रायपुर : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) के वैज्ञानिकों ने कुसुम भाजी की नई किस्म तैयार की है. वैज्ञानिकों का दावा है कि कुसुम भाजी के बीज से तैयार होने वाले तेल में ऐसे तत्व मिले हैं, जो दिल की बीमारियों के खतरे को कम करते हैं. इतना ही नहीं बल्कि इस नई किस्म में 35 प्रतिशत तेल है. जबकि कुसुम या बर्रे भाजी की बाकी किस्मों में 30 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है. अबतक जो किस्में हैं, वह 145 दिन में तैयार होती थी. लेकिन नई किस्म 135 दिन यानी 10 दिन पहले पक कर तैयार हो जाएगी. कृषि वैज्ञानिक को इसे तैयार करने में कितना समय लगा और इसके क्या फायदे हैं. आइये प्रो. राजीव श्रीवास्तव से समझने की कोशिश करें. Chhattisgarh kusum bhaji cure heart diseases
सवाल: भाजी की नई किस्म के लिए कितना समय लगा आपको? जवाब: कुसुम भाजी को छत्तीसगढ़ की बर्रे भाजी के नाम से पहचाना जाता है. हमने 11 साल में 3 किस्में निकाली हैं. सीजी कुसुम 1, आईजीकेवी कुसुम और यह सीजी कुसुम दो है, जिसकी हम बात कर रहे हैं. इस किस्म का लाभ यह है कि अबतक जो किस्में थीं, वह 145 दिनों में पकती थी. लेकिन यह 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस पत्ते की भाजी की चौड़ाई अधिक होती है. इसे सब्जी के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. छत्तीसगढ़ में चराई की समस्या है. इसमें लगभग 100 दिन में पुष्पम आता है तो छोटे छोटे कांटे पत्ती में आना शुरू हो जाता है. इसकी वजह से चराई नहीं होती है. यदि आप खुले बाड़ी में इसे लगाते हैं तो और 100 दिन तक संभाल लिया गया तो चराई जैसी समस्या से मुक्ति मिल जाएगी. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा प्रॉब्लम बंदरों का है. बंदर से क्रॉप डैमेज होती है. इसमें कांटे होने से बंदर इसे छूता भी नहीं है. इस फसल में पानी कम लगता है. बीज लगाने के समय पानी की जरूरत होती है. दूसरा 60 से 70 दिन बाद पानी की जरूरत होती है. ज्यादा पानी होने से फसल को नुकसान होता है. बारिश के समय ध्यान देना पड़ता है. अधिक से अधिक लाभ देने वाली तिलहन किस्म है. इसके तेल में मोनो और पॉली अनसेचुरेटेड फ्रैटेसीएट का प्रतिशत ज्यादा है. वह तेल अच्छा माना जाता है, जिसमें असंतृप्त वसा ज्यादा हो. इसमें ओमेगा 3 की क्वांटिटी भी ज्यादा होती है. यही वजह है कि जितने भी दिल के मरीज होते हैं, उनके लिए इस तेल को बेहतर माना जाता है. इस तेल में लगभग जैतून के तेल के जैसे गुण हैं.
सवाल: नई किस्म का फायदा कैसे किसानों को मिलेगा? जवाब: शासन की ओर से मिनिमम सपोर्ट प्राइस अन्य फसलों की तुलना में सबसे ज्यादा कुसुम की फसलों पर है. शासकीय दर के लिहाज से 5 हजार रुपये है, लेकिन समस्या आती है कि इसका बीज कहां बेचें. रायपुर में लोकल कम से कम चार से पांच घनिया चल रही है, जो कुसुम का बीज और तेल निकाल कर बेच रहे हैं. लगभग 300 से 350 रुपये लीटर में बेच रहे हैं. इसमें काफी फायदा है. 35% का तेल निकल रहा है. महज 6 किलो भाजी में एक लीटर तेल मिल रहा है तो किसान भाई इसका फायदा ले सकते हैं. उनको तेल निकालकर बेचने से
काफी फायदा होगा.
सवाल: इसमें ऐसी कौन कौन सी चीजें पाई जाती है, जो दिल की बीमारी के लिए लाभदायक है.
जवाब: जो कोलेस्ट्रॉल जमता है, वह संतृप्त वसा से जमता है. संतृप्त वसा, जैसे पहले डालडा आता था. जिसका तेल जम जाता है. ऐसे ही नारियल का तेल भी है. वह भी जम जाता है. क्योंकि इसमें संतृप्त वसा ज्यादा है. जिसमें भी संतृप्त वसा ज्यादा है, उसको अच्छा नहीं मानते. वहीं असंतृप्त वसा में मोसली लिनोलेनिक एसिड और ओइलिक एसिड की मात्रा अधिक होती है. इसमें मोनो और पॉली अनसैचुरेटेड असंतृप्त वसा ज्यादा है. वही तेल अच्छा माना जाता है, जिसमें असंतृप्त वसा ज्यादा हो. कुसुम भाजी में यह गुण प्राकृतिक रूप से दिया हुआ है और इसके तेल में यही एडवांटेज है कि असंतृप्त वसा होने से कोलेस्ट्रॉल नहीं जमता है.
सवाल: आपको रिसर्च करने में कितना समय लगा, क्या इसका नोटिफिकेशन हुआ?
जवाब: हमारी सीजी कुसुम एक स्टेट से निकली है. उसका नोटिफिकेशन 2021 में हुआ. आईजीकेवी कुसुम भाजी केंद्र से निकली है. वह भी 2021 में नोटिफिकेशन हो चुका है. सीजी कुसुम2 स्टेट से आइडेंटीफाइड हुई है. नोटिफिकेशन की प्रोसेस चल रही है. 5 से 6 माह में नोटिफिकेशन होने की संभावना है.