रायपुर: छत्तीसगढ़ पंचायत सचिव संघ ने रायपुर में प्रेस वार्ता कर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. प्रदेश पंचायत सचिव संघ का कहना है कि पंचायत में काम करने वाले सचिवों ने दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. उसके बाद भी उन्हें शासकीय कर्मचारी का दर्जा नही दिया गया है. प्रदेश सरकार उन्हें दिसंबर 2021 तक शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने का वादा किया था. लेकिन 2 महीना बीतने के बाद भी प्रदेश के सचिवों को नियमित नहीं किया गया है. ऐसे में प्रदेश भर के सचिव 9 मार्च को रायपुर पहुंच कर विधानसभा का घेराव करेंगे.
'मोहताज हैं पंचायत सचिव'
प्रदेश पंचायत सचिव संघ के अध्यक्ष तुलसी साहू का कहना है कि, छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू है. जहां पर पंचायतीराज को आधार स्तंभ माना गया. लेकिन जिला जनपद में काम करने वाले कार्यरत कर्मचारी शासकीय कर्मचारी हैं. पंचायतीराज के आधार स्तंभ माने जाने वाले ग्राम पंचायतों में काम करने वाले पंचायत सचिव 26 वर्ष की सेवा बीत जाने के बाद भी अब भी मोहताज हैं.
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सरकार ने पंचायत सचिव को नहीं किया नियमित
तुलसी साहू ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पंचायत सचिव को शासन की तरफ से नियमित नहीं किया गया है. जिसको लेकर पंचायत सचिवों में गुस्सा देखने को मिल रहा है. कोरोना के समय 16 महीने के दौरान 73 पंचायत सचिवों की कोरोना से मौत हो गई और 4 पंचायत सचिवों ने आत्महत्या कर ली. उनके परिवार को शासन द्वारा किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की गई है. आत्महत्या करने वाले सचिव के परिजनों को 50 हजार रुपए अनुग्रह राशि के बजाय शासन ने 25 हजार रुपए की अनुग्रह राशि दी है. जिसको लेकर भी पंचायत सचिवों में नाराजगी देखी जा रही है
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पंचायत सचिव संघ का कहना है कि, कोरोना काल के दौरान पंचायत सचिवों ने अपनी जान की बाजी लगाकर कोरोना के खिलाफ जंग में सरकार का साथ दिया. राज्य सरकार की तरफ से कोरोना टीकाकरण अभियान में सौ फीसदी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पंचायत सचिव संघ ने अपना योगदान दिया. इसके अलावा सरकार की कई योजनाओं को धरातल पर सफल बनाने के काम में पंचायत सचिव संघ मदद करता है. लेकिन अब सरकार की तरफ से उनको तवज्जों नहीं दी जा रही है. इसलिए हम लोगों का नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है.