रायपुर : छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीट रायपुर दक्षिण विधानसभा.इस सीट पर सिर्फ और सिर्फ एक उम्मीदवार की तूती बोलती है.वो उम्मीदवार हैं पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक बृजमोहन अग्रवाल.बृजमोहन अग्रवाल के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस सीट पर उन्हें हराने के लिए विरोधियों ने कई बार खेमेबंदी की.लेकिन हर बार बृजमोहन पहले से ताकतवर बनकर उभरे.चाहे छत्तीसगढ़ में किसी की भी लहर चले,जातिगत की बात हो,योजनाओं का हवाला दिया जाए या फिर दूसरे तरह के माहौल बने.दक्षिण विधानसभा में बृजमोहन को लेकर जनता की राय टस से मस नहीं हुई. एक बार फिर बीजेपी ने बृजमोहन को रायपुर दक्षिण से उतारा है.वहीं उनके खिलाफ कांग्रेस ने महंत रामसुंदर दास को टिकट दिया है.जो जैजैपुर से विधायक रह चुके हैं.
कैसा है रायपुर दक्षिण विधानसभा का स्वरूप : वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद रायपुर की दो विधानसभा सीट को बांटकर चार सीट बनाई गई. उसके बाद से बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधत्व कर रहे हैं.इस सीट पर अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही बृजमोहन अग्रवाल विधायक हैं. बृजमोहन अग्रवाल 1990 में पहली बार अविभाजित मध्य प्रदेश में विधायक बनें. इसके बाद भी वो 1993,1998 में भी अविभाजित मध्य प्रदेश में विधायक बनें. फिर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ.इसके बाद बृजमोहन अग्रवाल लगातार चार बार 2003, 2008, 2013 और 2018 में चुनाव जीत चुके हैं.
कितनी है मतदाताओं की संख्या : रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 259948 है. जिसमें से 129093 पुरुष मतदाता हैं. वहीं 130804 महिला मतदाता है. इसके अलावा 51 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में पुरुष और महिला मतदाताओं की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है.
दक्षिण विधानसभा की समस्याएं : रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के समस्याओं की बात की जाए यहां की कई तरह की समस्याओं का सामना स्थानीय लोगों को करना पड़ रहा है. इस क्षेत्र में बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत सभी मूलभूत सुविधाएं हैं. लेकिन अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है. इसके अलावा बारिश के समय होने वाला जलभराव लोगों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है.पानी के निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बारिश के दिनों में लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है.बारिश में ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से फेल हो जाता है.
नहीं पूरे हुए पुराने वादे : भाटागांव, बैरनबाजार, डगनिया, सुंदरनगर, लाखेनगर, मठपुरैना जैसे क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल के लिए पाइप लाइन बिछाई गई है. सभी मूलभूत सुविधाएं हैं. छोटे-छोटे बहुत से कार्य किए गए हैं लेकिन पिछले साढ़े चार वर्ष से अधिक समय में काेई बड़ा प्रोजेक्ट इस विधानसभा क्षेत्र में नहीं आया है.पुरानी बस्ती से महाराजाबंध तालाब, कुशालपुर होते हुए रिंग रोड चौक तक सड़क चौड़ीकरण का काम किया जाना था. यह प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चला गया है. ऐसे ही भाटागांव और मठपुरैना के बीच 100 बिस्तर का अस्पताल बनाया जाना था. विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने इसके लिए भूमिपूजन भी किया था. लेकिन 15 वर्षों बाद भी यह अस्पताल धरातल पर नही उतर पाया है.
तालाबों पर अतिक्रमण भी है मुख्य समस्या : इस क्षेत्र में सात ऐतिहासिक तालाब है, जिसके पुनर्विकास और सौंदर्यीकरण की जरूरत है.भाटागांव में हल्का तालाब, चंगोराभाटा में महोदबा तालाब, भाटागांव में आरछी तालाब, लाखेनगर में खो-खो तालाब, कुशालपुर में पहाड़ी तालाब, मठपुरैना में डबरी बंधवा तालाब और ब्राम्हण पारा में कंकाली तालाब है.बूढ़ातालाब के बाद महाराजबंध तालाब शहर का प्राचीन, ऐतिहासिक और सबसे बड़ा तालाब है.54 एकड़ का यह तालाब अब सिमटकर 35-36 एकड़ का रह गया है. तालाब के ज्यादातर हिस्से में कब्जे हो गए हैं. मठपारा और कैलाशपुर की तरफ तालाब को पाटकर अपार्टमेंट और कॉलोनियां बना ली गईं.जलकुंभी से तालाब पटे हुए हैं. पुरानी बस्ती की गलियां भी काफी संकरी हैं, जिन्हें चौड़ी किए जाने की जरूरत है.जहां चारपहिया वाहनों का निकलना मुश्किल हो जाता है.
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर : साल 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर 147400 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जिसमें से 74824 पुरुष मतदाताओं ने वोट डाले जबकि 71621 महिला वोटरों ने मतदान किया. वहीं 3 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल हुए थे. यहां कुल मतदान 61.73 प्रतिशत हुआ था. इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार बृजमोहन अग्रवाल को 77589 वोट मिले , जो प्राप्त वोट का 52.70 % था, जबकि दूसरे स्थान पर कांग्रेस के उम्मीदवार कन्हैया अग्रवाल को 60093 वोट पड़े,जो प्राप्त वोट का 40.82 फीसदी था. यह चुनाव बृजमोहन अग्रवाल ने कन्हैया अग्रवाल से 17496 वोटों से जीता.
कौन तय करता है जीत और हार : रायपुर शहर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र को देखा जाए तो पिछले सात बार के विधानसभा चुनाव में कोई भी फैक्टर काम नहीं आया. ना तो यहां जातिगत समीकरण का असर देखने को मिला और ना ही विकास का कोई मुद्दा रहा. ना ही दूसरे राजनीतिक दलों से यहां कोई खास दखल देखने को मिली. हर चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल एकतरफा जीते हैं.ऐसा नहीं है कि इस विधानसभा सीट पर किसी ने दावेदारी नहीं की है. कांग्रेस के अलावा अन्य राजनीतिक दलों सहित दर्जनों निर्दलीय उम्मीदवार इस विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरते हैं. बावजूद इसके कांग्रेस को छोड़ बाकी वोट काटने के अलावा कोई बड़ा प्रभाव चुनाव पर नहीं डाल पाते हैं..
दमदार उम्मीदवार नहीं उतरने से बृजमोहन को फायदा : बृजमोहन अग्रवाल का मैनेजमेंट काफी तगड़ा है. जिस वजह से इस सीट को भेदने में कांग्रेस सहित कोई भी राजनीतिक दल या फिर निर्दलीय उम्मीदवार अब तक कामयाब नहीं रहा है. बृजमोहन पार्टी के साथ-साथ दूसरे राजनीतिक दलों और अन्य लोगों से भी बेहतर संबंध स्थापित करने में कामयाब रहे हैं. कुछ लोगों का दावा है कि यही वजह है कि कांग्रेस बृजमोहन के खिलाफ कभी भी कोई बड़ा दमदार उम्मीदवार मैदान में नहीं खड़ा करती है. इस वजह से ही बृजमोहन अग्रवाल लगातार जीतते आए हैं.