Updated : Aug 14, 2022, 12:56 AM IST
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