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Chhattisgarh Election 2023 : छत्तीसगढ़ के अफसरों में नेता बनने की होड़, हर दल की पहली पसंद हैं अधिकारी ! - पूर्व आईएएस सरजियस मिंज

Chhattisgarh Election 2023 छत्तीसगढ़ में चुनाव की बयार बह रही है.ऐसे में राजनीतिक पार्टियों में नेताओं के आने और जाने का सिलसिला भी शुरु हो चुका है.इस दौरान कई नौकरीपेशा,अधिकारी और कर्मचारी भी अपनी नौकरी को अलविदा कहकर राजनीतिक पार्टी का दामन थाम लेते हैं.आज हम आपको बताएंगे छत्तीसगढ़ के ऐसे ही कुछ नेताओं के बारे में जिन्होंने जनता की सेवा करने का मन बनाया और अपनी नौकरी छोड़ दी.officers compete to become politician

Chhattisgarh Election 2023
छत्तीसगढ़ के अफसरों में नेता बनने की होड़
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 29, 2023, 8:04 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले लगातार प्रशासनिक अधिकारियों का राजनीति में शामिल होने का सिलसिला चल रहा है. मौजूदा समय की बात करें तो आईएएस नीलकंठ टेकाम ने बीजेपी ज्वाइन की है. आपको बता दें कि टेकाम अभी 55 साल के हैं और उनकी सरकारी नौकरी 5 साल बची थी.बावजूद इसके उन्होंने नौकरी पूरी करने के बजाए राजनीतिक पार्टी का दामन छोड़ना मुनासिब समझा. लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब किसी प्रशासनिक अधिकारी ने राजनीति में प्रवेश किया हो. इससे पहले भी कई आईएएस आईपीएस हैं. जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर या रिटायरमेंट लेने के बाद नेता बनने का फैसला किया.

छत्तीसगढ़ के पहले सीएम थे IAS अधिकारी : छत्तीसगढ़ के इतिहास की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी, अपनी कलेक्टर की नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में शामिल हुए थे. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने उन्हें आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने का प्रस्ताव दिया था.जिसके बाद अजीत जोगी ने बिना देरी किए कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की.लगातार पार्टी के लिए काम करते रहे. सन् 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ. उसे दौरान अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया. 2003 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी अजीत जोगी लगातार विधानसभा चुनाव लड़ते रहे और वह चुनाव जीतकर आते रहे.अजीत जोगी की छवि एक अच्छे प्रशासनिक सेवक और राजनीति नेता के रूप में आज भी बरकरार है.

अजीत जोगी के अलावा भी छत्तीसगढ़ के ऐसे कई अधिकारी हैं. जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर कांग्रेस में प्रवेश किया. कई ऐसे शासकीय सेवक हैं जिन्होंने राजनीति में सफलता भी पाई है.


शिशुपाल शोरी : साल 2013 में IAS की नौकरी से इस्तीफा देकर शिशुपाल शोरी ने कांग्रेस में प्रवेश किया था. 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांकेर लोकसभा सीट से दावेदारी की थी. लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाई. शोरी 2016 से 2018 तक प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे. 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने उन्हें कांग्रेस से प्रत्याशी बनाया.जिसमें शिशुपाल शोरी 19000 से अधिक मतों से जीत कर आए

पूर्व आईएएस सरजियस मिंज : 1978 बैच के आईएएस अधिकारी रहे सर सरजियस मिंज ने 2018 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था. सरजियस मिंज शासकीय सेवा में महत्वपूर्ण पदों पर रहे. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के दौरान उन्हें रायपुर संभाग का आयुक्त भी बनाया गया था. 2016 में मुख्य सूचना आयुक्त के पद से रिटायर होने के बाद मिंज ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. हालांकि उस दौरान उन्होंने टिकट की मांग की थी लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाई थी.



जिनेविवा किंडो : हाल ही में 2023 विधानसभा चुनाव से पहले रिटायर्ड आईएएस जिनेविवा किंडो ने कांग्रेस का दामन थामा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की उपस्थिति में रिटायर्ड आईएएस ने कांग्रेस में प्रवेश किया है. जिनेविवा किंडो 2004 बैच की आईएएस अधिकारी हैं. 2020 में उन्हें अंबिकापुर संभाग का कमिश्नर भी बनाया गया था. किंडो कुनकुरी जशपुर से आती हैं. वो इस क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए अपनी दावेदारी भी कर रही हैं.

बीजेपी में अब तक 8 अफसर हुए शामिल : वहीं बात बीजेपी की करें तो अब तक 8 से अधिक अधिकारी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.छत्तीसगढ़ बीजेपी में आईएएस ओपी चौधरी, आईएएस गणेश शंकर मिश्रा,आईएएस नीलकंठ टेकाम और आरपीएस त्यागी शामिल हो चुके हैं.वहीं भारतीय वन सेवा के अवसर 1988 बैच के से एसएस बड़गईयां और धर्मेंद्र गिरी गोस्वामी बीजेपी के सदस्य बने हैं. इसके अलावा आईपीएस राजीव चंद्र श्रीवास्तव जो पुलिस विभाग में स्पेशल डीजी के पद से रिटॉयर्ड हुए थे.वह भी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बन चुके हैं.


गणेश शंकर मिश्रा : ये 1994 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं.2021 में इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता ली थी. इनको पार्टी में पद भी दिया गया. वर्तमान में बलौदा बाजार या धरसींवा सीट से अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं.

नीलकंठ टेकाम : 2013 बैच के अधिकारी नीलकंठ टेकाम ने नौकरी छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ली.नीलकंठ टेकाम केशकाल विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं.

आरपीएस त्यागी : 2004 बैच के आईएएस अफसर थे.उन्होंने नौकरी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की. त्यागी कोरबा जिले की विधानसभा से टिकट की मांग कर चुके हैं.



ओपी चौधरी : 2004 बैच के आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी ने साल 2018 में नौकरी से त्यागपत्र देकर बीजेपी की सदस्य्ता ली. बीजेपी ने साल 2018 के विधानसभ चुनाव में खरसिया विधानसभा से ओपी चौधरी को टिकट दिया. लेकिन चुनाव में उनको करारी हार का सामना करना पड़ा.विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी उन्हें चंद्रपुर या रायगढ़ विधानसभा से प्रत्याशी बना सकती है.

एसएस बड़गईया : साल 1988 बैच के भारतीय वन सेवा के अफसर एसएस बडगईया नौकरी से सेवानिवृत होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले चुके हैं. वे लोरमी विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं. इनके अलावा भारतीय वन सेवा के अवसर धर्मेंद्र गिरी गोस्वामी ने भी टिकट के लिए हाथ पांव मारना शुरू कर दिए हैं.

सावन के आखिरी सोमवार में भोलेनाथ की शरण में सीएम भूपेश बघेल
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सीएम भूपेश बघेल का बयान सिर्फ पाटन ही नहीं,पूरे छत्तीसगढ़ में ईडी और आईटी लड़ेगी चुनाव

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में चुनाव नजदीक है. ऐसे में लगातार आईएएस अधिकारी और आईपीएस अधिकारी राजनीति में आने को तैयार हैं. इनके अलावा रिटायर्ड शासकीय कर्मचारी भी राजनीति में अपना हाथ आजमाना चाहते हैं. आने वाले दिनों में और भी कई अधिकारी राजनीतिक दलों में शामिल हो सकते हैं.

रायपुर : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले लगातार प्रशासनिक अधिकारियों का राजनीति में शामिल होने का सिलसिला चल रहा है. मौजूदा समय की बात करें तो आईएएस नीलकंठ टेकाम ने बीजेपी ज्वाइन की है. आपको बता दें कि टेकाम अभी 55 साल के हैं और उनकी सरकारी नौकरी 5 साल बची थी.बावजूद इसके उन्होंने नौकरी पूरी करने के बजाए राजनीतिक पार्टी का दामन छोड़ना मुनासिब समझा. लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब किसी प्रशासनिक अधिकारी ने राजनीति में प्रवेश किया हो. इससे पहले भी कई आईएएस आईपीएस हैं. जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर या रिटायरमेंट लेने के बाद नेता बनने का फैसला किया.

छत्तीसगढ़ के पहले सीएम थे IAS अधिकारी : छत्तीसगढ़ के इतिहास की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी, अपनी कलेक्टर की नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में शामिल हुए थे. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने उन्हें आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने का प्रस्ताव दिया था.जिसके बाद अजीत जोगी ने बिना देरी किए कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की.लगातार पार्टी के लिए काम करते रहे. सन् 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ. उसे दौरान अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया. 2003 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी अजीत जोगी लगातार विधानसभा चुनाव लड़ते रहे और वह चुनाव जीतकर आते रहे.अजीत जोगी की छवि एक अच्छे प्रशासनिक सेवक और राजनीति नेता के रूप में आज भी बरकरार है.

अजीत जोगी के अलावा भी छत्तीसगढ़ के ऐसे कई अधिकारी हैं. जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर कांग्रेस में प्रवेश किया. कई ऐसे शासकीय सेवक हैं जिन्होंने राजनीति में सफलता भी पाई है.


शिशुपाल शोरी : साल 2013 में IAS की नौकरी से इस्तीफा देकर शिशुपाल शोरी ने कांग्रेस में प्रवेश किया था. 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांकेर लोकसभा सीट से दावेदारी की थी. लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाई. शोरी 2016 से 2018 तक प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे. 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने उन्हें कांग्रेस से प्रत्याशी बनाया.जिसमें शिशुपाल शोरी 19000 से अधिक मतों से जीत कर आए

पूर्व आईएएस सरजियस मिंज : 1978 बैच के आईएएस अधिकारी रहे सर सरजियस मिंज ने 2018 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था. सरजियस मिंज शासकीय सेवा में महत्वपूर्ण पदों पर रहे. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के दौरान उन्हें रायपुर संभाग का आयुक्त भी बनाया गया था. 2016 में मुख्य सूचना आयुक्त के पद से रिटायर होने के बाद मिंज ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. हालांकि उस दौरान उन्होंने टिकट की मांग की थी लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाई थी.



जिनेविवा किंडो : हाल ही में 2023 विधानसभा चुनाव से पहले रिटायर्ड आईएएस जिनेविवा किंडो ने कांग्रेस का दामन थामा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की उपस्थिति में रिटायर्ड आईएएस ने कांग्रेस में प्रवेश किया है. जिनेविवा किंडो 2004 बैच की आईएएस अधिकारी हैं. 2020 में उन्हें अंबिकापुर संभाग का कमिश्नर भी बनाया गया था. किंडो कुनकुरी जशपुर से आती हैं. वो इस क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए अपनी दावेदारी भी कर रही हैं.

बीजेपी में अब तक 8 अफसर हुए शामिल : वहीं बात बीजेपी की करें तो अब तक 8 से अधिक अधिकारी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.छत्तीसगढ़ बीजेपी में आईएएस ओपी चौधरी, आईएएस गणेश शंकर मिश्रा,आईएएस नीलकंठ टेकाम और आरपीएस त्यागी शामिल हो चुके हैं.वहीं भारतीय वन सेवा के अवसर 1988 बैच के से एसएस बड़गईयां और धर्मेंद्र गिरी गोस्वामी बीजेपी के सदस्य बने हैं. इसके अलावा आईपीएस राजीव चंद्र श्रीवास्तव जो पुलिस विभाग में स्पेशल डीजी के पद से रिटॉयर्ड हुए थे.वह भी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बन चुके हैं.


गणेश शंकर मिश्रा : ये 1994 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं.2021 में इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता ली थी. इनको पार्टी में पद भी दिया गया. वर्तमान में बलौदा बाजार या धरसींवा सीट से अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं.

नीलकंठ टेकाम : 2013 बैच के अधिकारी नीलकंठ टेकाम ने नौकरी छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ली.नीलकंठ टेकाम केशकाल विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं.

आरपीएस त्यागी : 2004 बैच के आईएएस अफसर थे.उन्होंने नौकरी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की. त्यागी कोरबा जिले की विधानसभा से टिकट की मांग कर चुके हैं.



ओपी चौधरी : 2004 बैच के आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी ने साल 2018 में नौकरी से त्यागपत्र देकर बीजेपी की सदस्य्ता ली. बीजेपी ने साल 2018 के विधानसभ चुनाव में खरसिया विधानसभा से ओपी चौधरी को टिकट दिया. लेकिन चुनाव में उनको करारी हार का सामना करना पड़ा.विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी उन्हें चंद्रपुर या रायगढ़ विधानसभा से प्रत्याशी बना सकती है.

एसएस बड़गईया : साल 1988 बैच के भारतीय वन सेवा के अफसर एसएस बडगईया नौकरी से सेवानिवृत होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले चुके हैं. वे लोरमी विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं. इनके अलावा भारतीय वन सेवा के अवसर धर्मेंद्र गिरी गोस्वामी ने भी टिकट के लिए हाथ पांव मारना शुरू कर दिए हैं.

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आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में चुनाव नजदीक है. ऐसे में लगातार आईएएस अधिकारी और आईपीएस अधिकारी राजनीति में आने को तैयार हैं. इनके अलावा रिटायर्ड शासकीय कर्मचारी भी राजनीति में अपना हाथ आजमाना चाहते हैं. आने वाले दिनों में और भी कई अधिकारी राजनीतिक दलों में शामिल हो सकते हैं.

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