रायपुर : छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले को लेकर भले ही सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को राहत दी हो. लेकिन ईडी ने इसी मामले में डुप्लीकेट होलोग्राम बनाकर धोखाधड़ी करने के मामले में शिकायत दर्ज कराई है. ईडी ने इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ यूपी के नोएडा में शिकायत दर्ज हुई है. इसमें छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन के पूर्व एमडी अरुणपति त्रिपाठी, आबकारी विभाग के आयुक्त निरंजन दास, रिटायर्ड आईएएस अनिल टूटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर और प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्मस के एमडी विधु गुप्ता के खिलाफ FIR दर्ज हुई है. इस एफआईआर में गैर जमानती धाराएं लगाई गईं हैं.
एफआईआर में होलोग्राम को इसलिए बनाया आधार : ईडी ने जो FIR दर्ज कराई है. उसमें होलोग्राम को आधार बनाया गया है. इसमें इस बात का जिक्र है कि छ्त्तीसगढ़ में ईडी ने शराब घोटाले की जांच की, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी सामने आया. इस घोटाले में प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्मस की बड़ी भूमिका है. कम्पनी को गलत तरीके से होलोग्राम बनाने का काम दिया गया. इन नकली होलोग्राम के जरिए शराब घोटाले को अंजाम दिया गया.
कहां पर बनाए गए थे होलोग्राम : छत्तीसगढ़ में गलत तरीके से शराब बेचकर फायदा कमाने के लिए ये पूरा खेल खेला गया. इसमें शराब सिंडिकेट ने नोएडा की कंपनी को होलोग्राम बनाने का काम दिया. प्रिज्म होलोग्राम के संचालक विधु गुप्ता ने ईडी को दिए बयान में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में होलोग्राम को लेकर अपनी भूमिका स्वीकार की है, जिसके बाद ही छत्तीसगढ़ के अफसरों और कारोबारियों के खिलाफ ईडी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
होलोप्रिज्म कंपनी नहीं थी पात्र : ईडी की जांच में पता चला है कि जिस कंपनी को होलोग्राम का ठेका दिया गया था वो पात्र नहीं थी. लेकिन कंपनी ने अपनी पहुंच से छत्तीसगढ़ के तीन अफसरों से संपर्क साधा, जिन्होंने टेंडर प्रक्रिया के नियमों में संशोधन किया. इसके बाद होलोग्राम बनाने का ठेका प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्मस को मिला. साथ ही साथ कंपनी ने प्रति होलोग्राम में 8 पैसे का कमीशन भी दिया. ईडी की जांच में पता चला है कि जिस होलोग्राम को शराब की प्रमाणिकता के लिए इस्तेमाल किया जाना था. उसी के जरिए आम आदमी को बेवकूफ बनाया गया. सिंडिकेट ने डुप्लीकेट होलोग्राम कंपनी से हासिल करके सरकारी शराब दुकानों में खुद की बनाई शराब बेच डाली.
क्या है शराब घोटाला : छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय की टीम शराब घोटाले में मनी लांड्रिंग की जांच कर रही है. ईडी का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में शराब दुकानों में नकली होलोग्राम का इस्तेमाल कर सिंडिकेट ने शराब बेचकर मुनाफा कमाया है.जिससे छत्तीसगढ़ राज्य को 2000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है.बता दें कि शराब घोटाले में ईडी ने आबकारी विभाग के विशेष सचिव रहे अरुण पति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, नितेश पुरोहित, त्रिलोक सिंह ढिल्लन उर्फ पप्पू ढिल्लन और अरविंद सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. ईडी ने इस मामले में कोर्ट में 16 हजार पन्नों की शिकायत पेश की है.