रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन गुरूवार को विपक्ष ने प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर निशाना साधा. सदन में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक (Dharamlal Kaushik) ने कहा कि राज्य में लगातार अपराधिक घटनाएं बढ़ रही है. जिसे देखकर लगता नहीं है कि छत्तीसगढ़ में गृहमंत्री नाम की भी कोई चीज है.
पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर सवाल
मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर भी सरकार से सवाल किए. विपक्षी नेताओं ने कहा कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कई बार आवाज उठाई थी. उन्होंने इसे लेकर तत्कालीन बीजेपी सरकार के खिलाफ आंदोलन भी किया, लेकिन सत्ता में आने के बाद पत्रकार सुरक्षा कानून (journalist protection law) की गति काफी धीमी है. विपक्ष ने राज्य की भूपेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक के बाद एक पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं, उनकी गिरफ्तारी हो गई है. जिस कारण विपक्ष को आज सरकार को अपने ही वादे को याद दिलाना पड़ रहा है.
सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक (opposition leader Dharamlal Kaushik ) ने छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हो रहे हमलों पर भी भूपेश सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए इसके लिए गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को जिम्मेदार ठहराया है. नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने मामले पर आगे कहा कि जब कांग्रेस जब विपक्ष में थी तो वह इस कानून की बड़ी तरफदारी करते थी, लेकिन सत्ता मिले उसे ढाई साल बीत गए. फिर भी कानून बन नहीं पाया. नेता प्रतिपक्ष ने भूपेश सरकार मांग की है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए जिस तरह से कानून बनाया गया है. उसी तर्ज पर पत्रकारों की सुरक्षा के लिए भी कानून बनाया जाए.
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सदन में कानून व्यवस्था पर बहस के बीच विपक्षी नेता धरमलाल कौशिक ने कहा कि भिलाई में एक लड़की को गाड़ी से फेंकने की घटना सामने आई है. इसके अलावा भी कई अपराधिक घटनाएं प्रदेश में हो रही हैं, जिन्हें देखकर यह लगता नहीं है कि प्रदेश में गृहमंत्री नाम की भी कोई चीज है. इतनी घटनाएं हो जाती है. बावजूद इसके गृहमंत्री का एक बयान तक नहीं आता है. उन्होंने कहा, 'नक्सलवाद की घटनाएं बढ़ रही हैं और आज तक इसके लिए गृहमंत्री को फुर्सत नहीं मिली है. यही स्थिति रही तो आने वाले समय में जो हम दूसरे राज्यों के बारे में सुनते थे, वही हाल छत्तीसगढ़ का भी होगा.'
राज्य सरकार ने प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लाने के लिए मार्च 2019 में हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता में वरिष्ठ कानूनविद, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, वरिष्ठ पत्रकारों की एक समिति का गठन किया था. समिति ने अनेक दौर की चर्चा के बाद प्रस्तावित पत्रकार सुरक्षा कानून का प्रारूप तैयार कर नवंबर 2019 में प्रदेश के अनेक जिलों में भ्रमण कर सुझाव प्राप्त किए और संशोधित प्रारूप तैयार किया था. कोरोना संकट को देखते हुए संशोधित प्रारूप पर अक्टूबर 2020 में ऑनलाइन सुझाव प्राप्त कर प्रस्तावित छत्तीसगढ़ पत्रकार सुरक्षा कानून को अंतिम रूप दिया गया.