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कर्ज लेना पड़े तो ले लेंगे, लेकिन किसानों को तकलीफ नहीं होने देंगे: सीएम भूपेश - किसानों की अर्थव्यवस्था

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा सत्र में राज्य सरकार के वित्तीय वर्ष 2020-21 की प्रथम अनुपूरक अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने विपरीत परिस्थितियों में भी किसानों की अर्थव्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया. अगर हमें कर्ज लेना पड़ेगा तो कर्ज लेंगे, लेकिन किसानों को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे.

Chief Minister Bhupesh Baghel informed about the first supplementary budget in the assembly session
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा सत्र में प्रथम अनुपूरक बजट की जानकारी दी
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Published : Aug 27, 2020, 11:07 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा सत्र में राज्य सरकार के वित्तीय वर्ष 2020-21 की प्रथम अनुपूरक अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने विपरीत परिस्थितियों में भी किसानों की अर्थव्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया. अगर हमें कर्ज लेना पड़ेगा तो कर्ज लेंगे, लेकिन किसानों को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे. सीएम बघेल ने कहा कि आपकी नजर में विकास का पैमाना सड़कें और बिल्डिंग हो सकती हैं, लेकिन हमारी नजर में विकास का पैमाना किसान, आदिवासियों और महिलाओं का उत्थान है. हमारी वचनबद्धता किसानों के प्रति है.

विधानसभा में चर्चा के बाद 3807 करोड़ 46 लाख रुपए की प्रथम अनुपूरक मांग पारित कर दी गई. वर्ष 2020-21 के वार्षिक बजट 1 लाख 2 हजार 907 करोड़ 43 लाख रुपए को मिलाकर बजट का कुल आकार 1 लाख 6 हजार 714 करोड़ 89 लाख रुपए हो गया है. मुख्यमंत्री ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि किसानों को धान का 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल मूल्य दिलाने के लिए ही हम राजीव गांधी किसान न्याय योजना लेकर आए. इसमें दो किस्तों का भुगतान किसानों को कर दिया गया है, और शेष किस्तों का भुगतान भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में जब नई सरकार आई तब राज्य सरकार के खजाने में 400 करोड़ रुपए की राशि थी, लेकिन 15 साल बाद जब हमें शासन की जिम्मेदारी मिली, तब राज्य पर 41 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था.

मनरेगा में 26 लाख लोगों को काम दिया गया

वर्ष 2003 में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या 18 से 19 प्रतिशत थी, जो 15 साल बाद बढ़कर 39 प्रतिशत हो गई. इसी तरह छत्तीसगढ़ में 37.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 41 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं, हमारी सरकार के चलाए गए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से 6 से 8 माह में ही कुपोषित बच्चों की संख्या में 13 प्रतिशत की कमी आई है. बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन प्रदेश के 2.80 करोड़ लोगों के लिए हुआ है. हम उनके लिए कर्ज ले रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हमने गरीबों, आदिवासियों और जरूरतमंद लोगों को रोजगार देने का काम किया. मनरेगा में 26 लाख लोगों को काम दिया गया.

13 लाख वनवासी परिवारों को रोजगार दिया गया

राजीव गांधी किसान योजना का लाभ प्रदेश के 19 लाख किसानों को दिया जा रहा है. लघु वनोपजों के संग्रहण के माध्यम से 12 से 13 लाख वनवासी परिवारों को रोजगार और आय के साधन उपलब्ध कराए गए हैं. यही कारण है कि लॉकडाउन में भी छत्तीसगढ़ में व्यापार और उद्योग के पहिए चलते रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान जनधन खातों में 500 रुपए और किसान निधि योजना में 500 रुपए की राशि दी गई, जबकि राज्य सरकार ने प्रारंभ की गई. गोबर खरीदी की गोधन योजना में पहला भुगतान 1 करोड़ 65 लाख रुपए और दूसरा भुगतान 4 करोड़ 50 लाख रुपए का किया गया. इसमें गोबर बेचने वाले हर व्यक्ति को औसतन 800 रुपए मिले. इस योजना के लाभान्वित लोगों में 71 प्रतिशत लोग भूमिहीन हैं.

संगठनों ने देशभर में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण विश्वभर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. राज्य सरकार के भी राजस्व में कमी आई है. केंद्र सरकार से जीएसटी का 2828 करोड़ रुपए अभी तक नहीं मिले हैं. अगर यह राशि मिल जाती तो छत्तीसगढ़ को कर्ज लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती. इसी तरह राज्य में स्थित केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से सीएसआर की राशि भी नहीं मिली. बघेल ने कहा कि लॉकडाउन की कठिन परिस्थितियों में हमने पीड़ित मानवता की सेवा को अपना एकमात्र लक्ष्य बनाया. ऐसे समय में हमने महात्मा गांधी, कबीर, गुरुनानक, विवेकानंद, नेहरू और अंबेडकर, आजाद के सेवाभाव को अपनाया. राज्य सरकार के मंत्रियों-विधायकों, अधिकारियों-कर्मचारियों, जिला प्रशासन के लोगों के साथ सभी समाजों के संगठनों ने मानवता की सेवा का काम कर देशभर में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया.

56 लाख परिवारों को निःशुल्क राशन उपलब्ध कराया गया

प्रदेश के 56 लाख परिवारों को निःशुल्क राशन उपलब्ध कराया गया. छात्र-छात्राओं और महिलाओं को घर पहुंचा कर सूखा राशन दिया गया. बाड़ियों से सब्जियां शहरों में पहुंचाने का प्रबंध किया गया. लॉकडाउन में भी मनरेगा के काम बड़े पैमाने पर प्रारंभ किए गए. लघु वनोपजों की खरीदी जारी रखी गई. लॉकडाउन पीरियड में देशभर में हुई लघु वनोपजों की खरीदी में 99 प्रतिशत खरीदी छत्तीसगढ़ में हुई. हमने समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 31 कर दी. छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों में उत्पादन जारी रहा. देशभर को कोयले की आपूर्ति की जाती रही. 23 अप्रैल से प्रदेश में उद्योगों में भी काम शुरू हो गए. लॉकडाउन के दौरान स्टील का रिकार्ड उत्पादन छत्तीसगढ़ में हुआ. छत्तीसगढ़ में बाहर से लगभग 7 लाख मजदूर आए, जिनके लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गईं.

छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले सभी मजदूरों को की गई मदद

दूसरे राज्यों में मात्र 28 हजार मजदूर छत्तीसगढ़ से गए. अन्य प्रदेशों से आए श्रमिकों ने छत्तीसगढ़ पहुंचकर खुद को सुरक्षित समझा. छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले अन्य राज्यों के मजदूरों को समाजसेवियों की मदद से चप्पलें, भोजन-पानी उपलब्ध कराया गया. साथ ही उन्हें उनके राज्य की सीमा तक भेजने के प्रबंध किए गए. उन्होंने कहा कि बस्तर की बोधघाट बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना के लिए जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों से चर्चा कर सर्वसहमति से बहुत अच्छी पुनर्वास नीति बनाई जाएगी, जिन लोगों की भूमि डूबान में आएगी उन्हें उतनी ही जमीन, मकान के साथ रोजगार देने की व्यवस्था की जाएगी. अगर वे नौकरी के लिए पात्रता रखते हैं तो उन्हें नौकरी भी दी जाएगी.

178 डेडिकेटेड कोविड केयर सेंटर बनाया गया

राज्य सरकार के प्रथम अनुपूरक बजट में कोरोना की आपदा से निपटने के लिए 978 करोड़ रुपए, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, आपदा राहत और पेयजल के लिए 1 हजार 900 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए 30 डेडिकेटेड कोविड अस्पताल स्थापित किए गए हैं, जिनमें 3384 बिस्तर उपलब्ध हैं. इसी तरह 178 डेडिकेटेड कोविड केयर सेंटर में 21 हजार 107 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है. शासकीय अस्पतालों में कोरोना मरीजों का मुफ्त में इलाज किया जा रहा है. प्राइवेट अस्पतालों में भी व्यवस्था की गई है. आइसोलेशन के लिए 6 होटल निश्चित किए गए .

पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा

प्रदेश में बिस्तरों और वेंटिलेटरों की पर्याप्त व्यवस्था है. इनमें लगातार विस्तार भी किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम अनुपूरक में कांकेर, महासमुंद और कोरबा में मेडिकल कालेजों के लिए 53.29 करोड़ रुपए का भी प्रावधान किया गया है. इनमें से प्रत्येक महाविद्यालय की स्थापना के लिए 325 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने राजधानी के पास स्थित माता कौशल्या मंदिर का निर्माण और रामवन गमन पथ विकसित किया जाएगा. पूर्व की सरकार ने 15 साल इनकी सुध तक नहीं ली. इन स्थलों के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा.

सीएम भूपेश बघेल ने जनता का जताया आभार

सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि कोरोना संकट की घड़ी में छत्तीसगढ़ की जनता चट्टान की तरह खड़ी रही, उन्हें मैं शत-शत नमन करता हूं. मुख्यमंत्री ने चर्चा में शामिल सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि अनुपूरक मांगों पर चर्चा के दौरान बहुत से सुझाव आए हैं, उपयोगी सुझावों को हम कार्ययोजना में शामिल करेंगे.

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा सत्र में राज्य सरकार के वित्तीय वर्ष 2020-21 की प्रथम अनुपूरक अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने विपरीत परिस्थितियों में भी किसानों की अर्थव्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया. अगर हमें कर्ज लेना पड़ेगा तो कर्ज लेंगे, लेकिन किसानों को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे. सीएम बघेल ने कहा कि आपकी नजर में विकास का पैमाना सड़कें और बिल्डिंग हो सकती हैं, लेकिन हमारी नजर में विकास का पैमाना किसान, आदिवासियों और महिलाओं का उत्थान है. हमारी वचनबद्धता किसानों के प्रति है.

विधानसभा में चर्चा के बाद 3807 करोड़ 46 लाख रुपए की प्रथम अनुपूरक मांग पारित कर दी गई. वर्ष 2020-21 के वार्षिक बजट 1 लाख 2 हजार 907 करोड़ 43 लाख रुपए को मिलाकर बजट का कुल आकार 1 लाख 6 हजार 714 करोड़ 89 लाख रुपए हो गया है. मुख्यमंत्री ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि किसानों को धान का 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल मूल्य दिलाने के लिए ही हम राजीव गांधी किसान न्याय योजना लेकर आए. इसमें दो किस्तों का भुगतान किसानों को कर दिया गया है, और शेष किस्तों का भुगतान भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में जब नई सरकार आई तब राज्य सरकार के खजाने में 400 करोड़ रुपए की राशि थी, लेकिन 15 साल बाद जब हमें शासन की जिम्मेदारी मिली, तब राज्य पर 41 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था.

मनरेगा में 26 लाख लोगों को काम दिया गया

वर्ष 2003 में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या 18 से 19 प्रतिशत थी, जो 15 साल बाद बढ़कर 39 प्रतिशत हो गई. इसी तरह छत्तीसगढ़ में 37.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 41 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं, हमारी सरकार के चलाए गए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से 6 से 8 माह में ही कुपोषित बच्चों की संख्या में 13 प्रतिशत की कमी आई है. बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन प्रदेश के 2.80 करोड़ लोगों के लिए हुआ है. हम उनके लिए कर्ज ले रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हमने गरीबों, आदिवासियों और जरूरतमंद लोगों को रोजगार देने का काम किया. मनरेगा में 26 लाख लोगों को काम दिया गया.

13 लाख वनवासी परिवारों को रोजगार दिया गया

राजीव गांधी किसान योजना का लाभ प्रदेश के 19 लाख किसानों को दिया जा रहा है. लघु वनोपजों के संग्रहण के माध्यम से 12 से 13 लाख वनवासी परिवारों को रोजगार और आय के साधन उपलब्ध कराए गए हैं. यही कारण है कि लॉकडाउन में भी छत्तीसगढ़ में व्यापार और उद्योग के पहिए चलते रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान जनधन खातों में 500 रुपए और किसान निधि योजना में 500 रुपए की राशि दी गई, जबकि राज्य सरकार ने प्रारंभ की गई. गोबर खरीदी की गोधन योजना में पहला भुगतान 1 करोड़ 65 लाख रुपए और दूसरा भुगतान 4 करोड़ 50 लाख रुपए का किया गया. इसमें गोबर बेचने वाले हर व्यक्ति को औसतन 800 रुपए मिले. इस योजना के लाभान्वित लोगों में 71 प्रतिशत लोग भूमिहीन हैं.

संगठनों ने देशभर में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण विश्वभर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. राज्य सरकार के भी राजस्व में कमी आई है. केंद्र सरकार से जीएसटी का 2828 करोड़ रुपए अभी तक नहीं मिले हैं. अगर यह राशि मिल जाती तो छत्तीसगढ़ को कर्ज लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती. इसी तरह राज्य में स्थित केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से सीएसआर की राशि भी नहीं मिली. बघेल ने कहा कि लॉकडाउन की कठिन परिस्थितियों में हमने पीड़ित मानवता की सेवा को अपना एकमात्र लक्ष्य बनाया. ऐसे समय में हमने महात्मा गांधी, कबीर, गुरुनानक, विवेकानंद, नेहरू और अंबेडकर, आजाद के सेवाभाव को अपनाया. राज्य सरकार के मंत्रियों-विधायकों, अधिकारियों-कर्मचारियों, जिला प्रशासन के लोगों के साथ सभी समाजों के संगठनों ने मानवता की सेवा का काम कर देशभर में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया.

56 लाख परिवारों को निःशुल्क राशन उपलब्ध कराया गया

प्रदेश के 56 लाख परिवारों को निःशुल्क राशन उपलब्ध कराया गया. छात्र-छात्राओं और महिलाओं को घर पहुंचा कर सूखा राशन दिया गया. बाड़ियों से सब्जियां शहरों में पहुंचाने का प्रबंध किया गया. लॉकडाउन में भी मनरेगा के काम बड़े पैमाने पर प्रारंभ किए गए. लघु वनोपजों की खरीदी जारी रखी गई. लॉकडाउन पीरियड में देशभर में हुई लघु वनोपजों की खरीदी में 99 प्रतिशत खरीदी छत्तीसगढ़ में हुई. हमने समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 31 कर दी. छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों में उत्पादन जारी रहा. देशभर को कोयले की आपूर्ति की जाती रही. 23 अप्रैल से प्रदेश में उद्योगों में भी काम शुरू हो गए. लॉकडाउन के दौरान स्टील का रिकार्ड उत्पादन छत्तीसगढ़ में हुआ. छत्तीसगढ़ में बाहर से लगभग 7 लाख मजदूर आए, जिनके लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गईं.

छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले सभी मजदूरों को की गई मदद

दूसरे राज्यों में मात्र 28 हजार मजदूर छत्तीसगढ़ से गए. अन्य प्रदेशों से आए श्रमिकों ने छत्तीसगढ़ पहुंचकर खुद को सुरक्षित समझा. छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले अन्य राज्यों के मजदूरों को समाजसेवियों की मदद से चप्पलें, भोजन-पानी उपलब्ध कराया गया. साथ ही उन्हें उनके राज्य की सीमा तक भेजने के प्रबंध किए गए. उन्होंने कहा कि बस्तर की बोधघाट बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना के लिए जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों से चर्चा कर सर्वसहमति से बहुत अच्छी पुनर्वास नीति बनाई जाएगी, जिन लोगों की भूमि डूबान में आएगी उन्हें उतनी ही जमीन, मकान के साथ रोजगार देने की व्यवस्था की जाएगी. अगर वे नौकरी के लिए पात्रता रखते हैं तो उन्हें नौकरी भी दी जाएगी.

178 डेडिकेटेड कोविड केयर सेंटर बनाया गया

राज्य सरकार के प्रथम अनुपूरक बजट में कोरोना की आपदा से निपटने के लिए 978 करोड़ रुपए, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, आपदा राहत और पेयजल के लिए 1 हजार 900 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए 30 डेडिकेटेड कोविड अस्पताल स्थापित किए गए हैं, जिनमें 3384 बिस्तर उपलब्ध हैं. इसी तरह 178 डेडिकेटेड कोविड केयर सेंटर में 21 हजार 107 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है. शासकीय अस्पतालों में कोरोना मरीजों का मुफ्त में इलाज किया जा रहा है. प्राइवेट अस्पतालों में भी व्यवस्था की गई है. आइसोलेशन के लिए 6 होटल निश्चित किए गए .

पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा

प्रदेश में बिस्तरों और वेंटिलेटरों की पर्याप्त व्यवस्था है. इनमें लगातार विस्तार भी किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम अनुपूरक में कांकेर, महासमुंद और कोरबा में मेडिकल कालेजों के लिए 53.29 करोड़ रुपए का भी प्रावधान किया गया है. इनमें से प्रत्येक महाविद्यालय की स्थापना के लिए 325 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने राजधानी के पास स्थित माता कौशल्या मंदिर का निर्माण और रामवन गमन पथ विकसित किया जाएगा. पूर्व की सरकार ने 15 साल इनकी सुध तक नहीं ली. इन स्थलों के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा.

सीएम भूपेश बघेल ने जनता का जताया आभार

सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि कोरोना संकट की घड़ी में छत्तीसगढ़ की जनता चट्टान की तरह खड़ी रही, उन्हें मैं शत-शत नमन करता हूं. मुख्यमंत्री ने चर्चा में शामिल सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि अनुपूरक मांगों पर चर्चा के दौरान बहुत से सुझाव आए हैं, उपयोगी सुझावों को हम कार्ययोजना में शामिल करेंगे.

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