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छत्तीसगढ़ के नेताओं को दूसरे राज्यों में मिल रही चुनावी जिम्मेदारी, क्या राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ रहा प्रदेश का दखल ?

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अभी से कमर कस ली हैं. एक तरफ कांग्रेस तो दूसरी तरफ भाजपा भी राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ के नेताओं को जिम्मेदारी सौंप चुकी है. चर्चा है कि एक बार फिर से दोनों पार्टियां नेताओं को अहम भूमिका दे सकती है.

Bhupesh Baghel and Saroj Pandey
भूपेश बघेल और सरोज पांडे
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Published : Sep 10, 2021, 11:33 AM IST

रायपुर : यूपी में चुनाव (elections in UP) को लेकर सभी पार्टियां कमर कस रही हैं. इसी कड़ी में भाजपा ने इस बड़े चुनाव की जिम्मेदारी जिन नेताओं को सौंपी है, उनमें सरोज पांडेय (Saroj Pandey) का नाम भी शामिल है. सरोज पांडेय को पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है. छत्तीसगढ़ भाजपा नेताओं में सरोज पांडेय एक ऐसा नाम है, जिनका कद पिछले 15 सालों में लगातार बढ़ा ही है. फिर वो आडवाणी के समय का दौर हो या फिर वर्तमान मोदी-शाह का. इधर, कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. उन्हें बड़े ओबीसी चेहरे के तौर पर स्टार प्रचारक या चुनाव संचालन समिति में अहम भूमिका दी जा सकती है. प्रदेश के नेताओं को लगातार बढ़ रही राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारियों के आखिर क्या मायने हैं?

सरोज पांडेय को मिली जिम्मेदारी के मायने

छात्र राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पैठ बनाने वाली सरोज पांडेय को उत्तर प्रदेश में भाजपा द्वारा जिम्मेदारी सौंपे जाने के पीछे सवर्ण वोट बैंक पर अपनी पैठ और मजबूत करना तो है ही. साथ ही संगठन में उनके अनुभव भी हैं. सरोज पांडेय भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही हैं. छत्तीसगढ़ में तीन बार मुख्यमंत्री रमन सिंह से दूरी के बाद भी उनका कद राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ता ही रहा है. एक बार फिर विभिन्न राज्यों में चुनाव के लिए बनी समितियों में छत्तीसगढ़ से एक मात्र नेता हैं, जिन पर जेपी नड्डा ने भरोसा जताया है. इससे साफ संदेश जाता है कि भाजपा में सरोज पांडेय की भूमिका और बढ़ सकती है. एक्सपर्ट भी मानते हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा छत्तीसगढ़ में बड़े बदलाव से गुजर सकती है.

भूपेश बघेल का इस्तेमाल लगातार कर रही कांग्रेस

इसी तरह कांग्रेस में भूपेश बघेल को यूपी चुनाव में बड़ी भूमिका में जिम्मेदारी सौंप सकती है. इसी साल भूपेश बघेल ने असम में जोरदार तरीके से पार्टी की कमान संभाली थी. हालांकि वहां उस तरह की कामयाबी कांग्रेस को नहीं मिली, जिसकी उम्मीद लगाई जा रही थी. लेकिन इसके बाद भी भूपेश ने जिस तरह असम में अपनी टीम के साथ मोर्चा संभाला था, उसकी हर तरफ तारीफ हुई. बताया जा रहा है कि दिल्ली में राहुल गांधी ने उनसे यूपी चुनाव को लेकर चर्चा की है. राहुल गांधी खुद कई मंचों से अलग-अलग राज्यों में छत्तीसगढ़ में लागू न्याय योजना की तारीफ करते रहे हैं. ऐसे में जब सभी पार्टियां यूपी में ओबीसी वर्ग से चेहरा तलाश रही हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास भूपेश बघेल का चेहरा काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. हालांकि कांग्रेस टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और विकास उपाध्याय को भी कई भूमिकाओं अलग-अलग राज्यों में इस्तेमाल कर रही है.

बहरहाल भाजपा भले ही प्रदेश के नेताओं में सिर्फ सरोज पांडेय को ही ज्यादा राष्ट्रीय भूमिका दे रही है, लेकिन कांग्रेस इस मामले में अपने नेताओं को भरपूर जिम्मेदारियां सौंप रही है. इससे प्रदेश के नेताओं का दखल राष्ट्रीय स्तर पर जरूर बढ़ रहा है.

रायपुर : यूपी में चुनाव (elections in UP) को लेकर सभी पार्टियां कमर कस रही हैं. इसी कड़ी में भाजपा ने इस बड़े चुनाव की जिम्मेदारी जिन नेताओं को सौंपी है, उनमें सरोज पांडेय (Saroj Pandey) का नाम भी शामिल है. सरोज पांडेय को पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है. छत्तीसगढ़ भाजपा नेताओं में सरोज पांडेय एक ऐसा नाम है, जिनका कद पिछले 15 सालों में लगातार बढ़ा ही है. फिर वो आडवाणी के समय का दौर हो या फिर वर्तमान मोदी-शाह का. इधर, कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. उन्हें बड़े ओबीसी चेहरे के तौर पर स्टार प्रचारक या चुनाव संचालन समिति में अहम भूमिका दी जा सकती है. प्रदेश के नेताओं को लगातार बढ़ रही राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारियों के आखिर क्या मायने हैं?

सरोज पांडेय को मिली जिम्मेदारी के मायने

छात्र राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पैठ बनाने वाली सरोज पांडेय को उत्तर प्रदेश में भाजपा द्वारा जिम्मेदारी सौंपे जाने के पीछे सवर्ण वोट बैंक पर अपनी पैठ और मजबूत करना तो है ही. साथ ही संगठन में उनके अनुभव भी हैं. सरोज पांडेय भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही हैं. छत्तीसगढ़ में तीन बार मुख्यमंत्री रमन सिंह से दूरी के बाद भी उनका कद राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ता ही रहा है. एक बार फिर विभिन्न राज्यों में चुनाव के लिए बनी समितियों में छत्तीसगढ़ से एक मात्र नेता हैं, जिन पर जेपी नड्डा ने भरोसा जताया है. इससे साफ संदेश जाता है कि भाजपा में सरोज पांडेय की भूमिका और बढ़ सकती है. एक्सपर्ट भी मानते हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा छत्तीसगढ़ में बड़े बदलाव से गुजर सकती है.

भूपेश बघेल का इस्तेमाल लगातार कर रही कांग्रेस

इसी तरह कांग्रेस में भूपेश बघेल को यूपी चुनाव में बड़ी भूमिका में जिम्मेदारी सौंप सकती है. इसी साल भूपेश बघेल ने असम में जोरदार तरीके से पार्टी की कमान संभाली थी. हालांकि वहां उस तरह की कामयाबी कांग्रेस को नहीं मिली, जिसकी उम्मीद लगाई जा रही थी. लेकिन इसके बाद भी भूपेश ने जिस तरह असम में अपनी टीम के साथ मोर्चा संभाला था, उसकी हर तरफ तारीफ हुई. बताया जा रहा है कि दिल्ली में राहुल गांधी ने उनसे यूपी चुनाव को लेकर चर्चा की है. राहुल गांधी खुद कई मंचों से अलग-अलग राज्यों में छत्तीसगढ़ में लागू न्याय योजना की तारीफ करते रहे हैं. ऐसे में जब सभी पार्टियां यूपी में ओबीसी वर्ग से चेहरा तलाश रही हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास भूपेश बघेल का चेहरा काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. हालांकि कांग्रेस टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और विकास उपाध्याय को भी कई भूमिकाओं अलग-अलग राज्यों में इस्तेमाल कर रही है.

बहरहाल भाजपा भले ही प्रदेश के नेताओं में सिर्फ सरोज पांडेय को ही ज्यादा राष्ट्रीय भूमिका दे रही है, लेकिन कांग्रेस इस मामले में अपने नेताओं को भरपूर जिम्मेदारियां सौंप रही है. इससे प्रदेश के नेताओं का दखल राष्ट्रीय स्तर पर जरूर बढ़ रहा है.

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