रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीद के साथ ही लघु वनोपजों के मूल्य बढाने की दिशा में पहल की है. राज्य में वनांचल परियोजना शुरू की गई है. इस परियोजना का उद्देश्य वनवासियों द्वारा संग्रहित लघु वनोपजों के मूल्यवर्धन हेतु वन क्षेत्र में वनोपज आधारित लघु उद्योगों की स्थापना कर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से वनवासियों के लिये रोजगार के अवसर प्रदान करना है.
सरकार वनवासियों को दे रही है आकर्षक पैकेज: छत्तीसगढ़ सरकार ने लघु वनोपज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राज्य की नई उद्योग नीति में कई प्रकार की छूट एवं आकर्षक पैकेज देने का प्रावधान किया है. इससे कई उद्यमी अब वन क्षेत्रों में वनोपज आधारित उद्योग लगाने के प्रति आकर्षित हो रहे हैं. अब तक 15 उद्यमियों ने वनांचल क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के वनोपज आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए 75 करोड़ रुपये के निवेश के लिए राज्य सरकार को आवेदन दिया है.
इन वनोपजों के मूल्य में वृद्धि की गई: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर वनोपज संग्राहकों को उनकी मेहनत का उचित वेतन दिलाने के लिए लघु वनोपज के क्रय मूल्य में वृद्धि कर दी गई है. तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 2500 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपये प्रति मानक बोरा की गई है. इसके परिणामस्वरूप प्रदेश के लगभग 12 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को प्रतिवर्ष 225 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मजदूरी के साथ-साथ 232 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रोत्साहन पारिश्रमिक बोनस भी प्राप्त हुआ है.महुआ का समर्थन मूल्य 17 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये कर दिया गया है. इमली का समर्थन मूल्य 25 रुपये किलो से बढ़ाकर 36 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है और चिरौंजी गुठली की कीमत 93 रुपये से 126 प्रति किग्रा बढ़ा दी गई है. रंगिनी लाख के लिए खरीद मूल्य 130 रुपये से 220 रुपये प्रति बढ़ा दिया गया है. शहद को 195 रुपए प्रति किलो से बढ़ाकर 225 प्रति किग्रा. इन फैसलों से 5 लाख ग्रामीण परिवारों को सीधा लाभ हुआ है. अन्य वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि एवं क्रय की व्यवस्था करने से ग्रामीणों को अब लगभग 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिल रहा है.
लाखों में हो गई है संग्राहकों की संख्या: वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपज संग्रहित होता है, जो देश में अव्वल है। सरकार ने संग्राहकों के हित में लघु वनोपजों की संख्या में 9 गुना वृद्धि करते हुए 7 से बढ़ाकर 65 लघु वनोपजों की खरीदी करने का निर्णय लिया।