रायपुर: बेमेतरा के साजा में 8 अप्रैल को हुई सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के साथ ही भाजपा ने सोमवार को छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया था. इस दौरान प्रदेश में यात्री बसों का संचालन, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, सब्जी मार्केट, स्कूल पूरी तरह से बंद रहे. विहिप और बजरंग दल ने कई जगहों पर चक्काजाम भी किया. कुछ जगह बस में तोड़फोड़ की घटना भी हुई. छत्तीसगढ़ में बंद को लेकर व्यापारी और आम लोग निराश दिखे.
व्यापारी आशुतोष अग्रवाल ने बताया कि "सामाजिक अराजकता बंद होनी चाहिए. देश को आजाद हुए लगभग 70 साल हो गए हैं, और धर्मनिरपेक्ष देश में सामाजिक अराजकता फैलती है, तो यह एक्सेप्टेबल नहीं है. दुकानें एक दिन के लिए बंद की जाए या चार दिन के लिए बंद की जाए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन एक दिन के व्यापार से व्यापारियों की बजाय दूसरों का कारोबार भावित होता है. आर्थिक स्थिति बिगड़ती है. दुकानें बंद करना ही समाधान है, तो व्यापारी दुकान बंद करने को तैयार है, लेकिन इसकी क्या गारंटी है, कि आगे इस तरह की सांप्रदायिक हिंसा नहीं होगी."
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व्यापारी सतीश जैन ने बिरनपुर की घटना की निंदा करते हुए इस पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए. इस घटना के बाद लोगों में आक्रोश है. इसी आक्रोश और मानसिकता को लेकर आज व्यापारियों ने बंद का समर्थन किया है. लेकिन चेंबर की तरफ से बंद को लेकर किसी तरह का दबाव भी नहीं था. व्यापारियों ने एक राय होकर इस बंद का समर्थन किया. "
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स्थानीय लोग और मजदूरी करने वालों बंद के खिलाफ नजर आए. उन्होंने बताया कि बंद कभी नहीं होना चाहिए. बंद के कारण रोजमर्रा के कई सामान के लिए भटकना पड़ रहा है. कई लोगों को अपने गंतव्य जाना था, लेकिन बस बंद होने के कारण अपने गंतव्य तक नहीं जा सके. किराना सब्जी मार्केट और पेट्रोल पंप भी पूरी तरह से बंद रहे, जिसके कारण लोगों को परेशान होना पड़ा.
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