ETV Bharat / state

नई विधानसभा में इस बार राजघराने से कोई विधायक नहीं, जनता ने नकार दिया

Chhattisgarh vidhan sabha chunav result 2023 इस बार छत्तीसगढ़ की जनता ने जो मत दिया है. वो चौंकाने वाला है. कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया. ठीक उसी तरह इस बार नई विधानसभा में राजघराने से ताल्लुक रखने वाले एक भी नेता या विधायक चुनाव नहीं जीत सके.

rejected leaders of royal family in Chhattisgarh elections
नई विधानसभा में इस बार राजघराने से कोई विधायक नहीं
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 4, 2023, 9:08 PM IST

रायपुर: जबसे छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ है. तब से विधानसभा में कोई न कोई विधायक पूर्व शाही परिवारों से रहा है. लेकिन ऐसा पहली बार होगा, जब सदन में कोई भी सदस्य पूर्व शाही परिवार से नहीं होगा.

जनता ने राजघराना प्रत्याशी को नकारा: 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ. उसके बाद से हर चुनाव में राज परिवार से ताल्लुक रखने वाले एक सदस्य जरूर पहुंचते हैं. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में जनता ने राजघराना को नकार दिया. नई विधानसभा में पूर्व शाही परिवारों से संबंधित कोई भी विधायक नहीं होगा. क्योंकि कांग्रेस, भाजपा और आप द्वारा मैदान में उतारे गए सभी सात उम्मीदवार चुनाव हार गए.

कौन कौन थे मैदान में: राजघरानों में हार का सामना करने वाले प्रमुख लोगों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव शामिल हैं. सात राजघरानों में से, कांग्रेस और भाजपा ने तीन-तीन उम्मीदवार और आम आदमी पार्टी ने एक उम्मीदवार खड़ा किया था. वे हैं टीएस सिंह देव, अंबिका सिंहदेव और देवेंद्र बहादुर सिंह. ये सभी कांग्रेस के हैं. ये तीनों पहले विधायक थे. अब चुनाव हार गए. संयोगिता सिंह जूदेव, प्रबल प्रताप सिंह जूदेव और संजीव शाह बीजेपी से मैदान में थे. 2000 में राज्य के गठन के बाद से सभी पांच कार्यकालों में छत्तीसगढ़ विधान सभा में हमेशा पूर्व शाही परिवारों के सदस्य रहे हैं.

दिग्गजों को मिली मात: सरगुजा परिवार के वंशज टीएस सिंहदेव अपनी अंबिकापुर सीट भाजपा के राजेश अग्रवाल से 94 वोटों के मामूली अंतर से हार गए. अग्रवाल 2018 में कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे. सिंहदेव को 2018 के चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, जिसमें कांग्रेस सत्ता में आई थी, उन्होंने 2008, 2013 और 2018 में लगातार तीन बार विधायक के रूप में कार्य किया था. उनका परिवार उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में प्रभाव रखता है. जहां 2018 के चुनावों में इस क्षेत्र के सभी 14 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, वहीं इस बार भाजपा ने इन सीटों पर जीत हासिल कर पासा पलट दिया.

वोट के जरिए मिली चोट: सरगुजा क्षेत्र से कांग्रेस की एक अन्य उम्मीदवार अंबिका सिंहदेव अपनी बैकुंठपुर सीट भाजपा के भैयालाल राजवाड़े से 25,413 वोटों से हार गईं, जिन्हें उन्होंने 2018 के चुनाव में हराया था.अंबिका सिंहदेव कोरिया के शाही परिवार से हैं. जो लंबे समय से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं. इस परिवार के एक सदस्य, रामचंद्र सिंहदेव ने अजीत जोगी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तहत छत्तीसगढ़ के पहले वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया था. फुलझर जो अब महासमुंद जिले में है. उसी के पूर्व गोंड शाही परिवार के सदस्य, कांग्रेस नेता देवेंद्र बहादुर सिंह को बसना निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के संपत अग्रवाल ने 36,793 वोटों से हराया था. चार बार के विधायक सिंह ने 2000-2003 तक अजीत जोगी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया था।

जूदेव परिवार का हाल : भाजपा के जिन तीन पूर्व राजघरानों को इस बार हार का सामना करना पड़ा. उनमें सरगुजा संभाग के जशपुर के प्रभावशाली जूदेव राजघराने के दो सदस्य थे. बीजेपी के कद्दावर नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव इसी परिवार से थे. दिवंगत जूदेव के पिता विजय भूषण जूदेव, जो जशपुर शाही परिवार के राजा थे, ने लोकसभा सदस्य के रूप में भी काम किया था. दिलीप सिंह केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में पर्यावरण और वन राज्य मंत्री थे. उनके बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव चंद्रपुर सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. युद्धवीर की पत्नी संयोगिता सिंह को चंद्रपुर सीट से लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा है. उन्हें कांग्रेस के रामकुमार यादव ने 15,976 वोटों से हराया था. यादव ने 2018 के विधानसभा चुनाव में भी संयोगिता सिंह को हराया था. दिलीप सिंह जूदेव के दूसरे बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव कोटा सीट से कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव से 7,957 वोटों से हार गए.

बाकी राजघरानों का क्या हुआ: अंबागढ़ चौकी के पूर्व नागवंशी गोंड शाही परिवार के वंशज, पूर्व विधायक संजीव शाह को भाजपा ने नक्सल प्रभावित मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित मोहला-मानपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा था. शाह मोहला-मानपुर क्षेत्र से मौजूदा कांग्रेस विधायक इंद्रशाह मंडावी से 31,741 वोटों से हार गए. कोटा में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की मौजूदा विधायक रेनू जोगी इस बार 8,884 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं. आप ने कवर्धा क्षेत्र से लोहारा रियासत के सदस्य खड्गराज सिंह को मैदान में उतारा था. हालांकि, वह सिर्फ 6,334 वोट हासिल कर सके और तीसरे स्थान पर रहे.

छत्तीसगढ़ में अगला सीएम कौन, जानिए राजनीतिक दिग्गजों के जवाब ?
CM of Chhattisgarh छत्तीसगढ़ का अगला सीएम कौन, नितीन नबीन ने तोड़ी चुप्पी
छत्तीसगढ़ डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव क्यों चुनाव हारे, बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल ने बताई बड़ी वजह

रायपुर: जबसे छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ है. तब से विधानसभा में कोई न कोई विधायक पूर्व शाही परिवारों से रहा है. लेकिन ऐसा पहली बार होगा, जब सदन में कोई भी सदस्य पूर्व शाही परिवार से नहीं होगा.

जनता ने राजघराना प्रत्याशी को नकारा: 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ. उसके बाद से हर चुनाव में राज परिवार से ताल्लुक रखने वाले एक सदस्य जरूर पहुंचते हैं. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में जनता ने राजघराना को नकार दिया. नई विधानसभा में पूर्व शाही परिवारों से संबंधित कोई भी विधायक नहीं होगा. क्योंकि कांग्रेस, भाजपा और आप द्वारा मैदान में उतारे गए सभी सात उम्मीदवार चुनाव हार गए.

कौन कौन थे मैदान में: राजघरानों में हार का सामना करने वाले प्रमुख लोगों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव शामिल हैं. सात राजघरानों में से, कांग्रेस और भाजपा ने तीन-तीन उम्मीदवार और आम आदमी पार्टी ने एक उम्मीदवार खड़ा किया था. वे हैं टीएस सिंह देव, अंबिका सिंहदेव और देवेंद्र बहादुर सिंह. ये सभी कांग्रेस के हैं. ये तीनों पहले विधायक थे. अब चुनाव हार गए. संयोगिता सिंह जूदेव, प्रबल प्रताप सिंह जूदेव और संजीव शाह बीजेपी से मैदान में थे. 2000 में राज्य के गठन के बाद से सभी पांच कार्यकालों में छत्तीसगढ़ विधान सभा में हमेशा पूर्व शाही परिवारों के सदस्य रहे हैं.

दिग्गजों को मिली मात: सरगुजा परिवार के वंशज टीएस सिंहदेव अपनी अंबिकापुर सीट भाजपा के राजेश अग्रवाल से 94 वोटों के मामूली अंतर से हार गए. अग्रवाल 2018 में कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे. सिंहदेव को 2018 के चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, जिसमें कांग्रेस सत्ता में आई थी, उन्होंने 2008, 2013 और 2018 में लगातार तीन बार विधायक के रूप में कार्य किया था. उनका परिवार उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में प्रभाव रखता है. जहां 2018 के चुनावों में इस क्षेत्र के सभी 14 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, वहीं इस बार भाजपा ने इन सीटों पर जीत हासिल कर पासा पलट दिया.

वोट के जरिए मिली चोट: सरगुजा क्षेत्र से कांग्रेस की एक अन्य उम्मीदवार अंबिका सिंहदेव अपनी बैकुंठपुर सीट भाजपा के भैयालाल राजवाड़े से 25,413 वोटों से हार गईं, जिन्हें उन्होंने 2018 के चुनाव में हराया था.अंबिका सिंहदेव कोरिया के शाही परिवार से हैं. जो लंबे समय से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं. इस परिवार के एक सदस्य, रामचंद्र सिंहदेव ने अजीत जोगी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तहत छत्तीसगढ़ के पहले वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया था. फुलझर जो अब महासमुंद जिले में है. उसी के पूर्व गोंड शाही परिवार के सदस्य, कांग्रेस नेता देवेंद्र बहादुर सिंह को बसना निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के संपत अग्रवाल ने 36,793 वोटों से हराया था. चार बार के विधायक सिंह ने 2000-2003 तक अजीत जोगी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया था।

जूदेव परिवार का हाल : भाजपा के जिन तीन पूर्व राजघरानों को इस बार हार का सामना करना पड़ा. उनमें सरगुजा संभाग के जशपुर के प्रभावशाली जूदेव राजघराने के दो सदस्य थे. बीजेपी के कद्दावर नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव इसी परिवार से थे. दिवंगत जूदेव के पिता विजय भूषण जूदेव, जो जशपुर शाही परिवार के राजा थे, ने लोकसभा सदस्य के रूप में भी काम किया था. दिलीप सिंह केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में पर्यावरण और वन राज्य मंत्री थे. उनके बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव चंद्रपुर सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. युद्धवीर की पत्नी संयोगिता सिंह को चंद्रपुर सीट से लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा है. उन्हें कांग्रेस के रामकुमार यादव ने 15,976 वोटों से हराया था. यादव ने 2018 के विधानसभा चुनाव में भी संयोगिता सिंह को हराया था. दिलीप सिंह जूदेव के दूसरे बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव कोटा सीट से कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव से 7,957 वोटों से हार गए.

बाकी राजघरानों का क्या हुआ: अंबागढ़ चौकी के पूर्व नागवंशी गोंड शाही परिवार के वंशज, पूर्व विधायक संजीव शाह को भाजपा ने नक्सल प्रभावित मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित मोहला-मानपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा था. शाह मोहला-मानपुर क्षेत्र से मौजूदा कांग्रेस विधायक इंद्रशाह मंडावी से 31,741 वोटों से हार गए. कोटा में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की मौजूदा विधायक रेनू जोगी इस बार 8,884 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं. आप ने कवर्धा क्षेत्र से लोहारा रियासत के सदस्य खड्गराज सिंह को मैदान में उतारा था. हालांकि, वह सिर्फ 6,334 वोट हासिल कर सके और तीसरे स्थान पर रहे.

छत्तीसगढ़ में अगला सीएम कौन, जानिए राजनीतिक दिग्गजों के जवाब ?
CM of Chhattisgarh छत्तीसगढ़ का अगला सीएम कौन, नितीन नबीन ने तोड़ी चुप्पी
छत्तीसगढ़ डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव क्यों चुनाव हारे, बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल ने बताई बड़ी वजह
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.