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छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन भरपूर होने का दावा, फिर क्यों जा रही है मरीजों की जान ?

छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस ने कोहराम मचाया हुआ है. राज्य में कोरोना से मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.छत्तीसगढ़ से ऐसी तमाम खबरें सामने आई हैं, जिसमें मरीज और उनके परिजनों ने ऑक्सीजन बेड न मिलने की शिकायत की है. राज्य सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. ETV भारत ने इसकी पड़ताल की है. देखिए ये विस्तृत रिपोर्ट.

Chhattisgarh government claims to be full of oxygen in state
छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन भरपूर होने का दावा
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Published : Apr 21, 2021, 8:54 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है. छत्तीसगढ़ से ऐसी तमाम खबरें सामने आई हैं, जिसमें मरीज और उनके परिजनों ने ऑक्सीजन बेड न मिलने की शिकायत की है. कहीं हालत खराब होने पर भी घंटों इंतजार करना पड़ा है. राज्य सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. ETV भारत ने जब इसकी पड़ताल की थी तो रायपुर और दुर्ग जिले में न सिर्फ ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम बढ़ने की बात सामने आई बल्कि सप्लायरों ने डिमांड के हिसाब से कम सप्लाई की बात कही.

रायपुर में अस्पताल प्रबंधन भी मान रहे हैं कि जिस अनुपात में कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन बेड चाहिए वह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. ऑक्सीजन के स्टॉक को लेकर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि वे आवश्यकता अनुसार समय-समय पर ऑक्सीजन की मांग करते हैं. जिस अनुपात में ऑक्सीजन प्लांट उन्हें ऑक्सीजन आपूर्ति करते हैं कई बार यह आपूर्ति मांग से कुछ कम होती है, लेकिन वे भी ऑक्सीजन स्टॉक करके नहीं रख सकते.

सरकार की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार 15 अप्रैल की स्थिति में-

  • छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन
  • ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों के लिए हर रोज 110.30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में बीते 14 मार्च से ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने से ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है. 14 मार्च की स्थिति में राज्य में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मात्र 197 मरीज के लिए 3.68 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी जो 15 अप्रैल की स्थिति में बढ़कर 110.30 मीट्रिक टन हो गई. 15 अप्रैल की स्थिति में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या 5898 थी.

जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन उत्पादन का दावा, फिर भी नहीं कम हो रही मौतें

राज्य में पीएसए ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट की संख्या कुल 27 है. इनसे रोजाना 176.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन किया जा रहा है. इसके अलावा राज्य में दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मैन्युफैक्चर रोजाना 210 मीट्रिक टन एयर डेस्टिलेशन यूनिट और पीएसए ऑक्सीजन जनरेट कर रहा है. इस प्रकार राज्य में कुल 29 प्लांट से 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा रहा है.

भिलाई इस्पात संयंत्र में लगातार ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 जो कि प्रतिदिन 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करता है. भिलाई इस्पात संयंत्र परिसर में संचालित 'बिल्ड, ऑन ऑपरेट' यानी बीओओ-आधारित मैसर्स प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. अप्रैल 2020 से 15 अप्रैल 2021 के बीच कुल 2410 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में संचालित अस्पतालों को की जा चुकी है.

दुर्ग में ऑक्सीजन है, तो क्यों हो रही हैं मौतें ?

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना 20 से ज्यादा लोगों की जान जा रही है. कई ऐसे केस सामने आए हैं जिनमें मरीजों को अस्पताल मिला तो बेड नहीं मिला या बेड मिला तो ऑक्सीजन के लिए तरस गए. कोरोना से मरने वालों की मेडिकल केस हिस्ट्री देखें तो इससे भी साफ होता है कि ज्यादातर मरीज सांस संबंधी दिक्कत से मौत का शिकार हो रहे हैं. लेकिन सीएमएचओ का कहना है कि लोग ऑक्सीजन लेलव बहुत डाउन होने के बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिससे उनको बचाना मुश्किल हो जाता है. अधिकारी ने दावा किया है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है.

छत्तीसगढ़ में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त में लगेगी कोरोना वैक्सीन

पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन, फिर भी मौत

दुर्ग जिले में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. इसमें सिर्फ सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 में रोजाना 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन और मेसर्स प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. हालांकि जिले में बेड फुल हैं और लोगों को भर्ती होने में परेशानी हो रही है.

ऑक्सीजन लेवल कम होने पर पहुंच रहे मरीज

दुर्ग जिले में लगे लॉकडाउन की वजह से संक्रमण की दर में गिरावट देखी जा रही है. साथ ही रिकवरी रेट भी बेहतर हुआ है, लेकिन मौत के आंकड़े कम नहीं हो रहे हैं. दुर्ग सीएमएचओ डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि जिले में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. रोजोना ऑक्सीजन बेड की संख्या भी बढ़ाई जा रही है. लेकिन लोगों की लापरवाही मौत का कारण बनती जा रही है. उन्होंने बताया कि हर रोज 3 से 4 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन लेवल जब 50 से 60 प्रतिशत हो जाता है, उसके बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं. ऐसी स्थिति में उनको बचा पाना मुश्किल होता है.

जब ETV भारत ने की थी पड़ताल-

रायपुर के सप्लायर का कहना है कि मांग 20 गुना बढ़ गई, जिससे शॉर्टेज है. सप्लायर ने बताया कि राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) के दाम करीब 20 फीसदी बढ़ गए हैं. 10 किलो 40CFT ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल लोग घरों में करते हैं. इसकी मांग काफी तेजी से बढ़ी है. पहले लगभग सौ सिलेंडर प्रति महीने बिकते थे लेकिन अब 500 सिलेंडर की मांग है. वैसे इस सिलेंडर की कीमत 6 हजार रुपए है. लेकिन केस बढ़ने के बाद अब यह 7 हजार रुपए में मिल रहा है. रीफिल कराने में प्रति सिलेंडर 150 से 200 रुपए लगते हैं.

दिल्ली में ऑक्सीजन संकट : सेंट स्टीफंस और गंगाराम में कुछ ही घंटे का स्टॉक

छोटे अस्पताल और क्लीनिक में जंबो सिलेंडर की सप्लाई की जाती है. यह सिलेंडर 100 किलो का होता है. इस सिलेंडर की कीमत पहले लगभग 13 हजार रुपए थी जो अब बढ़कर 15 हजार रुपए हो गई है. पहले जहां 20 के करीब हर महीने यह सिलेंडर बिकता था. लेकिन अब इसकी डिमांड 50 से ज्यादा बढ़ गई है. इस सरेंडर को रीफिल करने पर 500 प्रति सिलेंडर का खर्च आता है.

दुर्ग में क्या हैं दाम ?

ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग इस तरह बढ़ गई है कि डीलरों के पास भी ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं बच पा रहे हैं. दाम में भी बढ़ोतरी हुई है. सप्लायर और मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि पहले छोटा सिलेंडर 4 से 4500 में मिलता था, अब उसके दाम 6 हजार हो गए हैं. मिडिल साइज के जो सिलेंडर 6 से 7 हजार रुपए के मिल रहे थे, उनके दाम 8 से 10 हजार रुपए हो गए हैं. बड़ा सिलेंडर जिसके दाम 9 से 10 हजार रुपए थे, वो बढ़कर 12 से 14 हजार रुपए हो गए हैं.

बस्तर में नहीं बढ़े दाम, नहीं है कमी

बस्तर जिले में वर्तमान में 300 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था है, जिसमें जम्बो साइज के सिलेंडर के साथ ही छोटे सिलेंडर भी शामिल हैं, इसके साथ ही बस्तर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल डिमरापाल में भी सेंट्रल ऑक्सीजन की सुविधा है और जिसकी शुरुआत आज से की गई है, वहीं जिले में ऑक्सीजन प्लांट की भी सुविधा है.

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सरगुजा में भी ऑक्सीजन की कमी नहीं, दाम भी नहीं बढ़े

सरगुजा जिले में फिलहाल ऑक्सीजन सिलेंडर की कोई किल्लत नहीं है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट से पर्याप्त सप्लाई हो रही है. यहां ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम में मार्च और अप्रैल में कोई बदलाव नहीं हुआ है. 42 लीटर का जम्बो सिलेंडर 5 हजार रुपए + जीएसटी पर उपलब्ध है. 16 लीटर का छोटा सिलेंडर 32 सौ रुपए + जीएसटी पर उपलब्ध है.

कोरबा में ऑक्सीजन की कमी नहीं, दाम भी वही

औद्योगिक नगरी होने के कारण कोरबा में पावर प्लांट के साथ ही अन्य उद्योगों को ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता रहती है. लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऑक्सीजन प्लांट संचालकों ने औद्योगिक सप्लाई को लगभग बंद कर दिया है. पूरी सप्लाई मेडिकल संस्थानों को की जा रही है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है. छत्तीसगढ़ से ऐसी तमाम खबरें सामने आई हैं, जिसमें मरीज और उनके परिजनों ने ऑक्सीजन बेड न मिलने की शिकायत की है. कहीं हालत खराब होने पर भी घंटों इंतजार करना पड़ा है. राज्य सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. ETV भारत ने जब इसकी पड़ताल की थी तो रायपुर और दुर्ग जिले में न सिर्फ ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम बढ़ने की बात सामने आई बल्कि सप्लायरों ने डिमांड के हिसाब से कम सप्लाई की बात कही.

रायपुर में अस्पताल प्रबंधन भी मान रहे हैं कि जिस अनुपात में कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन बेड चाहिए वह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. ऑक्सीजन के स्टॉक को लेकर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि वे आवश्यकता अनुसार समय-समय पर ऑक्सीजन की मांग करते हैं. जिस अनुपात में ऑक्सीजन प्लांट उन्हें ऑक्सीजन आपूर्ति करते हैं कई बार यह आपूर्ति मांग से कुछ कम होती है, लेकिन वे भी ऑक्सीजन स्टॉक करके नहीं रख सकते.

सरकार की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार 15 अप्रैल की स्थिति में-

  • छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन
  • ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों के लिए हर रोज 110.30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में बीते 14 मार्च से ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने से ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है. 14 मार्च की स्थिति में राज्य में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मात्र 197 मरीज के लिए 3.68 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी जो 15 अप्रैल की स्थिति में बढ़कर 110.30 मीट्रिक टन हो गई. 15 अप्रैल की स्थिति में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की संख्या 5898 थी.

जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन उत्पादन का दावा, फिर भी नहीं कम हो रही मौतें

राज्य में पीएसए ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट की संख्या कुल 27 है. इनसे रोजाना 176.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गैस का उत्पादन किया जा रहा है. इसके अलावा राज्य में दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मैन्युफैक्चर रोजाना 210 मीट्रिक टन एयर डेस्टिलेशन यूनिट और पीएसए ऑक्सीजन जनरेट कर रहा है. इस प्रकार राज्य में कुल 29 प्लांट से 386.92 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा रहा है.

भिलाई इस्पात संयंत्र में लगातार ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 जो कि प्रतिदिन 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करता है. भिलाई इस्पात संयंत्र परिसर में संचालित 'बिल्ड, ऑन ऑपरेट' यानी बीओओ-आधारित मैसर्स प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. अप्रैल 2020 से 15 अप्रैल 2021 के बीच कुल 2410 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में संचालित अस्पतालों को की जा चुकी है.

दुर्ग में ऑक्सीजन है, तो क्यों हो रही हैं मौतें ?

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना 20 से ज्यादा लोगों की जान जा रही है. कई ऐसे केस सामने आए हैं जिनमें मरीजों को अस्पताल मिला तो बेड नहीं मिला या बेड मिला तो ऑक्सीजन के लिए तरस गए. कोरोना से मरने वालों की मेडिकल केस हिस्ट्री देखें तो इससे भी साफ होता है कि ज्यादातर मरीज सांस संबंधी दिक्कत से मौत का शिकार हो रहे हैं. लेकिन सीएमएचओ का कहना है कि लोग ऑक्सीजन लेलव बहुत डाउन होने के बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिससे उनको बचाना मुश्किल हो जाता है. अधिकारी ने दावा किया है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है.

छत्तीसगढ़ में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त में लगेगी कोरोना वैक्सीन

पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन, फिर भी मौत

दुर्ग जिले में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. इसमें सिर्फ सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 में रोजाना 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन और मेसर्स प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. हालांकि जिले में बेड फुल हैं और लोगों को भर्ती होने में परेशानी हो रही है.

ऑक्सीजन लेवल कम होने पर पहुंच रहे मरीज

दुर्ग जिले में लगे लॉकडाउन की वजह से संक्रमण की दर में गिरावट देखी जा रही है. साथ ही रिकवरी रेट भी बेहतर हुआ है, लेकिन मौत के आंकड़े कम नहीं हो रहे हैं. दुर्ग सीएमएचओ डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि जिले में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. रोजोना ऑक्सीजन बेड की संख्या भी बढ़ाई जा रही है. लेकिन लोगों की लापरवाही मौत का कारण बनती जा रही है. उन्होंने बताया कि हर रोज 3 से 4 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन लेवल जब 50 से 60 प्रतिशत हो जाता है, उसके बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं. ऐसी स्थिति में उनको बचा पाना मुश्किल होता है.

जब ETV भारत ने की थी पड़ताल-

रायपुर के सप्लायर का कहना है कि मांग 20 गुना बढ़ गई, जिससे शॉर्टेज है. सप्लायर ने बताया कि राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) के दाम करीब 20 फीसदी बढ़ गए हैं. 10 किलो 40CFT ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल लोग घरों में करते हैं. इसकी मांग काफी तेजी से बढ़ी है. पहले लगभग सौ सिलेंडर प्रति महीने बिकते थे लेकिन अब 500 सिलेंडर की मांग है. वैसे इस सिलेंडर की कीमत 6 हजार रुपए है. लेकिन केस बढ़ने के बाद अब यह 7 हजार रुपए में मिल रहा है. रीफिल कराने में प्रति सिलेंडर 150 से 200 रुपए लगते हैं.

दिल्ली में ऑक्सीजन संकट : सेंट स्टीफंस और गंगाराम में कुछ ही घंटे का स्टॉक

छोटे अस्पताल और क्लीनिक में जंबो सिलेंडर की सप्लाई की जाती है. यह सिलेंडर 100 किलो का होता है. इस सिलेंडर की कीमत पहले लगभग 13 हजार रुपए थी जो अब बढ़कर 15 हजार रुपए हो गई है. पहले जहां 20 के करीब हर महीने यह सिलेंडर बिकता था. लेकिन अब इसकी डिमांड 50 से ज्यादा बढ़ गई है. इस सरेंडर को रीफिल करने पर 500 प्रति सिलेंडर का खर्च आता है.

दुर्ग में क्या हैं दाम ?

ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग इस तरह बढ़ गई है कि डीलरों के पास भी ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं बच पा रहे हैं. दाम में भी बढ़ोतरी हुई है. सप्लायर और मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि पहले छोटा सिलेंडर 4 से 4500 में मिलता था, अब उसके दाम 6 हजार हो गए हैं. मिडिल साइज के जो सिलेंडर 6 से 7 हजार रुपए के मिल रहे थे, उनके दाम 8 से 10 हजार रुपए हो गए हैं. बड़ा सिलेंडर जिसके दाम 9 से 10 हजार रुपए थे, वो बढ़कर 12 से 14 हजार रुपए हो गए हैं.

बस्तर में नहीं बढ़े दाम, नहीं है कमी

बस्तर जिले में वर्तमान में 300 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था है, जिसमें जम्बो साइज के सिलेंडर के साथ ही छोटे सिलेंडर भी शामिल हैं, इसके साथ ही बस्तर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल डिमरापाल में भी सेंट्रल ऑक्सीजन की सुविधा है और जिसकी शुरुआत आज से की गई है, वहीं जिले में ऑक्सीजन प्लांट की भी सुविधा है.

भारत में कोरोना महामारी पर बोला स्वास्थ्य मंत्रालय, 146 जिलों पर खास चिंता

सरगुजा में भी ऑक्सीजन की कमी नहीं, दाम भी नहीं बढ़े

सरगुजा जिले में फिलहाल ऑक्सीजन सिलेंडर की कोई किल्लत नहीं है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट से पर्याप्त सप्लाई हो रही है. यहां ऑक्सीजन सिलेंडर के दाम में मार्च और अप्रैल में कोई बदलाव नहीं हुआ है. 42 लीटर का जम्बो सिलेंडर 5 हजार रुपए + जीएसटी पर उपलब्ध है. 16 लीटर का छोटा सिलेंडर 32 सौ रुपए + जीएसटी पर उपलब्ध है.

कोरबा में ऑक्सीजन की कमी नहीं, दाम भी वही

औद्योगिक नगरी होने के कारण कोरबा में पावर प्लांट के साथ ही अन्य उद्योगों को ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता रहती है. लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऑक्सीजन प्लांट संचालकों ने औद्योगिक सप्लाई को लगभग बंद कर दिया है. पूरी सप्लाई मेडिकल संस्थानों को की जा रही है.

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