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भगवान राम का ननिहाल है छत्तीसगढ़, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दिन मनेगी दिवाली

Maternal Birthplace Of Lord Ram छत्तीसगढ़ से भगवान राम का गहरा नाता है. प्रभु श्रीराम की माता कौशिल्या दक्षिण कोसल की निवासी थी. अयोध्या के राजा दशरथ के घर कौशिल्या का विवाह हुआ. छत्तीसगढ़ के चंदखुरी में माता कौशिल्या का इकलौता मंदिर स्थापित है.इसलिए अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर छत्तीसगढ़ में भी उत्सव सा माहौल है.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 4, 2024, 11:06 PM IST

Updated : Jan 5, 2024, 7:44 AM IST

Maternal Birthplace Of Lord Ram
भगवान राम का ननिहाल है छत्तीसगढ़
भगवान राम का ननिहाल है छत्तीसगढ़

रायपुर : पूरे देश में राम जन्मभूमि पर भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह का माहौल है.जहां एक ओर अयोध्या में भव्य आयोजन की तैयारियां अंतिम चरणों में है. छत्तीसगढ़ में भी इस आयोजन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोग शामिल होंगे. भगवान राम की माता कौशिल्या का मायका छत्तीसगढ़ है.इस लिहाज से राम छत्तीसगढ़ में भांजे के तौर पर पूजे जाते हैं.प्रभु श्रीराम को जब वनवास हुआ तो उन्होंने 14 वर्ष में से 10 वर्ष दंडकारण्य में ही बिताए.इस लिहाज से अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर छत्तीसगढ़ में उत्सव ना मने ऐसा कैसे हो सकता है ?

भगवान राम का ननिहाल है छत्तीसगढ़ : पुरातन काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोसल नाम से जाना जाता था.उस समय दक्षिण कोसल में राजा भानुमंत का राज था. राजा दशरथ ने तब भानुमंत की सुपुत्री कौशिल्या से विवाह किया था. इसके बाद अयोध्या और दक्षिण कोसल का नाता आपस में जुड़ गया. इसलिए छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है. यही नहीं देश में माता कौशल्या का एकमात्र मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के चंदखुरी में है. जहां भगवान राम माता कौशल्या की गोद में विराजमान है. इसके अलावा माता कौशिल्या का कहीं कोई दूसरा मंदिर स्थापित नहीं है.

भगवान राम छत्तीसगढ़ के हैं भांचा : छत्तीसगढ़ी में भांजे को भांचा कहते हैं. छत्तीसगढ़ माता कौशिल्या की जन्मस्थली है. ऐसे में भगवान राम का ननिहाल छत्तीसगढ़ है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम को भांचा यानी कि भांजे के रूप में पूजते हैं. यहां के लोग अपनी बोलचाल की भाषा में भी भगवान राम को भांचा शब्द से ही संबोधित करते हैं.


छत्तीसगढ़ में 22 जनवरी को मनेगी दिवाली : पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने इस बारे में कहा कि अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. उसे लेकर पूरे देश में उत्सव का माहौल है. छत्तीसगढ़ में उत्सव की तैयारी चल रही है. प्रदेश के कई मंदिरों में उस दिन पूजा अर्चना यज्ञ हवन का आयोजन किया जा रहा है.यह उत्सव उसी तर्ज पर है जिस तरह भगवान राम के अयोध्या लौटने पर दिवाली के रूप में मनाया गया था.

छत्तीसगढ़ में राम ने गुजारे 10 साल : मान्यता के अनुसार भगवान राम का वनवास अयोध्या नगरी छोड़ते ही शुरू हो गया था. राम सबसे पहले अयोध्या से 20 किलोमीटर दूर तमसा नदी के तट पर पहुंचे.तमसा नदी पार करने के बाद भगवान राम दंडकारण्य (छत्तीसगढ़ ) के घने जंगलों पहुंचे. इसी दंडकारण्य में भगवान राम का अधिकतर समय बीता. राम ने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ दंडकारण्य में 10 साल का लंबा समय व्यतीत किया. इस दौरान प्रभु श्रीराम ने दंडकारण्य के कई गुरुकुल में जाकर ऋषि मुनियों का आशीर्वाद प्राप्त किया.

कहां-कहां से गुजरे भगवान राम : दंडकारण्य में वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम कई जगहों से होकर गुजरे थे.जिनमें सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया ), रामगढ़ ,अम्बिकापुर (सरगुजा ), किलकिला (जशपुर ), शिवरीनारायण (जांजगीर -चांपा),तुरतिया वाल्मिकी आश्रम (बलौदा बाजार ),चंदखुरी (रायपुर ),राजिम (गरियाबंद),सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी ),जगदलपुर (बस्तर ),रामाराम (सुकमा ) जैसे स्थलों में राम से जुड़ी स्मृतियां देखने को मिलती हैं.

22 जनवरी शुष्क दिवस घोषित : छत्तीसगढ़ की सरकार ने 22 तारीख को शुष्क दिवस घोषित किया है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मुताबिक छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल है. अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित होगा. इसे लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में सभी लोगों में खुशी का माहौल है.

''इस दिन पूरे प्रदेश में उत्सव का माहौल रहेगा।. घरों में दीपावली की तरह दीप भी प्रज्ज्वलित किए जाएंगे. छत्तीसगढ़ सरकार ने 22 जनवरी को सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में शुष्क दिवस घोषित करने का निर्णय लिया है.'' विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री


छत्तीसगढ़ से भेजा गया सुगंधित चावल :आपको बता दें कि अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए छत्तीसगढ़ से भी लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ेंगे. हाल ही में 300 मिट्रिक टन सुगंधित चावल राइस मिलर्स ने अयोध्या के लिए भेजा है. साथ ही फूल और सब्जी व्यापारियों ने भी अपनी तरफ भेंट अयोध्या के लिए भेजे हैं. जिनका उपयोग 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम में होगा.

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भगवान राम का ननिहाल है छत्तीसगढ़

रायपुर : पूरे देश में राम जन्मभूमि पर भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह का माहौल है.जहां एक ओर अयोध्या में भव्य आयोजन की तैयारियां अंतिम चरणों में है. छत्तीसगढ़ में भी इस आयोजन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोग शामिल होंगे. भगवान राम की माता कौशिल्या का मायका छत्तीसगढ़ है.इस लिहाज से राम छत्तीसगढ़ में भांजे के तौर पर पूजे जाते हैं.प्रभु श्रीराम को जब वनवास हुआ तो उन्होंने 14 वर्ष में से 10 वर्ष दंडकारण्य में ही बिताए.इस लिहाज से अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर छत्तीसगढ़ में उत्सव ना मने ऐसा कैसे हो सकता है ?

भगवान राम का ननिहाल है छत्तीसगढ़ : पुरातन काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोसल नाम से जाना जाता था.उस समय दक्षिण कोसल में राजा भानुमंत का राज था. राजा दशरथ ने तब भानुमंत की सुपुत्री कौशिल्या से विवाह किया था. इसके बाद अयोध्या और दक्षिण कोसल का नाता आपस में जुड़ गया. इसलिए छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है. यही नहीं देश में माता कौशल्या का एकमात्र मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के चंदखुरी में है. जहां भगवान राम माता कौशल्या की गोद में विराजमान है. इसके अलावा माता कौशिल्या का कहीं कोई दूसरा मंदिर स्थापित नहीं है.

भगवान राम छत्तीसगढ़ के हैं भांचा : छत्तीसगढ़ी में भांजे को भांचा कहते हैं. छत्तीसगढ़ माता कौशिल्या की जन्मस्थली है. ऐसे में भगवान राम का ननिहाल छत्तीसगढ़ है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम को भांचा यानी कि भांजे के रूप में पूजते हैं. यहां के लोग अपनी बोलचाल की भाषा में भी भगवान राम को भांचा शब्द से ही संबोधित करते हैं.


छत्तीसगढ़ में 22 जनवरी को मनेगी दिवाली : पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने इस बारे में कहा कि अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. उसे लेकर पूरे देश में उत्सव का माहौल है. छत्तीसगढ़ में उत्सव की तैयारी चल रही है. प्रदेश के कई मंदिरों में उस दिन पूजा अर्चना यज्ञ हवन का आयोजन किया जा रहा है.यह उत्सव उसी तर्ज पर है जिस तरह भगवान राम के अयोध्या लौटने पर दिवाली के रूप में मनाया गया था.

छत्तीसगढ़ में राम ने गुजारे 10 साल : मान्यता के अनुसार भगवान राम का वनवास अयोध्या नगरी छोड़ते ही शुरू हो गया था. राम सबसे पहले अयोध्या से 20 किलोमीटर दूर तमसा नदी के तट पर पहुंचे.तमसा नदी पार करने के बाद भगवान राम दंडकारण्य (छत्तीसगढ़ ) के घने जंगलों पहुंचे. इसी दंडकारण्य में भगवान राम का अधिकतर समय बीता. राम ने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ दंडकारण्य में 10 साल का लंबा समय व्यतीत किया. इस दौरान प्रभु श्रीराम ने दंडकारण्य के कई गुरुकुल में जाकर ऋषि मुनियों का आशीर्वाद प्राप्त किया.

कहां-कहां से गुजरे भगवान राम : दंडकारण्य में वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम कई जगहों से होकर गुजरे थे.जिनमें सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया ), रामगढ़ ,अम्बिकापुर (सरगुजा ), किलकिला (जशपुर ), शिवरीनारायण (जांजगीर -चांपा),तुरतिया वाल्मिकी आश्रम (बलौदा बाजार ),चंदखुरी (रायपुर ),राजिम (गरियाबंद),सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी ),जगदलपुर (बस्तर ),रामाराम (सुकमा ) जैसे स्थलों में राम से जुड़ी स्मृतियां देखने को मिलती हैं.

22 जनवरी शुष्क दिवस घोषित : छत्तीसगढ़ की सरकार ने 22 तारीख को शुष्क दिवस घोषित किया है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मुताबिक छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल है. अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित होगा. इसे लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में सभी लोगों में खुशी का माहौल है.

''इस दिन पूरे प्रदेश में उत्सव का माहौल रहेगा।. घरों में दीपावली की तरह दीप भी प्रज्ज्वलित किए जाएंगे. छत्तीसगढ़ सरकार ने 22 जनवरी को सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में शुष्क दिवस घोषित करने का निर्णय लिया है.'' विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री


छत्तीसगढ़ से भेजा गया सुगंधित चावल :आपको बता दें कि अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए छत्तीसगढ़ से भी लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ेंगे. हाल ही में 300 मिट्रिक टन सुगंधित चावल राइस मिलर्स ने अयोध्या के लिए भेजा है. साथ ही फूल और सब्जी व्यापारियों ने भी अपनी तरफ भेंट अयोध्या के लिए भेजे हैं. जिनका उपयोग 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम में होगा.

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Last Updated : Jan 5, 2024, 7:44 AM IST
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