रायपुर: पिछले 2 महीने से किराया बढ़ाने की मांग छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ, सरकार से लगातार मांग कर रहा है. बावजूद इसके यात्री बसों के किराये में वृद्धि और नॉन यूज बसों का टैक्स माफ नहीं किया गया है. यातायात महासंघ ने सोमवार को प्रदेश स्तर पर प्रदर्शन किया. महासंघ के पदाधिकारियों ने कहा कि डीजल के दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बावजूद इसके यात्री किराये में कोई वृद्धि नहीं की गई है. आज से पूरे प्रदेश में अनिश्चितकाल यात्री बसों का संचालन बंद कर दिया जाएगा. जिससे यात्रियों को काफी परेशानी होगी और इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी.
यातायात महासंघ का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते बस संचालकों की माली हालत काफी खराब हो चुकी है. पिछले 16 महीने से यात्री बसों का संचालन नहीं हो रहा है. यातायात महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सैयद अनवर अली का कहना है कि साल 2018 में प्रति लीटर डीजल की कीमत 60 रुपए थी, जो आज बढ़कर लगभग 100 रुपये के पास पहुंच गई है. जबकि दूसरे राज्यों में यात्री किराया में वृद्धि हुई है.
'डीजल के दाम बढ़े, यात्री किराया भी बढ़ाओ नहीं तो खारून में जल समाधि ले लेंगे'
12000 बसों में से 10% बसें चली
प्रदेश में लगभग 12,000 यात्री बसें हैं जिनका संचालन पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाया है. पेट्रोल- डीजल के बढ़ते दामों के चलते बस संचालक सरकार से यात्री बसों में लगभग 40% किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. वर्तमान में प्रति किलोमीटर एक रुपया किराया है जिसको बढ़ाकर 1.40 रुपये करने की मांग कर रहे हैं.
एक लाख 8 हजार परिवारों की जुड़ी है रोजी-रोटी
बस मालिकों का कहना है कि डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार है. यात्री किराया में वृद्धि की मांग पूरी नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ में लगभग 1000 बसों का ही संचालन हो रहा है. इस व्यवसाय से जुड़े बस मालिक, ड्राइवर, कंडक्टर, हेल्पर और क्लीनर सहित लगभग 1 लाख 8 हजार लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है.
बस मालिकों का कहना है कि मध्य प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लगभग 30 से 35% तक यात्री किराया बढ़ाया जा चुका है लेकिन छत्तीसगढ़ में लंबे समय से यात्री किराया नहीं बढ़ाया गया है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के सभी बसों का संचालन शुरू नहीं किया जा सकता.
बस ऑपरेटरों की प्रमुख मांग
- डीजल के दाम में बेतहाशा वृद्धि के बाद यात्री किराया बढ़ाए जाने और किराए वृद्धि के संबंध में सरकार द्वारा स्थाई नीति बनाई जाए.
- नॉन यूज बसों के लिए 2 माह की समय सीमा समाप्त किया जाए.
बस ऑपरेटरों की समस्याएं
पूरे छत्तीसगढ़ में 12,000 बसे हैं और 9,000 बस संचालक हैं. छत्तीसगढ़ में 2,500 बसों की किस्त जमा नहीं होने के कारण फाइनेंसर, बसों को सीज करने की कार्रवाई कर रहा है. 1,000 बसें जिनके परिवार में कोरोना हो जाने के कारण एमफार्म न भरने की वजह से लाखों रुपए की टैक्स की मार पड़ी है और बसें कंडम हो गई. छत्तीसगढ़ में 9000 बस ऑपरेटर, बस व्यवसाय से जुड़े हैं. लेकिन लगभग 300 बस ऑपरेटर इस व्यवसाय को छोड़कर दूसरा व्यवसाय कर रहे हैं.
400 किलोमीटर बस चलाने पर 100 लीटर डीजल की खपत होती है. मिनी बस में 3,700 रुपये अधिक खर्च होता है, जो शुद्ध आय लगभग 2,500 रुपए अधिक है. 400 किलोमीटर चलाने पर 130 लीटर डीजल की खपत होती है. बड़ी बस में 4,810 रुपए अधिक खर्च होता है, जो शुद्ध आय से लगभग 3,500 रुपए अधिक है. 3 रुपये प्रति किलोमीटर टोल टैक्स से अधिक की राशि खर्च हो रही है. 100% थर्ड पार्टी इंश्योरेंस बढ़ चुका है. 12% वैट, जीएसटी में बदल गया है. जिसमें चेसिस गाड़ी की बॉडी टायर और बस के पार्ट्स में पहले 18% जीएसटी था, जो अब बढ़कर 28% हो गया है. डीजल में 68% वेट टैक्स लगता है, जिसमें केंद्र सरकार को 43% और राज्य सरकार को 25% मिलता है.