ETV Bharat / state

मनरेगा के तहत काम देने में फिर अव्वल छत्तीसगढ़, लघु वनोपजों के संग्रहण में देश में टॉप पर

मनरेगा के तहत ग्रामीण को 100 दिनों का रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देश के पहले स्थान पर है. इसके साथ ही लघु वनोपजों के संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ पहले नंबर पर है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्विट कर इसकी जानकारी दी है.

minor forest produce
लघु वनोपजों का संग्रहण करती महिलाएं
author img

By

Published : Jul 2, 2020, 1:22 PM IST

Updated : Jul 2, 2020, 6:07 PM IST

रायपुर : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कामों में छत्तीसगढ़ लगातार बेहतर प्रदर्शन करता आ रहा है. चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा जॉबकॉर्ड धारी परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने के लिए छत्तीसगढ़ को देश में पहला स्थान मिला है. इसके साथ ही प्रदेश में लघु वनोपजों के संग्रहण का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ रहा है. लघु वनोपजों के संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ पहले नंबर पर है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्विट कर इसकी जानकारी दी है.

मनरेगा के तहत काम देने में फिर अव्वल छत्तीसगढ़

अप्रैल, मई और जून में कुल 55 हजार 981 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया है. देश में 100 दिनों का रोजगार हासिल करने वाले कुल परिवारों में अकेले छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी करीब 41 प्रतिशत है. लॉकडाउन के कारण ग्रामीणों की आय के सभी साधन बंद हो गए थे, लेकिन मनरेगा के तहत मजदूरों को काम दिया गया है, जिससे उन्हें राहत मिली है. लॉकडाउन के दौरान मनरेगा का काम शुरू होने से ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार मिल रहा है. इससे गांवों की अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है. बता दें कि कोरोना संक्रमण काल से कुछ समय पहले छत्तीसगढ इस मामले में दूसरे पायदान पर था. लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ राज्य में मनरेगा से जुड़े कार्यों ने बड़ी संख्या में रोजगार दिया गया औक ग्रामीणों को इससे जोड़ा गया.

डेढ़ लाख क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण

इसके साथ ही प्रदेश में लघु वनोपजों के संग्रहण का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ रहा है. छत्तीसगढ़ में पिछले छह महिने में 104 करोड़ रुपए की राशि के लगभग डेढ़ लाख क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण हो चुका है, जो चालू सीजन के दौरान देश में अब तक संग्रहित कुल लघु वनोपजों का 73.71 प्रतिशत है. प्रदेश ने 100 करोड़ रुपए से ज्यादा कि राशि के लघु वनोपजों के वार्षिक संग्रहण लक्ष्य को प्रदेश ने 6 महिने में ही हासिल कर लिया है जो प्रदेश की लिए गौरव की बात है.

पढ़ें: बलरामपुरः मनरेगा में 52 हजार मजदूरों को मिला रोजगार, तेजी से हो रहे निर्माण कार्य

लघु वनोपजों की बढ़ाई गी संख्या

वन मंत्री अकबर ने बताया कि वर्तमान में राज्य सरकार की ओर से वनवासी ग्रामीणों के हित को ध्यान में रखते हुए खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या को बढ़ाकर 31 तक कर दी गई है. इसके पहले प्रदेश में साल 2015 से 2018 तक मात्र 7 वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही थी. इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि राज्य में चालू वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत संग्रहित लघु वनोपजों में इमली (बीज सहित), पुवाड़ (चरोटा), महुआ फूल (सूखा), बहेड़ा, हर्रा, कालमेघ, धवई फूल (सूखा), नागरमोथा, इमली फूल, करंज बीज और शहद शामिल हैं. इसके अलावा बेल गुदा, आंवला (बीज रहित), रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, फुल झाडु, चिरौंजी गुठली, कुल्लू गोंद, महुआ बीज, कौंच बीज, जामुन बीज (सूखा), बायबडिंग, साल बीज, गिलोय और भेलवा लघु वनोपजें भी इसमें शामिल हैं. हाल ही में वन तुलसी बीज, वन जीरा बीज, ईमली बीज, बहेड़ा कचरिया, हर्रा कचरिया और नीम बीज को भी इसमें शामिल किया गया है.

समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे लघु वनोपज

छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला ने बताया कि राज्य में 3 हजार 500 ग्राम और 866 हाट बाजारों में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई है. इसी तरह राज्य में लघु वनोपजों के प्राइमरी प्रोसेसिंगक के लिए 139 वन धन केंद्र स्थापित किए गए हैं. राज्य में चालू सीजन के दौरान अब तक लघु वनोपजों में 61 करोड़ रुपए की राशि के 3 लाख 4 हजार 242 क्विंटल साल बीज और 20 करोड़ रुपए की राशि के 63 हजार 676 क्विंटल ईमली (बीज सहित) का संग्रहण हो चुका है।. इसी तरह 8 करोड़ रुपए की राशि के 28 हजार 158 क्विंटल महुआ फूल (सूखा), 87 लाख रुपए की राशि के 5 हजार 107 क्विंटल बहेड़ा, 70 लाख रुपए की राशि के 5 हजार क्विंटल पुवाड (चरोटा) का संग्रहण किया गया है.

रायपुर : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कामों में छत्तीसगढ़ लगातार बेहतर प्रदर्शन करता आ रहा है. चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा जॉबकॉर्ड धारी परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने के लिए छत्तीसगढ़ को देश में पहला स्थान मिला है. इसके साथ ही प्रदेश में लघु वनोपजों के संग्रहण का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ रहा है. लघु वनोपजों के संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ पहले नंबर पर है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्विट कर इसकी जानकारी दी है.

मनरेगा के तहत काम देने में फिर अव्वल छत्तीसगढ़

अप्रैल, मई और जून में कुल 55 हजार 981 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया है. देश में 100 दिनों का रोजगार हासिल करने वाले कुल परिवारों में अकेले छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी करीब 41 प्रतिशत है. लॉकडाउन के कारण ग्रामीणों की आय के सभी साधन बंद हो गए थे, लेकिन मनरेगा के तहत मजदूरों को काम दिया गया है, जिससे उन्हें राहत मिली है. लॉकडाउन के दौरान मनरेगा का काम शुरू होने से ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार मिल रहा है. इससे गांवों की अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है. बता दें कि कोरोना संक्रमण काल से कुछ समय पहले छत्तीसगढ इस मामले में दूसरे पायदान पर था. लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ राज्य में मनरेगा से जुड़े कार्यों ने बड़ी संख्या में रोजगार दिया गया औक ग्रामीणों को इससे जोड़ा गया.

डेढ़ लाख क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण

इसके साथ ही प्रदेश में लघु वनोपजों के संग्रहण का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ रहा है. छत्तीसगढ़ में पिछले छह महिने में 104 करोड़ रुपए की राशि के लगभग डेढ़ लाख क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण हो चुका है, जो चालू सीजन के दौरान देश में अब तक संग्रहित कुल लघु वनोपजों का 73.71 प्रतिशत है. प्रदेश ने 100 करोड़ रुपए से ज्यादा कि राशि के लघु वनोपजों के वार्षिक संग्रहण लक्ष्य को प्रदेश ने 6 महिने में ही हासिल कर लिया है जो प्रदेश की लिए गौरव की बात है.

पढ़ें: बलरामपुरः मनरेगा में 52 हजार मजदूरों को मिला रोजगार, तेजी से हो रहे निर्माण कार्य

लघु वनोपजों की बढ़ाई गी संख्या

वन मंत्री अकबर ने बताया कि वर्तमान में राज्य सरकार की ओर से वनवासी ग्रामीणों के हित को ध्यान में रखते हुए खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या को बढ़ाकर 31 तक कर दी गई है. इसके पहले प्रदेश में साल 2015 से 2018 तक मात्र 7 वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही थी. इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि राज्य में चालू वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत संग्रहित लघु वनोपजों में इमली (बीज सहित), पुवाड़ (चरोटा), महुआ फूल (सूखा), बहेड़ा, हर्रा, कालमेघ, धवई फूल (सूखा), नागरमोथा, इमली फूल, करंज बीज और शहद शामिल हैं. इसके अलावा बेल गुदा, आंवला (बीज रहित), रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, फुल झाडु, चिरौंजी गुठली, कुल्लू गोंद, महुआ बीज, कौंच बीज, जामुन बीज (सूखा), बायबडिंग, साल बीज, गिलोय और भेलवा लघु वनोपजें भी इसमें शामिल हैं. हाल ही में वन तुलसी बीज, वन जीरा बीज, ईमली बीज, बहेड़ा कचरिया, हर्रा कचरिया और नीम बीज को भी इसमें शामिल किया गया है.

समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे लघु वनोपज

छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला ने बताया कि राज्य में 3 हजार 500 ग्राम और 866 हाट बाजारों में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई है. इसी तरह राज्य में लघु वनोपजों के प्राइमरी प्रोसेसिंगक के लिए 139 वन धन केंद्र स्थापित किए गए हैं. राज्य में चालू सीजन के दौरान अब तक लघु वनोपजों में 61 करोड़ रुपए की राशि के 3 लाख 4 हजार 242 क्विंटल साल बीज और 20 करोड़ रुपए की राशि के 63 हजार 676 क्विंटल ईमली (बीज सहित) का संग्रहण हो चुका है।. इसी तरह 8 करोड़ रुपए की राशि के 28 हजार 158 क्विंटल महुआ फूल (सूखा), 87 लाख रुपए की राशि के 5 हजार 107 क्विंटल बहेड़ा, 70 लाख रुपए की राशि के 5 हजार क्विंटल पुवाड (चरोटा) का संग्रहण किया गया है.

Last Updated : Jul 2, 2020, 6:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.