रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य की पुलिसिंग को देशभर में दूसरा स्थान हासिल हुआ है. प्रतिष्ठित टाटा ट्रस्ट ने इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 जारी की है. छत्तीसगढ़ पुलिसिंग को जारी रिपोर्ट में देशभर में दूसरी रैंकिंग दी गई है. छत्तीसगढ़ ने कई बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. कर्नाटक को पहला स्थान मिला है.
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टाटा ट्रस्ट की ओर से हर साल इंडिया जस्टिस रिपोर्ट जारी की जाती है. जिसमें पुलिंसिंग, जेल, ज्यूडिशरी, समेत कई मानकों पर हर राज्य को रैंकिंग दी जाती है. टाटा ट्रस्ट की ओर से जारी इस रैंकिंग का बेहद प्रतिष्ठित स्थान है. इस रिपोर्ट को तैयार करने में बुनियादी ढांचा, कानूनी सहायता, मानव संसाधन और 5 साल के रूझानों का आकलन के लिए सरकारी डाटा का उपयोग किया जाता है.
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मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य की पुलिसिंग को देशभर में दूसरा स्थान हासिल हुआ है। प्रतिष्ठित टाटा ट्रस्ट की ओर से जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट -2020 में छत्तीसगढ़ पुलिसिंग को देशभर में दूसरी रैंकिंग दी गयी है, जो कई बड़े राज्यों से बहुत आगे है। pic.twitter.com/4siMAPEt8W
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छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग ने कई बड़े राज्यों को पछाड़ा
छत्तीसगढ़ पुलिस ने सीमित संसाधनों के बावजूद कई बड़े राज्यों जैसे ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, गुजरात, बिहार, पंजाब, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल को पीछे छोड़ा है. दूसरी रैंकिंग हासिल करने में छत्तीसगढ़ पुलिस ने पिछले दो साल से चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की भूमिका है. स्पंदन, समाधान, खुशियों का शुक्रवार, समर्पण जैसे कार्यक्रमों ने छत्तीसगढ़ पुलिस और आम नागरिकों के बीच बेहतर संवाद स्थापित किया है.
इन मानकों पर खरा उतरा छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग कई ऐसे मापदंडों पर खरा उतरा है. जिनमें लगभग सभी बड़े राज्य पीछे हैं. टाटा ट्रस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस प्रति पुलिसकर्मी पर 1080 रुपये से अधिक खर्चा करती है. पुलिस ट्रेनिंग में प्रति पुलिसकर्मी 5805 रुपये खर्च होता है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में 63213 की जनसंख्या में पुलिस है. शहरी इलाकों में 95974 की जनसंख्या में पुलिस स्टेशन मौजूद हैं. जो कई बड़े राज्यों से कहीं अच्छी स्थिति में हैं.
छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग को जनसुविधा मानकों पर खरा पाया गया
रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ पुलिस के पोर्टल में सभी जनसुविधा मानकों पर खरा पाया गया है. जिसमें शिकायतों को दर्ज कराने से लेकर FIR की कॉपी तक उपलब्ध की जा सकती है. कई बड़े राज्यों में पुलिस के पोर्टल तक नहीं है. इसके अलावा मॉर्डनाईजेशन, महिला स्टॉफ, बजट, वैकेंसी, ट्रेनिंग, टेक्नोलॉजी और बुनियादी ढांचे में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर स्थिति में है.