रायपुर: छत्तीसगढ़ में इन दिनों फेसबुक हैकिंग (Facebook hacking) का मामला तेजी से बढ़ रहा है. इसका शिकार न (cyber fraud in Chhattisgarh) केवल आम जन हो रहे हैं, बल्कि नेताओं समेत कई अफसर और पत्रकार भी चपेट में आ रहे हैं. साइबर अपराधी ( cyber criminals) फेसबुक और मैसेंजर एप की क्लोनिंग कर पैसों की मांग करते हैं. बहुत से ऐसे भी लोग हैं, जो मैसेज के आधार पर हजारों की ठगी के शिकार हो चुके हैं, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि इस मामले में 100 से अधिक शिकायतें दर्ज होने के बावजूद पुलिस के हाथ खाली है. पुलिस एक भी हैकरों को गिरफ्तार करने में सफल नहीं हो सकी है.
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134 शिकायत, 4 एफआईआर और गिरफ्तारी शून्य
जानकारी के मुताबिक, डुप्लीकेट फेसबुक आईडी और मैसेंजर एप की क्लोनिंग करके पैसों की मांग करने वालों पर पुलिस अब तक शिकंजा नहीं कस पाई है. फेसबुक से जुड़ी अब तक 134 शिकायतें दर्ज हुई है. इसमें से 4 पर ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. गिरफ्तारी की बात की जाए तो साइबर सेल के हाथ पूरी तरह खाली हैं. क्योंकि पुलिस अब तक किसी भी हैकर को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल नहीं कर सकी है . जिसकी वजह से साइबर अपराधी अब भी अपने मंसूबों को अंजाम देने में लगे हुए हैं, जो सायबर सेल के लिए भी सिरदर्द बना हुआ है.
नेता, अफसर और पत्रकार भी हो रहे साइबर फ्रॉड के शिकार
हैकरों ने आम इंसान के साथ ही अब नेता, अफसर और पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा है. कई आईपीएस अधिकारी भी इसके शिकार हो रहे हैं. डुप्लीकेट फेसबुक और मैसेंजर एप की क्लोनिंग वाले केसों में वे उनके परिचितों को मैसेज कर लाखों रुपये ऐंठने की कोशिश करते हैं. हालांकि बहुत कम ही ऐसे मामले आए हैं. जिसमें ठगों ने ज्यादा बड़ी रकम की वारदात को अंजाम दिया हो, लेकिन वरिष्ठ अधिकारी और राजनेताओं की किरकिरी करने वाले संगठनों को सलाखों के पीछे भेजने का जज्बा जिम्मेदार नहीं दिखा पा रहे हैं.
साइबर ठगों के हौसले बुलंद
साइबर सेल से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि फेसबुक और मैसेंजर एप का सर्वर दूसरे देशों में है. जिसका सायबर ठगों को फायदा मिल रहा है. इनकी आईपी पुलिसकर्मियों को नहीं मिल पा रही. जिससे वे मामले में ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं. पुलिस अधिकारियों का दावा है कि इस पैटर्न पर ठगी के प्रयास की जानकारी होने के बाद सबसे पहले क्लोन आईडी और ऐप को साइबर विशेषज्ञों की मदद से बंद करवाते हैं. उसके बाद फेसबुक को मेल भेजा जाता है. कई मामलों में जांच मेल भेजने तक सिमट कर रह गई है, जिसकी वजह से कोई ठोस कार्रवाई पुलिस नहीं कर पाती.
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ठगी से इस तरह बचे
साइबर प्रभारी गिरीश तिवारी ने बताया कि यदि आपको किसी परिचित के फेसबुक या मैसेंजर से पैसा डालने का मैसेज आता है, तो सबसे पहले परिचित को फोन करके उसे पूरे मामले को बताएं. आपका परिचित यदि मैसेज भेजने की बात करता है तो उसकी मदद करें अन्यथा नकली पेज को ब्लॉक करने के लिए अपने परिचितों से उसे ब्लॉक करा दें. मामले की जानकारी निकटतम थाने में दें, ताकि साइबर विशेषज्ञों की टीम डुप्लीकेट पेज को बंद करने में आपकी मदद कर सके.
केस-1
साइबर ठगों ने अफसरों पत्रकारों के अलावा नेताओं को भी नहीं छोड़ा. ठगों ने उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल के भी फेसबुक अकाउंट को हैक कर लिया था. इसकी सूचना उमेश पटेल ने खुद ट्वीट करके दी. कुछ समय पहले मंत्री शिव डहरिया के नाम पर फर्जी फेसबुक बना कर कांग्रेस नेताओं से भी पैसे की डिमांड की गई. जिसकी शिकायत साइबर में कई गई थी.
केस-2
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केएल वर्मा की फेसबुक आईडी ठगों ने हैक कर ली. उनकी आईडी से विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को मैसेज भेजा गया कि वे मुसीबत में है. उनके खाते में रकम जमा कराएं. कुलपति को कुछ घंटों के भीतर खबर लग गई. वह हैरान रह गए. उन्होंने तुरंत इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई.
केस - 3
आईपीएस अफसर अभिषेक मीणा की भी फेसबुक आईडी हैकरों ने हैक कर दी थी. उनके फेसबुक दोस्तों को मैसेज कर पैसों की मांग की गई. हालांकि अभिषेक मीणा को भनक लगते ही तत्काल इसकी शिकायत उन्होंने पुलिस में दर्ज करवाई.
केस- 4
रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र पांडेय की भी फेसबुक आईडी हैक हो गई थी. हैकरों ने उनके फेसबुक दोस्तों को मैसेज कर पैसों की मांग की. उसके बाद किसी एक साथी ने मृगेंद्र को फोन कर पूछा कि अचानक पैसों की जरूरत कैसे हो गई, तब जाकर फेसबुक हैक होने की जानकारी लगी.
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दुर्घटना और बीमारी का बहाना
ठग मैसेज में बीमारियां, सड़क हादसे का बहाना कर खाते में पैसा जमा करवाते हैं. यह रकम यूपीआई से ट्रांसफर होने पर वापस मिलना मुश्किल रहता है. इतना ही नहीं कई बार तो परिवार में हादसा होने के नाम पर भी पैसों की मांग की जाती है. इस तरह की ठगी को देखते हुए पुलिस मुख्यालय की ओर से कई बार अपील की जा चुकी है कि सोशल मीडिया पर बनाई आईडी का पासवर्ड अपने नाम अपने मोबाइल नंबर सरनेम यह जन्म तारीख पर ना रखें. इस तरह के पासवर्ड हैकर आसानी से पता लगाकर आईडी हैक कर लेते हैं.