रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर पूरा चुनाव लड़ा. मोदी ने खुद कैंपेन की बागडोर संभाली. इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला. छत्तीसगढ़ में बीजेपी को बहुमत मिल गया है. खास बात यह रही कि इस चुनाव में कांग्रेस के वादों पर मोदी की गारंटी भारी पड़ी.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने लोकलुभावन वादे किए थे. दोनों प्रमुख सियासी दलों ने योजनाओं से किसानों, महिलाओं और गरीबों को लुभाने की भरपूर कोशिश की. भाजपा को छत्तीसगढ़ में मिली भारी जीत से ऐसा लगता है कि भाजपा के वादों पर जनता ने भरोसा जताया. भाजपा ने इसे 'मोदी की गारंटी 2023' के रूप में प्रचारित किया था, इसका पूरा फायदा बीजेपी को मिला है. जनता ने बीजेपी के वादों पर मुहर लगाते हुए भाजपा को जीत दिलाई है.
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने लगाई थी वादों की झड़ी: साल 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर और सबसे पुरानी पार्टी के लोकलुभावन घोषणा पत्र की वजह से जीत दर्ज की थी. भाजपा के सामने भूपेश बघेल सरकार की किसान-समर्थक, आदिवासी-समर्थक और गरीब-समर्थक योजनाओं का मुकाबला करने की कठिन चुनौती थी. दोनों पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में समाज के विभिन्न वर्गों को रियायतें देने की पेशकश की थी. वहीं, इस साल चुनाव से काफी पहले कांग्रेस ने घोषणा की थी कि राज्य इस खरीफ सीजन में किसानों से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदेगी. चुनाव प्रचार के दौरान किसानों की ऋण माफी का वादा किया गया. साल 2018 में भी कांग्रेस ने कर्जमाफी का वादा किया था.
इस बार कांग्रेस का वादा: कांग्रेस ने इस बार भी चुनाव से पहले लुभावने वादे किए थे. कांग्रेस ने राजीव गांधी भूमिहीन किसान न्याय योजना के तहत भूमिहीन मजदूरों को दी जाने वाली वार्षिक वित्तीय सहायता को 7000 रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपए की थी. केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली के अलावा महिलाओं को घरेलू गैस सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी का वादा किया था. 6,000 रुपये में प्रति बैग तेंदू पत्ते की खरीद और तेंदू पत्ता संग्राहकों को 4 हजार रुपये का वार्षिक बोनस, गरीबों को 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज, सड़क दुर्घटना में पीड़ितों को सहायता राशि और स्व-सहायता समूहों का ऋण माफ करने का वादा किया. इन वादों को कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल किया गया. इसके साथ ही कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में किसानों को प्रति क्विंटल धान के लिए 3,200 रुपये देने का भी वादा किया.
2018 में बीजेपी के हार का कारण: राजनीतिक जानकारों की मानें तो साल 2018 में पार्टी की करारी हार का एक कारण बीजेपी का कमजोर घोषणापत्र भी था. हालांकि कांग्रेस साल 2018 में किए गए सभी वादों को पूरा करने में असमर्थ रही. साल 2018 से सबक लेकर भाजपा ने इस बार अपने घोषणापत्र में छत्तीसगढ़ के लिए 'मोदी की गारंटी 2023' नाम से लोकलुभावन वादे किए. भाजपा के वादों में प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीद 3,100 रुपये प्रति क्विंटल, महतारी वंदन योजना के तहत विवाहित महिलाओं को 12,000 रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता, पीएम आवास योजना के तहत 18 लाख घरों का निर्माण, तेंदू पत्ता की खरीद 5,500 रुपये शामिल है. प्रति मानक बोरा और पत्ता संग्राहकों को 4,500 रुपये का बोनस और भूमिहीन खेत मजदूरों को 10,000 रुपये की वार्षिक सहायता का भी वादा किया गया है. गरीब परिवारों की महिलाओं को 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर, कॉलेज जाने के लिए छात्रों को मासिक यात्रा भत्ता, लड़कियों के जन्म पर बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) परिवारों को 1.50 लाख रुपये का आश्वासन (आश्वासन) प्रमाण पत्र, मुफ्त यात्राएं, अयोध्या में राम मंदिर का दौरा करना भी भाजपा के अन्य लोकलुभावन वादों में से एक है.
इसके साथ ही भाजपा की महतारी वंदन योजना के महिलाओं के बीच लोकप्रियता हासिल करने की खबरों के बीच भूपेश बघेल ने दिवाली को 'छत्तीसगढ़ गृह लक्ष्मी योजना' शुरू करने का वादा किया, जिसके तहत महिलाओं को सालाना 15,000 रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा किया गया था. राजनीतिक जानकारों के अनुसार अगर बीजेपी अपने किए वादों को पूरा नहीं करेगी तो इसका खामियाजा भाजपा को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा.
सोर्स: पीटीआई