रायपुर:अवैध खनन कार्यों पर जोर देने के साथ लघु खनिजों के खनन (Performance Audit of Mining of Minor Minerals) पर सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण के मामले 2015-16 में 3,756 से बढ़कर 2020-21 में 5,410 हो गए.
कैग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के खनन विभाग को पर्याप्त जनशक्ति और उचित निरीक्षण रिकॉर्ड के रखरखाव को सुनिश्चित करके निर्धारित मानदंडों के अनुसार खदानों का नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करना चाहिए. छत्तीसगढ़ कोयला, लौह अयस्क और डोलोमाइट जैसे प्रमुख खनिजों का अग्रणी उत्पादक है और इसमें बॉक्साइट, चूना पत्थर और क्वार्टजाइट का काफी भंडार है.
छत्तीसगढ़ में कुल 37 प्रकार के खनिज: सीएजी रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में 37 प्रकार के लघु खनिज पाए जाते हैं. 1 अप्रैल 2021 तक कुल 1,957 लघु खनिज खदान पट्टे स्वीकृत किए गए थे. 2015-16 और 2020-21 के बीच राज्य सरकार को लघु खनिजों से प्राप्त रॉयल्टी 1,438.67 करोड़ रुपये थी, जो खनन से 30,606.89 करोड़ रुपये की कुल राजस्व प्राप्तियों का 4.70 प्रतिशत थी.
अवैध उत्खनन पर कार्रवाई में देखी गई ढिलाई: सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट में पाया गया कि अवैध खनन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए खनन विभाग द्वारा निर्धारित मौजूदा नियंत्रण उपायों का पालन नहीं किया जा रहा है. खदान पट्टों के व्यापक डेटाबेस का अभाव था. खदान पट्टा क्षेत्र के सीमांकन को दर्शाने वाले चिन्ह गायब थे.स्वीकृत पट्टा क्षेत्रों से परे उत्खनन गतिविधियों की पहचान नहीं हो पाई. खनिजों के अवैध परिवहन पर अंकुश लगाने के लिए स्थापित चेक पोस्टों की संख्या अपर्याप्त पाई गई, जबकि स्थापित चेक पोस्ट वेटब्रिज की सुविधा से लैस नहीं थे.
छत्तीसगढ़ में कितनी कार्रवाई हुई: राज्य विभाग की प्रशासनिक रिपोर्ट के आंकड़ों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण के नए पंजीकृत मामलों की संख्या 2015-16 में 3,756 से बढ़कर 2020-21 में 5,410 हो गई है. ऑडिट में पाया गया कि 2015-16 और 2020-21 (जून 2020 तक) के बीच अवैध निकासी के 1,651 मामलों और अवैध परिवहन के 13,049 मामलों में 23.27 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. अवैध उत्खनन के 792 मामलों और अवैध परिवहन के 2,744 मामलों में प्रचलित नियमों के अनुसार जुर्माना नहीं लगाया गया. जिसकी वजह से 2015-16 के बीच 10.51 करोड़ रुपये की कम जुर्माना राशि लगाई गई.
कई मानदंडों में बरती गई लापरवाही: विभाग ने लघु खनिजों के अवैध परिवहन को नियंत्रित करने के लिए ई-परमिट प्रणाली और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम आधारित वाहन ट्रैकिंग प्रणाली को लागू नहीं किया. लघु खनिजों के लिए खनन निगरानी प्रणाली के कार्यान्वयन में देरी हुई और विभाग ने अन्य आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर विचार नहीं किया. अवैध खनन गतिविधियों की पहचान करने और उन पर अंकुश लगाने के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और ड्रोन सर्वेक्षण के रूप में सीएजी रिपोर्ट में बताया गया है.
पट्टा क्षेत्र में नहीं किया गया वृक्षारोपण: सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि Google Earth Pro सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके चयनित 202 खदान पट्टों के ऑडिट विश्लेषण से स्वीकृत पट्टों (15 मामलों में) के अलावा अन्य क्षेत्रों में खनन गतिविधियों और स्वीकृत पट्टे के निकटवर्ती क्षेत्र में फैले गड्ढों (8 मामलों में) का पता चला. यह भी देखा गया कि पर्यावरण मंजूरी (ईसी) और खदान योजनाओं की शर्तों के अनुसार पट्टा क्षेत्र के आसपास (40 मामलों में) कोई वृक्षारोपण नहीं किया गया था.
कोरबा: माइनिंग विभाग की कार्रवाई पर उठे सवाल, प्रशासन ने मांगा जवाब |
कांकेर: लौह अयस्क के जरिए बढ़ा राजस्व |
रोक के बाद भी कोरबा में धड़ल्ले से जारी है रेत उत्खनन |
कई स्तर पर माइनिंग विभाग रहा फेल: तकनीकी सलाहकार के माध्यम से और ड्रोन सर्वेक्षण की मदद से कई खुलासे हुए. कैग की ऑडिट में अनाधिकृत स्थलों पर मुरम के अवैध उत्खनन के साथ-साथ स्वीकृत पट्टा क्षेत्र के बाहर रेत और चूना पत्थर के अवैध उत्खनन का पता चला. इससे सरकार को 2.67 करोड़ रुपये की रॉयल्टी का नुकसान हुआ. रेत खनन की निगरानी में कमी पाई गई और विभाग रॉयल्टी की चोरी और पर्यावरण मंजूरी शर्तों का पालन की जांच करने में फेल रहा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को टिकाऊ रेत खनन प्रथाओं को अपनाना चाहिए और पर्यावरण मंजूरी (ईसी) शर्तों और शासकीय नियमों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए रेत खनन गतिविधियों की नियमित निगरानी के लिए निर्देश जारी करना चाहिए
सोर्स: पीटीआई