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सरकारी बैठकों में अब प्लास्टिक नहीं दिखेंगी मिट्टी की बोतलें, ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य

पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार एक खास पहल करने जा रही है. सरकारी मीटिंग्स और सरकारी दफ्तरों में खाने के सामान मिट्टी के बर्तनों में परोसे जाएंगे. ये बर्तन काफी सस्ती कीमतों में बाजार में मिलेंगे.

मिट्टी के बर्तन
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Published : Aug 12, 2019, 9:21 PM IST

रायपुर: नया राज्य होने के बावजूद भी छत्तीसगढ़ ने कई पहल की हैं, जो दूसरे प्रदेशों के लिए मिसाल बन गई हैं. प्लास्टिक लाओ, खाना खाओ के बाद राज्य ऐसी ही एक नई शुरुआत करने जा रहा है जिसके बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया. इस नई पहल के तहत वीआईपी कल्चर के बीच माटी की सोंधी महक बिखरेगी. मंत्री और आला अधिकारी बड़ी और अहम बैठकों में खाना प्लास्टिक या कांच के नहीं बल्कि मिट्टी के बने बर्तनों में खाएंगे.

पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार एक खास पहल

पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार एक खास पहल करने जा रही है. सरकारी मीटिंग्स और सरकारी दफ्तरों में खाने के सामान मिट्टी के बर्तनों में परोसे जाएंगे. ये बर्तन काफी सस्ती कीमतों में बाजार में मिलेंगे.

माटी कला को बढ़ावा देने के लिए की जा रही है ये पहल

खास बात यह है कि पानी की बोतल भी अब मिट्टी की ही होगी. प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और माटी कला को बढ़ावा देने के लिए ये पहल की जा रही है. ग्राम उद्योग विभाग ने ये प्रस्ताव भेज दिया है, जैसे ही मंजूरी मिलेगी इसे लागू कर दिया जाएगा.

कुम्हारों को मिलेगा रोजगार

ग्राम उद्योग मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने बताया कि विभाग का मकसद इस प्रयोग के जरिए न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण का है बल्कि ग्रामीण इलाकों के कुम्हारों को रोजगार देना है. फिलहाल महासमुंद के पास गांव में यह बर्तन तैयार किए जा रहे हैं. जल्द ही दो अन्य जगहों से निर्माण का काम शुरू होगा.

हम आपको बता दें कि अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो देश भर में छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य होगा जहां माटीकला को इस रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है. लोगों को प्रकृति से जोड़ने के लिए ये पहल एक नजीर साबित होगा.

रायपुर: नया राज्य होने के बावजूद भी छत्तीसगढ़ ने कई पहल की हैं, जो दूसरे प्रदेशों के लिए मिसाल बन गई हैं. प्लास्टिक लाओ, खाना खाओ के बाद राज्य ऐसी ही एक नई शुरुआत करने जा रहा है जिसके बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया. इस नई पहल के तहत वीआईपी कल्चर के बीच माटी की सोंधी महक बिखरेगी. मंत्री और आला अधिकारी बड़ी और अहम बैठकों में खाना प्लास्टिक या कांच के नहीं बल्कि मिट्टी के बने बर्तनों में खाएंगे.

पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार एक खास पहल

पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार एक खास पहल करने जा रही है. सरकारी मीटिंग्स और सरकारी दफ्तरों में खाने के सामान मिट्टी के बर्तनों में परोसे जाएंगे. ये बर्तन काफी सस्ती कीमतों में बाजार में मिलेंगे.

माटी कला को बढ़ावा देने के लिए की जा रही है ये पहल

खास बात यह है कि पानी की बोतल भी अब मिट्टी की ही होगी. प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और माटी कला को बढ़ावा देने के लिए ये पहल की जा रही है. ग्राम उद्योग विभाग ने ये प्रस्ताव भेज दिया है, जैसे ही मंजूरी मिलेगी इसे लागू कर दिया जाएगा.

कुम्हारों को मिलेगा रोजगार

ग्राम उद्योग मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने बताया कि विभाग का मकसद इस प्रयोग के जरिए न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण का है बल्कि ग्रामीण इलाकों के कुम्हारों को रोजगार देना है. फिलहाल महासमुंद के पास गांव में यह बर्तन तैयार किए जा रहे हैं. जल्द ही दो अन्य जगहों से निर्माण का काम शुरू होगा.

हम आपको बता दें कि अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो देश भर में छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य होगा जहां माटीकला को इस रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है. लोगों को प्रकृति से जोड़ने के लिए ये पहल एक नजीर साबित होगा.

Intro:रायपुर । पर्यावरण संरक्षण को लेकर राज्य सरकार ने नई पहल की है अब सभी सरकारी मीटिंग्स और सरकारी दफ्तरों में खाने के सामान मिट्टी के बर्तनों में दिए जाएंगे


Body:खास बात यह है कि पानी की बोतल भी अब मिट्टी की ही होगी हार बात क्या है कि पानी की बोतल भी अपने पति की ही होगी प्लास्टिक कम उपयोग औरमाटीकला को बढ़ावा देने के लिए ग्रामद्योग विभाग के द्वारा यह पहल की जा रही है । छत्तीसगढ़ मंत्रलाय या किसी भी अन्य सरकारी दफ्तरों में नेताओं और मंत्रियों को मिट्टी के बर्तन में खाना परोसा जाएगा ।

इस नई पहल के लिए विभाग की ओर से सभी को प्रस्ताव भी भेजे जा चुके हैं । ग्राम उद्योग विभाग ने ये यह प्रस्ताव भेज दिया है म जैसे ही मंजूरी मिलेगी उसके बाद से ही इस योजना को क्रियावन्य कर दिया जाएगा ।

अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो देश भर में अपनी तरह का ऐसा पहला राज्य होगा जहां वीआईपी कल्चर में मिट्टी की महक को लाया जाएगा ग्राम उद्योग मंत्री गुरु रूद्र कुमार ने बताया कि विभाग का मकसद इस प्रयोग के जरिए न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है बल्कि गांव में जो कुम्हार है उन्हें रोजगार देना भी है फिलहाल महासमुंद के पास गांव में यह बर्तन तैयार किए जा रहे हैं और जल्द ही इसकी दो और नई जगह से निर्माण की व्यवस्था भी शुरू की जाएगी


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