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सलाम रिजवी का बड़ा बयान, कहा 'कंगाल' हो चुका है छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड - छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड पर अवैध कब्जा

छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड 'कंगाल' हो चुका है. इसका अस्तित्व एक डमी के समान है. बोर्ड आर्थिक तंगी से गुजर रहा है.

छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड
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Published : Nov 23, 2019, 6:58 PM IST

Updated : Nov 23, 2019, 11:39 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलाम रिजवी ने बड़ा खुलासा किया है. सलाम रिजवी ने कहा कि, 'छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड कंगाल हो चुका है. इसका अस्तित्व एक डमी के समान है. बोर्ड आर्थिक तंगी से गुजर रहा है'. उन्होंने बताया कि 'बोर्ड का बजट कर्मचारियों के वेतन में ही चला जाता है. जिसके कारण इसकी स्थिति बेहद खराब हो गई है'.

सलाम रिजवी का बड़ा बयान

सलाम रिजवी ने पूर्व की सरकार पर बोर्ड के उत्थान के लिए कोई योजना नहीं बनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 'बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे 3 दशक से नहीं किया गया है. जिसके कारण बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्जाधारियों के अधिकार जमा लिया है'. बताया जा रहा है, छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड की करीब 5 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति पर या तो अवैध कब्जा है या उसपर विवाद विवाद चल रहा है. सलाम रिजवी ने बताया कि 'बोर्ड के बजट का एक बड़ा हिस्सा वकीलों की फीस में खर्च हो रहा है'.

पढ़ें : कांग्रेस बोली- शिवसेना, NCP अभी भी एकजुट

'वेतन और वकीलों में चला जाता है बजट'
छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलाम रिजवी ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि 'सरकार से मिलने वाले अनुदान और निगरानी चंदा से ही इस बोर्ड का संचालन किया जाता है'. इसमें सबसे ज्यादा पैसा वकीलों की फीस में चला जाता है'. उन्होंने बताया कि 'जैसे-जैसे मामले बढ़ते हैं, वैसे-वैसे वकीलों की फीस भी बढ़ती जाती है'. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि 'कई बार बजट कम होने के कारण कम पैसे पर वकील रखने पड़ते हैं, जिसके कारण उन्हें अच्छा परिणाम नहीं मिलता है'.

'तीन दशक से नहीं हुआ सर्वे'
रिजवी ने बताया कि 'विभाग में स्टाफ की भी कमी है इतना ही नहीं सरकार के बाद पूरे समय के लिए अभी तक आयुक्त की भी नियुक्ति भी नहीं हो पाई है'. सलाम रिजवी ने कहा कि 'पार्ट टाइम आयुक्त ही यहां का काम देख रहे हैं. इसके अलावा राज्य गठन के बाद से कभी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे तक नहीं कराया गया है'. रिजवी में बताया कि '25 अगस्त 1989 को वक्फ बोर्ड की संपत्ति का प्रकाशन किया गया था. इसके बाद तीन दशक से सर्वे नहीं हुआ है. इस बीच बोर्ड की कई संपत्तियों पर अतिक्रमणकारियों ने अवैध कब्जा कर लिया है'.

'सरकार से मिलता है 1 करोड़ 17 लाख का अनुदान'
रिजवी ने पहले की सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि, 'पूर्ववर्ती सरकार के कारण आज, बोर्ड मात्र एक डमी के रूप में इस्तेमाल हो रहा है' उन्होंने कहा कि 'लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार की तरफ से बोर्ड की बेहतरी के लिए रास्ता तैयार किया जा रहा है'. रिजवी ने बताया कि 'सरकार से बोर्ड को 1 करोड़ 17 लाख का बजट दिया जाता है, जो वेतन और ऑफिस संचालन में खर्च हो जाता है'.

'महज 400 मस्जिदों का पंजीयन'
रिजवी ने बताया कि 'छत्तीसगढ़ में करीब 3000 मस्जिदें हैं, लेकिन इसमें से मात्र 400 ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है'. रिजवी का कहना है कि 'पंजीयन कराने के बाद मस्जिदों को ऑडिट कराना पड़ता है और 7 फीसदी निगरानी चंदा देना पड़ता है. जिसके कारण कई मस्जिदों का पंजीयन ही नहीं कराया गया है'. इसे लेकर रिजवी ने सरकार से निगरानी चंदा 7 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी करने की मांग की है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलाम रिजवी ने बड़ा खुलासा किया है. सलाम रिजवी ने कहा कि, 'छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड कंगाल हो चुका है. इसका अस्तित्व एक डमी के समान है. बोर्ड आर्थिक तंगी से गुजर रहा है'. उन्होंने बताया कि 'बोर्ड का बजट कर्मचारियों के वेतन में ही चला जाता है. जिसके कारण इसकी स्थिति बेहद खराब हो गई है'.

सलाम रिजवी का बड़ा बयान

सलाम रिजवी ने पूर्व की सरकार पर बोर्ड के उत्थान के लिए कोई योजना नहीं बनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 'बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे 3 दशक से नहीं किया गया है. जिसके कारण बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्जाधारियों के अधिकार जमा लिया है'. बताया जा रहा है, छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड की करीब 5 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति पर या तो अवैध कब्जा है या उसपर विवाद विवाद चल रहा है. सलाम रिजवी ने बताया कि 'बोर्ड के बजट का एक बड़ा हिस्सा वकीलों की फीस में खर्च हो रहा है'.

पढ़ें : कांग्रेस बोली- शिवसेना, NCP अभी भी एकजुट

'वेतन और वकीलों में चला जाता है बजट'
छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलाम रिजवी ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि 'सरकार से मिलने वाले अनुदान और निगरानी चंदा से ही इस बोर्ड का संचालन किया जाता है'. इसमें सबसे ज्यादा पैसा वकीलों की फीस में चला जाता है'. उन्होंने बताया कि 'जैसे-जैसे मामले बढ़ते हैं, वैसे-वैसे वकीलों की फीस भी बढ़ती जाती है'. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि 'कई बार बजट कम होने के कारण कम पैसे पर वकील रखने पड़ते हैं, जिसके कारण उन्हें अच्छा परिणाम नहीं मिलता है'.

'तीन दशक से नहीं हुआ सर्वे'
रिजवी ने बताया कि 'विभाग में स्टाफ की भी कमी है इतना ही नहीं सरकार के बाद पूरे समय के लिए अभी तक आयुक्त की भी नियुक्ति भी नहीं हो पाई है'. सलाम रिजवी ने कहा कि 'पार्ट टाइम आयुक्त ही यहां का काम देख रहे हैं. इसके अलावा राज्य गठन के बाद से कभी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे तक नहीं कराया गया है'. रिजवी में बताया कि '25 अगस्त 1989 को वक्फ बोर्ड की संपत्ति का प्रकाशन किया गया था. इसके बाद तीन दशक से सर्वे नहीं हुआ है. इस बीच बोर्ड की कई संपत्तियों पर अतिक्रमणकारियों ने अवैध कब्जा कर लिया है'.

'सरकार से मिलता है 1 करोड़ 17 लाख का अनुदान'
रिजवी ने पहले की सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि, 'पूर्ववर्ती सरकार के कारण आज, बोर्ड मात्र एक डमी के रूप में इस्तेमाल हो रहा है' उन्होंने कहा कि 'लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार की तरफ से बोर्ड की बेहतरी के लिए रास्ता तैयार किया जा रहा है'. रिजवी ने बताया कि 'सरकार से बोर्ड को 1 करोड़ 17 लाख का बजट दिया जाता है, जो वेतन और ऑफिस संचालन में खर्च हो जाता है'.

'महज 400 मस्जिदों का पंजीयन'
रिजवी ने बताया कि 'छत्तीसगढ़ में करीब 3000 मस्जिदें हैं, लेकिन इसमें से मात्र 400 ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है'. रिजवी का कहना है कि 'पंजीयन कराने के बाद मस्जिदों को ऑडिट कराना पड़ता है और 7 फीसदी निगरानी चंदा देना पड़ता है. जिसके कारण कई मस्जिदों का पंजीयन ही नहीं कराया गया है'. इसे लेकर रिजवी ने सरकार से निगरानी चंदा 7 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी करने की मांग की है.

Intro:राज्य वक्फ बोर्ड है सबसे कंगाल विभाग !
डमी के अलावा नहीं है बोर्ड का कोई अस्तित्व,
तीन दशक से नहीं हुआ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे,
कई दशक से विभाग में नहीं हुई किसी कर्मचारी की नियुक्ति,
बोर्ड की 500 करोड़ की संपत्ति पर है अवैध कब्जा,
प्रदेश की 3000 में से मात्र 400 मस्जिदों का ही है पंजीयन,
निगरानी चंदा ज्यादा होने की वजह से नहीं कराया जाता है मस्जिदों का पंजीयन,
पूर्व की भाजपा सरकार ने नहीं दिया बोर्ड पर उचित ध्यान,
कांग्रेस सरकार से जागी है बोर्ड की उम्मीद,

रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड कंगाल हो चुका है । इसका अस्तित्व एक डमी के समान है । बोर्ड आर्थिक तंगी से गुजर रहा है । कर्मचारियों के वेतन में ही बोर्ड का बजट चला जाता है । इसमें भी सबसे ज्यादा पैसा भी वकीलों की फीस के रूप में चला जाता है । यह खुलासा किया है छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलाम रिजवी ने।




Body:पूर्ववर्ती सरकारों ने बोर्ड के उत्थान और उसके काम में के सुचारू रूप से संचालन के लिए कोई योजना नहीं बनाई थी यहां तक कि बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे 3 दशक बीत जाने के बाद भी अब तक नहीं हो सका है जिसकी वजह से बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्जा धारियों का बोलबाला है एक अनुमान के मुताबिक वक्फ बोर्ड की लगभग 5000 करोड की संपत्तियों पर या तो अवैध कब्जा है या फिर उस पर किसी तरह का विवाद चल रहा है

छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलाम रिजवी ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत में बताया कि सरकार से मिलने वाले अनुदान और निगरानी चंदा से ही इस बोर्ड का संचालन किया जाता है । इसमें सबसे ज्यादा पैसा वकीलों की फीस में चला जाता है जैसे जैसे मामले बढ़ते हैं वैसे वैसे वकीलों की फीस भी बढ़ती जाती है और बजट कम होने के चलते हम कम पैसे पर वकील रखते हैं जिसकी वजह से उन्हें अच्छा परिणाम नहीं मिलता है ।

रिज़वी ने बताएं कि विभाग में स्टाफ की भी कमी है यहां आयुक्त रीढ़ की हड्डी होता है लेकिन जब से सरकार का गठन हुआ उसके बाद से यहां पूरे समय के लिए आयुक्त की नियुक्ति नहीं की गई है । पार्ट टाइम आयुक्त ही यहां का काम देख रहे हैं यहां तक कि संपत्ति सर्वे स्टाफ की नियुक्ति राज्य बनाने के 19 साल बाद भी अब तक नहीं की गई है।

रिजवी में बताया कि 25 अगस्त 1989 को वक्फ बोर्ड की संपत्ति का प्रकाशन किया गया था उसके बाद तीन दशक से सर्वे ही नहीं हुआ है इस बीच बोर्ड की कई संपत्तियों पर कब्जा कर लिया गया है लेकिन सर्वे रिपोर्ट ना होने के कारण बोर्ड उस संपत्ति को वापस हासिल नहीं कर पा रहा है

रिजवी ने तो यहां तक कह दिया कि पूर्ववर्ती सरकार के कारण ही आज बोर्ड मात्र एक डमी के रूप में इस्तेमाल हो रहा है लेकिन अब सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार के द्वारा बोर्ड की बेहतरी के लिए रास्ता तैयार किया जा रहा है

रिज़वी ने बताया कि सरकार के द्वारा बोर्ड को 1 करोड 17 लाख का बजट दिया जाता है जो पैसा वेतन सहित ऑफिस के संचालन में ही खर्च हो जाता है और इसमें भी सबसे ज्यादा पैसा वकील की फीस पर खर्च किया जाता है जिसकी वजह से बोर्ड के अन्य काम नहीं हो पाते हैं

रिजवी की मानें तो प्रदेश में लगभग 3000 मस्जिदें हैं लेकिन इसमें से मात्र 400 ने ही पंजीयन कराया है रिजवी का कहना है कि पंजीयन कराने के बाद मस्जिदों को ऑडिट कराना पड़ता है साथ ही 7% निगरानी चंदा देना पड़ता है जिसकी वजह से मस्जिदों का पंजीयन नहीं कराया जाता है। और यही वजह कि रिजवी ने सरकार से निगरानी चंदा 7% की जगह 1% किए जाने की मांग की है
बाइट:- सलाम रिजवी, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड




Conclusion:जानकारी के मुताबिक आज वक्फ बोर्ड कंगाल हो चुका है किसके लिए पूर्व की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । कंगाल हो चुके इस बोर्ड के सुधार के लिए बड़े स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से काम करने की जरूरत है अब देखना है कि सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार वक्फ बोर्ड के उत्थान और विकास के लिए क्या कदम उठाती है।
Last Updated : Nov 23, 2019, 11:39 PM IST
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